दिल्ली के ऐतिहासिक मकबरे को केसरिया-सफेद रंगों से रंगा, मूर्तियां रख बना दिया मंदिर
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नई दिल्ली: दक्षिणी दिल्ली में एक मकबरे को मंदिर में बदल देने का मामला सामने आया है। हुमायूंपुर के 650 साल पुराने ऐतिहासिक मकबरे में मूर्तियों को रखकर इसे मंदिर का रूप दे दिया गया। इस मकबरे को गांव वालों ने 2 महीने पहले केसरिया और सफेद रंग से रंग दिया। यह मकबरा तुगलक काल का बताया जाता है। यह एक छोटा सा गुंबद है, जिसे गुमटी के नाम से जाना जाता रहा है। दिल्ली सरकार द्वारा इसे ऐतिहासिक इमारत के रुप में नोटिफाई भी किया गया है।
हुमांयूपुर में गांव के लोगों ने यहां एक मंदिर बनवाने के लिए चंदा भी लिया था। इसके बाद गुम्बद को केसरिया और सफेद रंग से रंग दिया गया और यहां मूर्तियों की स्थापना कर दी गई। गांव के लोगों का कहना है कि निगम पार्षद राधिका अबरोल ने इस स्मारक का निर्माण कराया है और बेंच पर उनका नाम भी लिखा हुआ है। गांववालों का कहना है कि ये पहले से ही मंदिर था और इसे फिर से ठीक करने के लिए लोगों से चंदा मांगा गया था।
मकबरे को मंदिर में बदला गया
मकबरे को मंदिर में बदलने के बाद इसका नामकरण भी कर दिया गया है। एंट्री पॉइंट पर इस मंदिर की स्थापना की तारीख 15 जून 1971 लिखी गई है और इसे भोला शिव ट्रस्ट का मंदिर बताया जा रहा है जो कि दिल्ली सरकार के पुरातत्व विभाग के नागरिक चार्टर के खिलाफ भी है।
पंडित की मृत्यु के बाद से इसे भोला का मंदिर कहा जाने लगा
इसके सन्दर्भ में स्थानीय लोग बताते हैं कि करीब दो महीने पहले ये खंडहर मात्र था और इस गुम्बद में भोला नाम के एक पंडित रहते थे। उनकी मृत्यु के बाद से इसे भोला का मंदिर कहा जाने लगा था। वहीं गांव के कुछ लोगों का ये भी कहना है कि ये कभी मंदिर था ही नहीं। गांव के कुछ लोग कहते हैं कि वो लोग करीब 80 साल से इसी गांव में रहते हैं। उनका कहना है कि मंदिर बनाने के लिए गुम्बद के अंदर की कब्र को तोड़ा गया।
ऐतिहासिक इमारत को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ होगी कार्रवाई
इस गुम्बद को स्टेट अर्बन डेवलपमेंट के 2010 के नोटिफिकेशन में 767 ऐतिहासिक इमारतों में शामिल किया गया है। वहीं इस मामले में दिल्ली सरकार ने सख्त रवैया अपनाया है और ऐतिहासिक इमारत को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ कार्रवाई एक्शन लेने की बात भी कही है।