छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है राजीव गांधी किसान न्याय योजना
रायपुर। छत्तीसगढ़ के भूपेंद्र सरकार की राजीव गांधी किसान न्याय योजना किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। इस योजना के तहत सरकार का लक्ष्य था कि किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिले, जो उनको मिल रही है। राजीव गांधी किसान न्याय योजना से राज्य की अर्थव्यवस्था भी मजबूत हुई है।योजना की शुरुआत भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी की शहादत पुण्य तिथि 21 मई से की गई थी।
पिछले साल अक्टूबर माह के मुकाबले इस साल के इसी माह में राज्य ने 26 फीसदी अधिक जीएसटी संग्रह करके आंध्रप्रदेश के साथ संयुक्त रूप से देशभर के सभी राज्यों में पहला स्थान प्राप्त किया है। इस योजना समेत किसानों, ग्रामीणों तथा वनवासियों को सीधे लाभ पहुंचाने वाली अन्य योजनाओं के चलते संकटकाल में प्रदेश की बेरोजगारी दर भी अन्य प्रदेशों के मुकाबले काफी कम रही। वर्तमान में राज्य की बेरोजगारी दर मात्र 2 प्रतिशत है, जो असम के बाद देश में सबसे कम है।
राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत राज्य शासन द्वारा 19 लाख किसानों के बैंक खातों में 5,750 करोड़ रुपए की राशि सीधे अंतरित की जा रही है।
बीते 1 नवंबर 2020 को राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने तीसरी किश्त के रूप में 1,500 करोड़ रुपए का ऑनलाइन अंतरण किसानों के बैंक खातों में किया। योजना के शुरुआत के पहले ही दिन 1,500 करोड़ रुपए की पहली किश्त जारी गई थी, इसके बाद दूसरी किश्त के रूप में भी 1,500 करोड़ किसानों के खातों में अंतरित किए गए थे।
इस तरह अब तक कुल 4,500 करोड़ रुपए का अंतरण किसानों के बैंक खातों में सीधे किया जा चुका है। इस योजना से लाभान्वित होने वाले किसानों में 9 लाख 55 हजार 531 सीमांत कृषक, 5 लाख 61 हजार 523 लघु कृषक और 3 लाख 21 हजार 538 दीर्घ कृषक हैं।
योजना के अंतर्गत धान, मक्का और गन्ना उत्पादक किसानों को आदान सहायता दी जा रही है। योजना का क्रियान्वयन खरीफ 2019 से किया जा रहा है, आने वाले समय में इस योजना खरीफ मौसम में सोयाबीन, मूंगफली, तिल, अरहर, मूंग, उड़द, कुल्थी, रामतिल, कोदो, कुटकी उत्पादक किसानों को भी शामिल किया जाएगा।
भूमिहीन खेतिहर मजदूरों को भी इस योजना के दायरे में शामिल करने की घोषणा की गई है। राज्य में संचालित सुराजी गांव योजना के तहत पंचायतों में निर्मित गोठानों के माध्यम से एक और नयी योजना 'गोधन न्याय योजना' शुरु की गई है।
इसके तहत पशुपालकों तथा ग्रामीणों से 2 रुपए प्रति किलो की दर से गोबर की खरीद की जा रही है। खरीदे गए गोबर से स्व सहायता समूहों की महिलाएं जैविक खाद का निर्माण किया जा रहा है। इस खाद का विक्रय 8 रुपए प्रति किलो की दर से शासकीय विभाग तथा स्थानीय किसानों को किया जा रहा है।
गोधन न्याय योजना के तहत अब तक 39 करोड़ रुपये का भुगतान गोबर विक्रेताओं को किया जा चुका है। वनवासियों की आय में बढोत्तरी करते हुए तेंदूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक दर अब 4,000 रुपये प्रति मानक बोरा की जा चुकी है। इससे लगभग 13 लाख संग्रहक परिवार लाभान्वित हो रहे हैं। इसी तरह समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने वाले लघु वनोपजों की संख्या 07 से बढाकर अब 31 कर दी गई है।