छत्तीसगढ़: मिशन मोड पर लागू होगी 'गोधन न्याय योजना', सीएम बघेल ने जारी किए 50 लाख रुपए
रायपुर, 06 दिसंबर: पशुपालकों से गाय का गोबर खरीद कर जैविक खाद तैयार करने के लिए शुरू की गई राज्य सरकार की प्रमुख योजना 'गोधन न्याय योजना' को अब मिशन मोड पर लागू किया जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार द्वारा 'गोधन न्याय मिशन' का गठन किया गया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने आवास कार्यालय पर गोधन न्याय योजना के अंतर्गत लाभार्थियों को धनराशि ट्रांसफर करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में गोधन न्याय मिशन के सुचारू संचालन के लिए 50 लाख रुपए की राशि जारी की।
इस दौरान कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे, राज्य सभा सांसद छाया वर्मा, राज्य खनिज विकास निगम के अध्यक्ष गिरीश देवांगन, मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुब्रत साहू एवं जनसंपर्क आयुक्त दीपांशु काबरा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
कृषि विभाग के विशेष सचिव एवं गोधन न्याय मिशन के प्रबंध निदेशक डॉ. एस भारतीदासन ने गोधन न्याय मिशन की जानकारी देते हुए कहा कि मिशन का गठन वाणिज्यिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से योजना के उचित कार्यान्वयन के उद्देश्य से किया गया है ताकि गाय के गोबर के लाभकारी उपयोग को सुनिश्चित किया जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि गाय के गोबर लेने वालों को योजना का अधिकतम लाभ मिले।
उन्होंने कहा कि इस मिशन के संचालन में कृषि, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, शहरी प्रशासन, पंचायत और ग्रामीण विकास, राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन और खादी और ग्रामोद्योग विभाग भाग लेंगे। गोधन न्याय योजना को मिशन मोड पर लागू करने के लिए वैज्ञानिकों, प्रबंधन और विपणन विशेषज्ञता वाले संगठनों, गैर सरकारी संगठनों और कंपनियों के सलाहकारों की सेवाएं ली जाएंगी।
गोधन न्याय मिशन के तहत वर्मीकम्पोस्ट (केंचुआ खाद ) एवं अन्य जैविक खाद की बिक्री तथा गौठानों को ग्रामीण औद्योगिक पार्कों में बदलने की कार्ययोजना बनाकर क्रियान्वित की जाएगी। साथ ही गौठानों में महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार उत्पादों की ग्रेडिंग एवं मानकीकरण की भी व्यवस्था की जाएग। इसके अलावा गौठानों में लघु उत्पादन इकाइयां स्थापित करने में सहायता प्रदान की जाएगी।
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उल्लेखनीय है कि राज्य में पशुपालन और जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए पिछले साल राज्य सरकार द्वारा गोधन न्याय योजना शुरू की गई है। इस योजना के तहत पशुपालकों और किसानों से 2 रुपये प्रति किलो की दर से गाय का गोबर खरीदा जाता है। सूराजी गांव योजना के तहत स्थापित गौठानों में महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा इस गोबर से जैविक खाद का निर्माण किया जा रहा है। खरीदे गए गोबर से खाद, वर्मीकम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट, बिजली उत्पादन और कई अन्य प्रकार की वस्तुओं का निर्माण किया जा रहा है।