छत्तीसगढ़: 15 साल तक मुख्यमंत्री रहने वाले रमन सिंह नहीं होंगे मिशन 2023 के लिए सीएम पद का चेहरा
रायपुर, 11 मई। भाजपा छत्तीसगढ़ में 15 साल तक मुख्यमंत्री रहे भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. रमन सिंह के चेहरे पर अगला विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेगी। भाजपा के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक पार्टी मिशन 2023 के लिए पीएम मोदी को ही फेस बनाकर चुनाव लड़ेगी। कयास इस बात के भी लगाए जा रहे हैं कि रमन सिंह की छत्तीसगढ़ से विदाई तय है, उन्हें संगठन चुनाव जीतने की सूरत में भी मुख्यमंत्री नहीं बनाएगा।

रमन सिंह नहीं, पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ेगी भाजपा
खबर चर्चाओं में है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भाजपा डॉ. रमन सिंह नहीं बल्कि, पीएम नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ेगी। दरअसल हाल ही में हुए खैरागढ़ उपचुनाव के दौरान चुनावी कमान संभालने के बाद भी रमन सिंह भाजपा को जीत नहीं दिलवा पाए, जिसके बाद से यहां डेढ़ साल बाद होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर बीजेपी की चिंताएं बढ़ गई हैं। हाल ही में भाजपा संगठन के बड़े नेता शिवप्रकाश और छत्तीसगढ़ प्रभारी डी पुरंदेश्वरी ने भी कहा था कि भाजपा छत्तीसगढ़ के किसी नेता को सीएम प्रोजेक्ट करके चुनाव नहीं लड़ेगी, क्योंकि चुनाव पूरी पार्टी लड़ेगी।

खैरागढ़ चुनाव हारने के बाद उठे रमन के नेतृत्व पर सवाल
छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद से ही भाजपा के कामकाज और सियासत केवल रमन सिंह के इर्दगिर्द घूमती रही है। रमन सिंह लगातार 15 साल तक छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रहे हैं। 2018 में कांग्रेस से करारी शिकस्त मिलने के बाद उन्हें पार्टी ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया, लेकिन फिलहाल वही छत्तीसगढ़ में बीजेपी के सबसे बड़े नेता हैं। क्योंकि भाजपा ने जिस खैरागढ़ उपचुनाव में हार का सामना किया है, वह रमन सिंह के गृहजिले की ही विधानसभा सीट थी। ऐसे में बीजेपी का बड़े अंतर से हारना उनकी कप्तानी पर सवाल उठा रहा है।

ओबीसी वर्ग का नेता ले सकता है जगह
सूत्रों की माने तो भाजपा राष्ट्रीय नेतृत्व रमन सिंह के प्रभावहीन हो जाने की वजह से उनकी जगह कोई दूसरा नेता तलाश रही है। भाजपा संगठन पार्टी अब पिछड़ा वर्ग से आने वाले किसी नेता को प्रमोट करने पर विचार कर रही है, क्योंकि पिछड़ावर्ग बाहुल्य छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने पूरे राज्य में स्थानीय मूल के ओबीसी नेताओं की फौज खड़ी कर रखी है। सीएम भूपेश बघेल खुद ओबीसी वर्ग से आते हैं। इसके अलावा कांग्रेस ने आदिवासी समुदाय और किसानों को भी साध रखा है। ऐसे में भाजपा किसी सवर्ण वर्ग नेता पर दांव ना खेलकर मूल रूप से छत्तीसगढ़िया, ओबीसी और किसान नेता पर दांव खेलना चाहेगी। माना जा रहा है कि आगामी 2 महीनों में बीजेपी छत्तीसगढ़ में बड़े फैसले लेते हुए नेतृत्व परिवर्तन कर सकती है।

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस हुई मजबूत, भाजपा कमजोर
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ की 90 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के पास 71 सीटें हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में रमन सिंह की अगुवाई वाली भाजपा को मात्र 14 सीटों से संतोष करना पड़ा था। विधानसभा चुनाव जीतने के बाद छत्तीसगढ़ में कांग्रेस लगातार मजबूत होती जा रही है। उसने बीते तीन सालों में नगरीय निकाय चुनाव, पंचायत चुनाव और 4 उपचुनावों में जीत हासिल करके भाजपा को हर मोर्चे पर पीछे धकेल दिया है। कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ की भाषा, परंपरा और छत्तीसगढ़िया वाद का सहारा लेकर भाजपा के वोट बैंक को कमजोर कर दिया है।
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