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दुनिया के अनोखे नंदी ने दम तोड़ा, तीन नेत्र, तीन सींग लेकर जन्मे थे, संतों की तरह दी विदाई

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देश-दुनिया में त्रिनेत्र अर्थात तीन आंख और तीन सींग वाले इकलौते नंदी महाराज (बैल) ने बुंदेलखंड के छतरपुर स्थित जटाशंकर धाम में शरीर त्याग दिया। नंदी कुछ दिनों से बीमार थे। मंदिर कमेटी ने उनका संत-महंतों की तरह अंतिम संस्कार किया। जहां नंदी को रखा जाता था, वहीं पर 6 वाय 8 फीट का गड्ढा खोदकर समाधि दी गई। मंदिर ट्रस्ट यहां नदी की हूबहू प्रतिमा स्थापित कर मंदिर बनवाएगी। बता दें कि करीब 15 साल पहले गाय का एक वयस्क बछड़ा जिसके सिर पर तीन सींग व तीन आंखें थी, अपने आप जटाशंकर धाम पहुंच गया था, तब से यहां भगवान भोलेनाथ के भक्त उन्हें नंदी के स्वरुप में पूजते रहे हैं।

वैदिक मंत्रोच्चार के साथ दी गई नंदी बाबा को समाधि

वैदिक मंत्रोच्चार के साथ दी गई नंदी बाबा को समाधि

छरतपुर जिले के प्रसिद्ध तीर्थक्षेत्र जटाशंकर धाम में तीन नेत्र व तीन सींग वाले नंदीबाबा के देह त्यागने के बाद उनको जहां रखा जाता था, उसी स्थान पर वैदिक रीति-रिवाज से समाधि दी गई है। सुबह 10 बजे यहां समाधि स्थल पर करीब 8 वाय 5 फीट गहरा गड्ढ़ा खोदा गया। मंत्रोच्चार के साथ किसी संत की तरह समाधि देने की पूरी प्रक्रिया अपनाई गई और नंदी बाबा को जमीन में समाधि देकर मंत्रोच्चार के साथ परिक्रमा की गई।

15 साल पहले अनाचक टहलते-टहलते पहुंचे थे जटाशंकर धाम

15 साल पहले अनाचक टहलते-टहलते पहुंचे थे जटाशंकर धाम

मंदिर ट्रस्ट के सदस्यों के अनुसार करीब 15 साल पहले एक अनोखा और अद्भुत दिखने वाला करीब 6 साल का नंदी जटाशंकर धाम अचानक ही पहुंच गया था। इनके तीन सींग थे व माथे पर तीसरी आंख होने का निशान बना था। देखने पर ऐसा प्रतीत होता था कि तीसरा नेत्र भी मौजूद है। दोनों सींगों के बीचों-बीच तीसरा सींग भी मौजूद था। इसको देखकर लगता था मानों नंदी के सिर पर त्रिशूल बना हो। यह नंदी कहां से आया, किस गाय ने इसको जन्म दिया था, आज तक इसका पता नहीं चल सका।

जटाशंकर आने वाला हर भक्त, संत, नेता, अधिकारी दर्शन करने जाता था

जटाशंकर आने वाला हर भक्त, संत, नेता, अधिकारी दर्शन करने जाता था

जटाशंकर आने वाले प्रत्येक भक्त, संत, नेता, अधिकारी जो भी भोलेनाथ के दर्शन करने आते थे, उसके बाद वे साक्षत नंदी महाराज के दर्शन करने जरुर जाते थे। बीते 15 साल में यहां परम्परा बन गई थी, कि नन्दी बाबा के दर्शन किए बगैर भोलेनाथ के दर्शन पूर्ण नहीं माने जाते थे। संतों में देवकीनंदन ठाकुर, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से लेकर तमाम संत, प्रशासनिक अधिकारी यहां नंदी बाबा के दर्शन करने जाते रहे हैं।

स्मृति स्थल बनेगा, प्रतिमा भी लगेगी

स्मृति स्थल बनेगा, प्रतिमा भी लगेगी

जटाशंकर धाम ट्रस्ट व धार्मिक समिति सदस्यों ने नंदी बाबा के समाधि स्थल पर स्मृति स्थल बनाने का निर्णय किया है। यहां पर बाकायदा मंदिर की तरह स्वरुप दिया जाएगा और हूबहू नंदीबाबा की तीन सींग और तीन नेत्र वाली प्रतिमा स्थापित कर प्राण-प्रतिष्ठा कराई जाएगी।

व्यापारियों ने दुकानें बंद रखी, समाधि स्थल पहुंचे

व्यापारियों ने दुकानें बंद रखी, समाधि स्थल पहुंचे

नंदी बाबा के समाधि के दौरान बीते रोज जटाशंकरधाम के आसपास को पूरा बाजार बंद रहा। किसी भी दुकानदार ने अपनी दुकान नहीं खोली। नंदी महाराज को यह उनकी सच्ची श्रृद्धाजंलि थी। दुकानदार मंदिर परिसर में पहुंचे और नंदीबाबा की समाधि कार्यक्रम में शामिल हुए। लोगों ने समाधि के दौरान मिट्टी डाली, पुष्प चढ़ाए और परिक्रमा कर उन्हें प्रणाम कर विदाई दी।

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English summary
The world's unique Nandi Maharaj with three horns and three eyes left his body. Nandi, who has been a center of special attraction and faith for the last 15 years in Jatashankar Dham of Chhatarpur district of Madhya Pradesh, left his body at the age of 21, and the temple committee gave him the tomb like a saint.
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