जयललिता के बाद क्या पार्टी को बिखरने से रोक पाएंगी शशिकला?
जयललिता की मौत के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री को सहमति से चुन लिए जाने से पार्टी की एक मुश्किल तो खत्म हो गई है लेकिन बड़ी चुनौतियां अभी बाकी हैं।
चेन्नई। अम्मा के नाम से मशहूर जयललिता अन्नाद्रमुक का अकेला स्टार चेहरा थीं। उन्हीं के नाम पर सब योजनाएं चलती थीं और उन्हीं के नाम पर इलेक्शन होता था। अब अम्मा नहीं हैं तो सवाल ये है कि क्या पार्टी एकजुट बनी रह पाएगी।
जयललिता की मौत के बाद दो नामों पर सबकी निगाहें हैं एक तरफ नए मुख्यमंत्री ओ पनीर सेल्वम हैं तो दूसरी जयललिता की खास शशिकला। सेल्वम को सरकार का मुखिया बनाया गया है, तो पार्टी की कमान शशिकला के पास आई है।
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भले ही जयललिता की मौत के बाद ओ पनीरसेल्लवम को मुख्यमंत्री बनाकर पार्टी और शशिकला ने पहली मुश्किल पार कर ली हो लेकिन पार्टी के कार्यकर्ताओं और राजनीति पर पैनी निगाह रखने वाले अन्नाद्रमुक के एकजुट बने रहने इस बात को लेकर असमंजस में हैं।
क्या खास था जयललिता के ताबूत में?
पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं के मुंह से ये बात सुनी जाने लगी है कि शशिकला तब से ही पार्टी पर अपनी पकड़ मजबूत करने लगी थीं, जब जयललिता अस्पताल में थीं।
कुछ नेताओं को ये भी शिकायत है कि शशिकला ने अम्मा के अस्पताल में होने के दौरान किसी भी कार्यकर्ता को उनसे नहीं मिलने दिया।
अपने परिवार के लोगों को पार्टी में ला सकती हैं शशिकला
कई नेताओं का कहना है कि अम्मा की बीमारी में तो सभी चुप रहे लेकिन अब शशिकला के खिलाफ पार्टी में एक गुट तैयार हो रहा है। आईबी भी पार्टी की गतिविधियों पर नजर रख रही है।
बताया जा रहा है कि पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की शशिकला के क्रियाकलापों पर नजर लगी हुई है। पार्टी के लोगों को लगता है कि शशिकला अपने परिवार के लोगों को पार्टी में ला सकती हैं।
कौन हैं शशिकला, जो अम्मा के साथ साए की तरह रहती थीं?
वहीं कुछ नेताओं का कहना है कि अगर शशिकला ने अपने परिवार का दबदबा पार्टी में बढ़ाने की कोशिश की तो उनके विरोधी गुट को बगावत का मौका मिल जाएगा।
सोमवार देर रात जयललिता की मौत हो गई थी। मंगलवार को उनकी करीबी दोस्त शशिकला ने ही उनके अंतिम संस्कार की रस्में की थीं।
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