चेन्नई न्यूज़ के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
Oneindia App Download

शशिकला को सलाखों के पीछे पहुंचाने वाले वकील ने कहा- मुझ पर था भारी राजनीतिक दबाव

शशिकला और तमिलनाडु की सीएम रहीं जयललिता की आय से अधिक संपत्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला सुनाया उसमें इस वकील का बड़ा योगदान है।

By Rahul Sankrityayan
Google Oneindia News
चेन्नई। तमिलनाडु की राजनीति में उस वक्त अफरातफरी मच गई जब ऑल इंडिया अन्ना द्रमुक मुनेत्र कड़गम (AIADK) की पार्टी मौजूदा महासचिव और राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की सहयोगी रही शशिकला को सुप्रीम कोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में 4 साल की सजा सुनाई। यह सजा कोर्ट ने उस वक्त सुनाई जब तमिलनाडु की राजनीति एक मोड़ पर थी और यह लगभग तय था कि शशिकला अगली मुख्यमंत्री होंगी।
शशिकला, राज्यपाल सी विद्यासागर राव से मुलाकात, सरकार बनाने का दावा पेश कर आई थीं, लेकिन सब कुछ एक झटके में पलट गया। अब इडापड्डी के पलानसामी, विधायक दल के नए नेता हैं और वो भी राज्यपाल के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश कर आए हैं।
अब आईए आपको बताते हैं उस शख्स के बारे में जिसने 13 साल इस मामले को देखा। इस मामले में वो स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर रहे और इस मामले में स्पेशल काउंसल भी। वो हैं, बी वी आचार्य। आय से अधिक संपत्ति के मामले में 13 साल बाद आए फैसले पर बी वी आचार्य कहत हैं कि किसी की सजा खुशी का मुद्दा नहीं है लेकिन संतुष्टि का है। इस आदेश के साथ सुप्रीम कोर्ट ने तेज और स्पष्ट संदेश भेजा है कि पैसा, शक्ति और प्रभाव, न्यायपालिका में कोई मायने नहीं रखते।
पब्लिक प्रॉसिक्यूटर होना कठिन कार्य

पब्लिक प्रॉसिक्यूटर होना कठिन कार्य

एक साक्षात्कार में आचार्य ने कहा कि मैंने इस लंबी कानूनी लड़ाई से यह सीखा कि एक पब्लिक प्रॉसिक्यूटर होना कठिन कार्य है। यह उनके समक्ष खड़ा होना है जिनके पास बड़ा प्रभाव, पैसा और शक्ति है। आचार्य ने कहा कि बतौर स्पेशल प्रॉसिक्यूटर इस मामले को नरमी से देखने के लिए मुझ पर तमाम राजनीतिक दबाव थे। हालांकि वो मुझे इस्तीफा देने के लिए नहीं कह सकते थे, तो वो मुझसे दो पदों में से एक को चुनने को कहते थे जो मेरे पास थे,स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर या फिर महाधिवक्ता। आखिरकार मुझे एक का चयन करने के लिए मजबूर किया गया।

परिस्थितियां ऐसी हो गईं

परिस्थितियां ऐसी हो गईं

यह पूछे जाने पर कि इस्तीफा देने के बाद भी मामला आपके पास ही रहा! इस पर आचार्य ने कहा कि परिस्थितियों ने सरकार को मेरे पास आने के लिए मजबूर किया। मेरे इस्तीफे के 1 साल बाद उन्होंने मुझसे कहा कि सिर्फ मैं ही शख्स हूं जो लिखित प्रस्तुति दे सकता है। दुर्भाग्य से हाईकोर्ट ने संपत्ति की गलत गणना की और बरी किए जाने के लिए बनाई गई रिकॉर्डिंग ने इसे और कठिन बना दिया कि हम इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में बहस करें। इसके बाद, मुझसे कहा गया कि मैं इस केस में बहस करूं और मैं आज इस फैसले से संतुष्ट हूं।

मैं इस बात से हूं खुश

मैं इस बात से हूं खुश

आचार्य ने बताया कि मैं इस बात से खुश हूं कि हमारी अपील के दो माह के भीतर ही सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया। लेकिन जब जयललिता अस्पताल में थीं मैं ने सोचा कि उस वक्त हमारे लिए अपील करना अमानवीय था। यहां तक कि उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी मामले को नहीं उठाया और इसी वजह से मैंने अपने साथी दुष्यंत दवे से यह मामला सुप्रीम कोर्ट में उठाने के लिए कहा।

पैसे और प्रभाव वाले लोग नहीं बच सकते

पैसे और प्रभाव वाले लोग नहीं बच सकते

आचार्य ने कहा कि इस फैसले से यह संदेश गया कि पैसे और प्रभाव के साथ लोग कानून के लंबे हाथ से नहीं बच सकते। कहा कि इस फैसले से यह संदेश गया कि जिला स्तरीय जज भी एक मुख्यमंत्री को सजा सुना सकता है और उसके शक्तिशाली साथियों को भी। इस फैसले ने न्यायपालिका में मेरा विश्वास फिर से जगा दिया है। आचार्य ने कहा कि मैं मामले के राजनीतिक पहलुओं में जाने से बचना चाहता हूं। मैं सिर्फ यह कहना चाहता हूं कि फैसला जल्दी नहीं दिया गया।

Comments
English summary
B V Acharya said i was forced to soft-pedal in the jayalalithaa and sasikala case.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X