चंडीगढ़ न्यूज़ के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
Oneindia App Download

पंजाब के संगरूर से फिर मैदान में 'आप' के भगवंत मान, लेकिन इस बार आसान नहीं राह

Google Oneindia News

संगरूर। पंजाब का संगरूर संसदीय चुनाव क्षेत्र ऐसा इलाका है, जहां आज तक कोई नेता दूसरी बार सांसद नहीं बन पाया है। यह सीट इस बार आम आदमी पार्टी के कब्जे में है और भगवंत मान यहां से सांसद हैं। मान एक बार फिर आप के उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं, लेकिन 'आप' पिछली बार की तरह अब उतनी ताकतवर नहीं रही, लिहाजा भगवंत मान की राह इस बार आसान नहीं है। हालांकि, दूसरे दलों ने अभी अपने उम्मीदवार मैदान में नहीं उतारे हैं।

कॉमेडी के हुनर से अलग पहचान बनाई

कॉमेडी के हुनर से अलग पहचान बनाई

भगवंत मान के राजनैतिक भविष्य को लेकर दुनिया भर के पंजाबियों की नजर है। आप को चंदा देने वालों में सबसे अधिक प्रवासी भारतीय ही हैं। यही वजह है कि यहां चुनाव इस बार काफी रोचक हो गया है। भगवंत मान पंजाब के जाने माने कॉमेडियन हैं। उन्होंने अपनी कॉमेडी के हुनर से अलग पहचान बनाई है। पंजाब में लोकप्रिय कलाकार व राजनेता हैं। मान ने हमेशा ही अपनी कॉमेडी में नेताओं को निशाना बनाया और अपने पंजाबी लतीफों से लोगों का खूब मनोरंजन किया। यही वजह रही कि संगरूर में 2014 में आसानी से मान चुनाव जीत गये।

2014 में सवा दो लाख वोट के अंतर से जीते थे मान

2014 में सवा दो लाख वोट के अंतर से जीते थे मान

मान ने 2014 के लोकसभा चुनाव में करीब सवा दो लाख वोट के अंतर से विजय हासिल की थी। उस समय कांग्रेस की गुटबाजी के चलते पार्टी के वोट बैंक में जबरदस्त सेंधमारी हुई थी और पार्टी के करीब आधे वोट, आम आदमी पार्टी के खाते में चले गए थे। इसी कारण कांग्रेस प्रत्याशी व पूर्व सांसद विजयइंदर सिंगला (वर्तमान प्रदेश कैबिनेट मंत्री) अपनी जमानत बचा नहीं सके थे। लेकिन इस बार हालात कुछ ओर हैं, आम आदमी पार्टी से खैरा ग्रुप के अलग होने से नई सियासी तस्वीर बनी है। मान पर इस बार जिम्मेवारियां बढ़ी हैं। वह पंजाब में आप के प्रमुख हैं। उन्हें विपक्षी उम्मीदवारों के अलावा पार्टी में अंसतुष्टों से भी जूझना होगा। हालांकि, आम आदमी पार्टी, शिरोमणि अकाली दल (टकसाली) से गठजोड़ की बातचीत भी चल रही है, ताकि नुक्सान को कम किया जा सके।

'आप' में फूट, सीट बचाना मुश्किल

'आप' में फूट, सीट बचाना मुश्किल

आम आदमी पार्टी में फूट के बाद मान के लिए अब अपनी सीट बचाना बड़ा सिरदर्द हो सकता है। आम आदमी पार्टी में अंदरुनी विरोध सिर उठा रहा है। उनके 20 विधायक अपने-अपने रास्ते पर चलने लगे हैं। इनमें से दो विधायक सुखपाल सिंह खैरा और बलदेव सिंह ने पंजाब एकता पार्टी के नाम से अपनी अलग पार्टी बना ली है। अन्य पांच विधायक खैरा का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने अभी तक आप से इस्तीफा नहीं दिया है। ये विधायक भगवंत मान के खिलाफ जाने का कोई भी मौका नहीं छोड़ेंगे।

जानें क्या कहता है इतिहास

जानें क्या कहता है इतिहास

इतिहास पर नजर दौड़ायें तो यहां से कभी भी दोबारा सांसद नहीं चुना जा सका है। हालांकि, प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सुरजीत सिंह बरनाला एकमात्र ऐसे राजनेता रहे हैं, जिन्होंने 1996 के आम लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के दो साल बाद 1998 में हुए मध्यावधि चुनाव में जीत हासिल कर मिसाल कायम की थी। मौजूदा सांसद भगवंत मान ने शिरोमणि अकाली दल के सुखदेव सिंह डिंडसा को 2.11 लाख वोटों हराया। वहीं, 2009 में कांग्रेस के विजय इंदर सिंघला ने शिरोमणि अकाली दल के सुखदेव सिंह डिंडसा को 40,872 लाख वोटों से हराया और 2004 में शिरोमणि अकाली दल के सुखदेव सिंह डिंडसा ने कांग्रेस के अरविंद खन्ना को 27,277 वाख वोटों से हराया। 1999 में अकाली दल अमृतसर के सिमरनजीत सिंह मान सांसद चुने गए थे और 1998 व 1996 में अकाली दल के नेता व पूर्व सीएम बरनाला सांसद बने थे।

2017 में 9 में से 5 सीटें मिली थीं

2017 में 9 में से 5 सीटें मिली थीं

कांग्रेस के गुरचरण सिंह ददाहूर 1991 में और अकाली दलमान के राजदेव सिंह 1989 में यहां से संसद पहुंचे थे। 1984 में अकाली दल के बलवंत सिंह रामूवालिया, 1980 में कांग्रेस के गुरचरण सिंह निहाल सिंहवाला और 1977 में अकाली दल के सुरजीत सिंह बरनाला ने चुनाव में जीत दर्ज की थी। 1971 में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के तेजा सिंह स्वतंत्र यहां से सांसद निर्वाचित हुए थे। 1962 में सीपीआईके रणजीत सिंह सांसद बने थे। संगरूर लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाले भादंर विधानसभा क्षेत्र के एक विधायक पीरमल सिंह धौला का कहना है, उनके पास पार्टी के किसी नॉमिनी का समर्थन करने का कोई कारण नहीं है। उन्होंने कहा, हम अपनी विचारधारा के अनुकूल सोच वाले उम्मीदवार का समर्थन करेंगे। 2017 में संगरूर ने 9 विधानसभा सीटों में से आम आदमी पार्टी को 5 सीटें मिली थीं।

नहीं आसान मान की राह

नहीं आसान मान की राह

उधर, संगरूर से कांग्रेस विधायक विजय इंदर सिंगला और धुरी से कांग्रेस विधायक दलवीर सिंह गोल्डी मान कहते हैं कि मान इस बार चुनाव नहीं जीत सकते। पंजाब के लोक निर्माण मंत्री सिंगला कहते हैं, मान ने बहुत से वादे किए थे, लेकिन उन्हें पूरा करने के लिए कुछ नहीं किया गया। गोल्डी के भी यही विचार हैं। मान का आत्मविश्वास पहले जैसा नहीं है। उन्हें कड़ा मुकाबला करना पड़ेगा, यह तय है। वह पहले वाली परफॉर्मेंस नहीं दोहरा पाएंगे। बहरहाल, संगरूर संसदीय सीट पर सियासी पत्ते पूरी तरह से नहीं खुले हैं। चुनाव प्रचार ने भी जोर नहीं पकड़ा है। ऐसे में आने वाला वक्त ही बताएगा कि मतदाताओं की चुप्पी को तोड़ने में किस सियासी पार्टी का नेता सफल हो पाता है।

ये भी पढ़ें: बठिंडा सीट से एक बार फिर हरसिमरत कौर मैदान में, दांव पर लगी बादल परिवार की प्रतिष्ठाये भी पढ़ें: बठिंडा सीट से एक बार फिर हरसिमरत कौर मैदान में, दांव पर लगी बादल परिवार की प्रतिष्ठा

Comments
English summary
tough fight for aap leader bhagwant mann in sangrur
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X