उद्योग जगत से बड़ी खबर, टाटा संस से अलग होगा शापूरजी पल्लोनजी ग्रुप
नई दिल्ली। उद्योग जगत से एक बड़ी खबर आ रही है। भारत के दो सबसे बड़े ग्रुप्स टाटा संस और शापूरजी पल्लोनजी ग्रुप का पिछले 70 सालों का रिश्ता आखिरकार टूट गया है। शापूरजी पल्लोनजी ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट में बताया है कि वो टाटा संस से अलग हो रहा है। ये ग्रुप साइरस मिस्त्री का है। जिनका टाटा संस के साथ पिछले काफी समय से विवाद चल रहा है। ये पूरा मामला टाटा संस में मिस्त्री ग्रुप के शेयरों को गिरवी रखने का है। टाटा ग्रुप ने शेयरों को गिरवी रखे जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
मिस्त्री परिवार ने कहा कि टाटा संस से निकलना शेयरधारकों के हित में है। कंपनी ने कहा, "आज शापोरजी पालोनजी ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि टाटा ग्रुप से अलग होना जरूरी है क्योंकि कानूनी लड़ाई से सिर्फ आर्थिक नुकसान होगा।" शापोरजी पालोनजी ग्रुप ने अपनी दो सब्सिडियरी कंपनियों-साइरस इनवेस्टमेंट और स्टर्लिंग इनवेस्टमेंट के जरिए टाटा संस में कुल 18.4 फीसदी हिस्सेदारी है। टाटा संस की बाकी हिस्सेदारी टाटा ग्रुप ने टाटा ट्रस्ट और ग्रुप की दूसरी कंपनियों के जरिए ली है। शापोरजी पालोनजी ग्रुप अब यह हिस्सेदारी बेचकर फंड जुटाएगा। टाटा ग्रुप यह हिस्सेदारी खरीदने के लिए तैयार है।
कंपनी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब टाटा ग्रुप और साइरस मिस्त्री के बीच दिसंबर 2016 से ही कानूनी लड़ाई चल रही है। अक्टूबर 2016 में साइरस मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटा दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को शापोरजी पालोनजी के टाटा संस के शेयर बेचने पर 28 अक्टूबर तक की रोक लगा दी है। शापोरजी पालोनजी ग्रुप के हिस्सेदारी गिरवी रखने पर रोक लगाने के लिए 5 सितंबर को टाटा ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। टाटा संस की तरफ से हरीश साल्वे और अभिषेक मनु सिंघवी केस लड़ रहे हैं। इनकी दलील है कि अगर कोई शेयर बेचता है तो कंपनी के आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन (AoA) के तहत सबसे पहले शेयर खरीदने का अधिकार टाटा संस के पास होगा।
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