भोजन, ईंधन की महंगाई से खुदरा मुद्रास्फीति दर बढ़कर हुई 4.87 फीसदी
नई दिल्ली। खाने-पीने की चीजों और ईंधन (पेट्रोल-डीजल, गैस) की कीमतों में तीव्र वृद्धि से देश की खुदरा महंगाई दर अप्रैल में बढ़कर 4.87 फीसदी रही, जो कि इसके पिछले महीने 4.58 फीसदी पर थी। अप्रैल में दर्ज की गई खुदरा मुद्रास्फीति 4 महीने के सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। यह सांतवा महीना है जब मुद्रस्फीति रिजर्व बैंक के अनुमान को पार कर गई। आरबीआई ने इस महीने में 4 प्रतिशत का अनुमान लागाया था।
आरबीआई ने पिछले हफ्ते ही बढ़ती महंगाई का हवाला देते हुए बेंचमार्क इंटरेस्ट रेट 0.25 फीसदी बढ़ाकर 6.25 फीसदी कर दी थी, जो 2014 के बाद पहली बढ़ोत्तरी है। RBI ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के लिए अपने मुद्रास्फीति अनुमान को बढ़ाकर 4.7 फीसदी कर दिया था, जबकि पहले 4.4 फीसदी का अनुमान था।
इस मंहगाई के पीछे का कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी-ईरान परमाणु समझौते से वापस के निर्णय के बाद वैश्विक बाजार में तेल की कीमतें पिछले साढ़े तीन साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी। जिसका सीधा असर खुदरा मंहगाई पर देखने को मिला। अर्थशास्त्री कुणाल कुंडू ने कहा, 'कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी न केवल मुद्रास्फीति को प्रभावित करेगी बल्कि जुड़वां घाटे बढ़ने के साथ ही कीमत के स्तर पर भी दबाव डालेगी।'
सेंट्रल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस (सीएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक फूड बास्केट में कुछ आइटम्स की कीमतों में बढ़ोत्तरी से भी महंगाई पर प्रेशर बढ़ा है। मई में खाद्य मुद्रास्फीति 3.10 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई, जबकि अप्रैल में यह आंकड़ा 2.8 फीसदी था।
आपको बता दें कि आरबीआई ने पिछले महीने मुद्रस्फीति पर लगाम लगाने के लिए चार सालों में पहली बार रेपो रेट में वृद्धि की थी। हालांकि, केंद्रीय बैंक ने अपनी तटस्थ नीतिगत दृष्टिकोण को अपरिवर्तित रखा। रॉयटर्स पोल ऑफ इक्नोमिस्ट ने मुद्रास्फीति 4.83 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया था। साथ ही आने वाले महीनों में आरबीआई को नीति कड़ी करने का भी सुझाव दिया था।
महीना | रिटेल महंगाई |
मई 2018 | 4.87% |
अप्रैल 2018 | 4.58% |
मार्च 2018 | 4.28% |
फरवरी 2018 | 4.44% |
जनवरी 2018 | 5.07% |
दिसंबर 2017 | 5.21% |