'2037 तक भारत होगा विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था', यूके की एजेंसी का अनुमान
यूके की एजेंसी का अनुमान है कि भारत की अर्थव्यवस्था 2037 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी।
Indian Economy: भारत की आर्थिक प्रगति को लेकर भारतीय रिसर्च एजेंसी ने बड़ा दावा किया है। सेंटर फॉर इकोनॉमिक्स एंड बिजनेस रिसर्ज ने सोमवार को कहा कि भारत की विकास यात्रा काफी अच्छी है और वर्ष 2037 तक भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों की लिस्ट में पांचवे पायदान से तीसरे पायदान पर पहुंच जाएगा। Cebr की ओर से कहा गया है कि भारत फिलहाल वर्ल्ड इकोनॉमिक लीग टेबल में पांचवे पायदान पर है, लेकिन 2037 तक तीसरे पायदान पर पहुंच जाएगा। अगले पांच सालों तक भारत की जीडीपी 6.4 फीसदी तक रहने की संभावना है। इसके बाद विकास दर तकरीबन 9 साल तक औसत 6.5 फीसदी से ऊपर रहेगी।
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सर्विस सेक्टर अहम
सेबर की रिपोर्ट में कहा गया है कि पीपीपी एडजस्टेड जीडीपी पर कैपिटा 8293 यूएस डॉलर है जोकि लोवर मिडल इंकम की श्रेणी में आती है। पीपीपी जीडीपी को देश की कुल खरीद की क्षमता को डॉलर में तब्दील करके निकाला जाता है। अधिकतर देश की आर्थिक गतिविधि सर्विस सेक्टर में ही है। कोरोना ने दक्षिण एशिया के देशों को बुरी तरह से प्रभावित किया है। कोरोना से मरने वालों की बात करें तो भारत तीसरे पायदान पर है, जहां पर लोगों सबसे अधिक मृत्यु हुई है। जिसके चलते देश में आर्थिक गतिविधि की रफ्तार धीमी हुई है।
अन्य देशों की तुलना में महंगाई कम
हालांकि कोरोना के चलते देश की आर्थिक रफ्तार में ब्रेक जरूर लगी थी, लेकिन बहुत ही तेजी से यह वापस पटरी पर लौटी है। घरेलू मांग बढ़ने से वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी 8.7 फीसदी तक पहुंची, जोकि दुनिया के किसी भी देश की तुलना में कहीं अधिक है। यूके आधारित कंपनी सेबर का मानना है कि आगामी वित्त वर्ष अहम रहने वाला है। यही नहीं भारत में अन्य देशों की तुलना में महंगाई कम ही रही है। फिलहाल भारत में महंगाई का बात करें तो यह मुख्य रूप से खाद्यान में है। रिजर्व बैंक ने हाल ही में ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी की ताकि महंगाई पर काबू किया जासके। सेबर के अनुसार महंगी ब्याज दरों का असर लोगों पर कर्च को बढ़ाएंगा, खासकर कि निर्माण क्षेत्र में।
कर्ज को कम करना होगा
रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा समय में सरकार का कर्ज जीडीपी का तकरीबन 83.4 फीसदी है, जबकि वित्तीय घाटा जीडीपी का तकरीबन 9.9 फीसदी है। ऐसे में सरकार को भारतीय अर्थव्यवस्था को कर्ज के बोझ से बचाने के लिए वित्तीय स्थिति को मजबूत करना होगा। बता दें कि सेबर ने अपने आंकड़े मुख्य तौर पर आईएमएफ की वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक से लिए हैं, जिसका इस्तेमाल विकास दर, महंगाई, एक्चजेंद दर के अनुमान में किया जाता है।
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