एक करोड़ मीट्रिक टन दाल होगी आयात तभी कम हो सकेंगी कीमतें
नई दिल्ली। भारत को दालों पर कीमतों पर नियंत्रण लगाने के लिए चालू वित्तवर्ष में एक करोड़ टन तक दालों का आयात करना होगा। एसोचैम की ओर से कराई गई एक स्टडी के मुताबिक मांग और आपूर्ति के अंतर को कम करने और बढ़ती कीमतों पर लगाम के लिए भारी मात्रा में दालों का आयात करने की जरूरत है।
वित्त वर्ष 2014-15 में भारत ने 44 लाख टन दलहन का आयात किया था। स्टडी के मुताबिक बारिश कमजोर रहने की वजह से इस वर्ष दाल का उत्पादन घटकर 1.7 करोड़ टन रहने का अनुमान है।
2014-15 में यह 1.72 करोड़ टन रहा था। इसके अलावा मांग बढ़ने की वजह से कुल 1.01 करोड़ टन दाल आयात की जरूरत होगी।
हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर आपूर्ति में अड़चनों की वजह से इस मांग-आपूर्ति के अंतर की भरपाई मुश्किल होगी।
एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने कहा कि इस साल हम मुश्किल स्थिति का सामना कर रहे हैं, लेकिन हम इसे जारी नहीं रहने दे सकते। इससे प्रतिकूल पारिस्थितिकी तंत्र बनेगा और नकारात्मक संवाद की स्थिति पैदा होगी।
इसके अलावा खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ेंगे जिसका प्रभाव मुख्य मुद्रास्फीति पर दिखेगा। महाराष्ट्र खरीफ दलहन का सबसे बड़ा उत्पादक है। उसकी हिस्सेदारी 24.9 प्रतिशत की है।
उसके बाद कर्नाटक (13.5 प्रतिशत), राजस्थान (13.2 प्रतिशत), मध्य प्रदेश (10 प्रतिशत) और उत्तर प्रदेश (8.4 प्रतिशत) का नंबर आता है। इन पांच राज्यों की देश के कुल खरीफ दलहन उत्पादन में 70 प्रतिशत हिस्सा बैठता है।