भारत-चीन सीमा विवाद: दवाओं को छोड़कर मेड इन चाइना प्रोडक्ट्स के आयात पर बढ़ेगी कस्टम ड्यूटी
भारत-चीन सीमा विवाद: दवाओं को छोड़कर मेड इन चाइना प्रोडक्ट्स पर बढ़ेगी कस्टम ड्यूटी
नई दिल्ली। सरकार चीन के साथ सीमा विवाद के बीच चाइना के व्यापार पर लगाम लगाने जा रही हैं। गालवाल घाटी पर भारतीय सेना के 20 जवानों के शहीद होने के बाद देश भर में चाइना के प्रति आक्रोश हैं और बायकाट चाइनीज प्रोडक्ट्स का अभियान छिड़ गया है। पिछले चंद दिनों में बार्डर पर इस हिंसक झड़प के बाद भारत सरकार ने चाइना को बड़ा झटका देते हुए कई बड़े प्रोजेक्ट चाइना से वापस छीन लिए हैं। वहीं अब सीमा पर तनाव के बीच भारत सरकार ने दवाओं को छोड़कर सभी मेड इन चाइना प्रोडक्ट्स पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाने का फैसला किया हैं।
भारत सरकार ने CII, FICCI और ASSOCHAM को दर्जनों ईमेल
केन्द्र सरकार ने CII, FICCI और ASSOCHAM जैसे उद्योग निकायों को लगभग दो दर्जन ईमेल भेजे हैं। दवाओं के निर्माण में उपयोग किए जाने वाले एपीआई को छोड़कर अन्य सभी चाइनीज सामानों के आयात शुल्क में बढ़ोतरी होना तय माना जा रहा है। ईमेल डीजीएफटी से अन्य दक्षिण एशियाई देशों से आयात का विवरण भी मांगवाएं हैं माना जा रहा है कि चीन भविष्य में सामानों को दरकिनार करने की कोशिश कर सकता है। इसलिए भारत ने अभी से विकल्प तलाशना शुरु कर दिया हैं। मालूम हो कि विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) के कार्यालय से ऐसे ईमेल भी भेजे गए हैं जो ताइवान, सिंगापुर, मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे कुछ अन्य देशों से आयात किए गए सामानों का विवरण मांगा गया हैं।
भारत का सबसे बड़ा आयतक हैं चाइना
भारत के कुल आयात में करीब 14 प्रतिशत हिस्सा चीन का है। अप्रैल 2019 से फरवरी 2020 के दौरान भारत ने चीन से 62.4 अरब डॉलर मूल्य का सामान आयात किया, जबकि निर्यात 15.5 अरब डॉलर था। वित्तीय वर्ष 2020 में 65.26 बिलियन डॉलर के सामान के साथ चीन भारत के लिए सबसे बड़ा आयातक है। हांगकांग से $ 16.9 बिलियन आयात हुआ। सरकार लगभग सभी सामानों के आयात को निलंबित करने की दिशा में अध्ययन कर रही है जो वर्तमान में सक्रिय दवा सामग्री को छोड़कर चीन से आयात किए जाते हैं जो दवाओं के निर्माण के लिए आवश्यक हैं। भारत ने 2019-20 में $ 474 बिलियन का सामान आयात किया, 2018-19 में लगभग 8 प्रतिशत की गिरावट आई, जिसमें से चीन से आयात 65.26 बिलियन डॉलर था। यह भारत के लिए अब तक का सबसे बड़ा आयातक था, जिस तरह अमेरिका से $ 35.66 बिलियन और यूएई 30.25 बिलियन से आगे था। 2019-20 में हांगकांग से 16.9 बिलियन डॉलर का अतिरिक्त माल भी आया।
भारत का दवा उद्योग चाइना पर हैं निर्भर
बता दें वित्त वर्ष 2015 में चीन से फार्मास्युटिकल उत्पादों का आयात केवल 166.2 मिलियन डॉलर था, लेकिन 12 प्रतिशत की वृद्धि के साथ कुछ वस्तुओं में से एक था। भारत, जिसके पास वॉल्यूम के मामले में दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा दवा उद्योग है, एपीआई के लिए चीन पर निर्भर है। फरवरी में, रसायन और उर्वरक मंत्री डी वी सदानंद गौड़ा ने संसद में कहा था कि थोक दवाओं या ड्रग बिचौलियों के कुल आयात का दो-तिहाई चीन से आता है। एंटीबायोटिक दवाओं को बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले एपीआई इसका हिस्सा हैं। भारत की अनुमानित 90 प्रतिशत एपीआई की वार्षिक आवश्यकता आयात की जाती है।
कम गुणवत्ता वाले सामान की लिस्ट तैयार करवा रही केन्द्र सरकार
बता दें मोदी सरकार ने देश में आत्मनिर्भरता को बढ़ाने के लिए और आयात को कम करने के लिए चीन से आने वाले कम गुणवत्ता वाले सामान की लिस्ट तैयार करने के लिए कहा है। पीएमकार्यालय में हाल में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में कई मंत्रालयों के शीर्ष अधिकारियों ने हिस्सा लिया। उद्योग और आंतरिक व्यापार को बढ़ावा देने वाला विभाग (DPIIT) कम गुणवत्ता वाले चीनी आयात के लिए नीतिगत उपायों पर काम कर रहा है, जिसमें घड़ी, सिगरेट जैसे आइटम भी शामिल हैं। इस बैठक में डीपीआईआईटी, वाणिज्य विभाग, आर्थिक मामलों के विभाग और राजस्व विभाग के शीर्ष अधिकारियों हिस्सा लिया. DPIIT ने चीन में बनने वाले निम्न-गुणवत्ता वाले आयातों की एक लिस्ट तैयार की है जिसमें सिगरेट, तंबाकू, पेंट और वार्निश, प्रिंटिंग स्याही, मेकअप का सामान, शैम्पू, हेयर डाई, कांच के आइटम, घड़ी, इंजेक्शन की शीशी शामिल है। शनिवार को सीआईआई, फिक्की और एसोचैम जैसे कई उद्योग निकायों के साथ इस लिस्ट को शेयर किया गया था और आयात शुल्क पर सुझाव देने के लिए कहा। बैठक में DPIIT और राजस्व विभाग ने कम से कम 300 वस्तुओं पर सीमा शुल्क बढ़ाने पर चर्चा की।
इन सामानों पर भी भारत की चाइना पर निर्भीरता अधिक है
इलेक्ट्रिकल मशीनरी और उपकरण सबसे बड़ी कमोडिटी बनाते हैं जो चीन से भारत में $ 19.1 बिलियन में आयात की जाती है, इसके बाद परमाणु रिएक्टरों, बॉयलरों, मशीनरी और मैकेनिकल पार्ट्स पर $ 13.32 बिलियन, 7.9 बिलियन डॉलर में ऑर्गेनिक केमिकल्स, 2.7 बिलियन डॉलर में प्लास्टिक का सामान और 1.8 मिलियन डॉलर में फर्टिलाइजर का उत्पादन होता है। एक अन्य 8.7 बिलियन डॉलर की इलेक्ट्रिकल मशीनरी और उपकरण भी हांगकांग से आयात किए गए हैं। सौर पैनलों, विद्युत भागों और लिथियम आयन बैटरी जैसे कुछ अन्य सामानों पर चीन पर भारत की निर्भरता भी अधिक है, लेकिन एपीआई के विपरीत, इन उत्पादों को लेने के लिए भारत के उद्योग संघों के बीच आम सहमति की कमी है। चीन से आयात होने वाले मुख्य वस्तुओं में घड़ी, संगीत उपकरण, खिलौने, खेल के सामान, फर्नीचर, गद्दे, प्लास्टिक, इलेक्ट्रिकल मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, रसायन, लोहा एवं इस्पात के सामान, उर्वरक, खनिज ईंधन और धातु शामिल हैं। शुल्क बढ़ाने का कदम ऐसे समय उठाया जा रहा है, जब सरकार स्थानीय स्तर पर विनिर्माण और ‘मेक इन इंडिया'को बढ़ावा देने पर काम कर रही है।
2014-15 और 2018-19 के बीच आयात में बढोतरी हुई
2014-15 और 2018-19 के बीच आयात में बढोतरी हुई। भारत के आयात में लगभग 14 प्रतिशत हिस्सा चीन का है, जिसमें मोबाइल फोन, दूरसंचार, बिजली, प्लास्टिक के खिलौने और फार्मास्युटिकल उत्पाद जैसे सामान उल्लेखनीय हैं। शनिवार को हुई इस बैठक में अंतरराष्ट्रीय नियम-आधारित व्यापारिक मापदंडों पर भी चर्चा की गई। विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों के अनुसार, किसी देश को केवल राष्ट्रीय सुरक्षा, पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा जैसे सीमित परिस्थितियों में एक विशिष्ट व्यापारिक भागीदार के खिलाफ कस्टम ड्यूटी बढ़ाने की अनुमति है।
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