सफलता सबको अच्छी लगती हैं, लेकिन कोई संघर्ष नहीं देखना चाहता,प्रफुल्ल से जाने क्या है MBA चाय का राज
नई दिल्ली, 17 सितंबर। 20 साल की उम्र में MBA की तैयारी करने घर से निकले प्रफुल्ल बिल्लोर को भी पता नहीं था कि ये एक एमबीए शब्द एक दिन उन्हें दुनियाभर में मशहूर बना देगा। इंदौर से अहमदाबाद पहुंचे प्रफुल्ल का सपना IIM कर एक अच्छी नौकरी हासिल करना था, लेकिन जब एमबीए में सफलता नहीं मिला तो प्रफुल्ल ने चाय का ठेला लगाने का सोचा। सुखी सम्पन्न परिवार से आने वाले प्रफुल्ल ने जब घरवालों से इसकी चर्चा की तो जैसा सोचा था, वैसा ही रिएक्शन मिला। जिस समाज में लोग अपने बच्चों को पढ़ा-लिखाकर इसलिए बड़ा करते हैं, ताकि बेटा नाम रौशन करें, अच्छी नौकरी और कारोबार करें, वहां प्रफुल्ल , जो घर से तो एमबीए की तैयारी के लिए निकले थे, लेकिन चाय का ठेला लगाने की ठान बैठे थ उनके लिए परिवार को मना पाना आसान नहीं था।
कैसे आया चाय का ठेला लगाने का आइडिया
वनइंडिया के साथ खास मुलाकात में प्रफुल्ल बिल्लोर ने बताया कि मेकडोनाल्ट में बर्गर खाते वक्त उन्हें ये आइडिया आया था, कि क्यों न खुद का काम शुरू किया जाए। भारत में चाय एक ऐसी चीज है, जो पूरे देश को जोड़ती है। प्रफुल्ल ने बड़ा सोचा और चाय के ठेले के साथ इसकी शुरुआत करने की सोची। उन्हें पता था, कोई आसानी ने नहीं मानेगा। मां की मदद से किसी तरह से उन्हें चाय का ठेला लगाने के लिए पिताजी से 8000 रुपए की पूंजी मिली। पहला ठेला अहमदाबाद में उन्होंने सड़क के किनारे लगा दिया। उस वक्त 20 साल के प्रफुल्ल को पता नहीं था कि ठेला लगाना और चाय बेचना इतना आसान नहीं होगा। 3 बार जेल की हवा खानी पड़ी। चिलचिलाती गर्मी में मच्छरों के बीच प्रफुल्ल सड़क किनारे अपने चाय के ठेले पर ग्राहकों का इंतजार करते रहते। प्रफुल्ल समझ गए थे कि सक्सेस इतनी आसानी से नहीं मिलेगी। एमबीए की तैयारी के दौरान जो भी नॉलेज उन्हें मिली, उन्होंने अब उसका इस्तेमाल अपने चाय के ठेले पर लगाना शुरू कर दिया। अंग्रेजी बोलकर चाय बेचना हो या लोगों को इंप्रेस करने वाले ऑफर्स हो प्रफुल्ल के आइडिया और बाकियों से उनका अलग अंदाज लोगों को लुभाने लगा।
क्या है MBA चाय का राज
प्रफुल्ल ने बातचीत के दौरान बताया कि MBA चाय वाला नाम उन्होंने मिस्टर बिल्लोरे अहमदाबाद के शॉर्टफॉर्म से तैयार किया, लेकिन अधिकांश लोग इसे उनकी एमबीए की पढ़ाई से जोड़कर देखते हैं। प्रफुल्ल ने दिन रात की मेहनत कर 3 से 4 साल के भीतर ही 8000 की पूंजी को करोड़ों में बदल दिया। देशभर में MBA चायवाला की फ्रेंचाइजी चलती है। हालांकि प्रफुल्ल का सपना इतना ही नहीं है। देश की इकोनॉमी को लेकर प्रफुल्ल ने प्लान तैयार कर रखा है। भले ही प्रफुल्ल राजनीतिक रैलियों में, राजनेताओं के लिए चाय बनाते दिखे हो, लेकिन वो खुद को पॉलिटिक्स से दूर रखना चाहते हैं। प्रफुल्ल का फोकस फिलहाल अपन बिजनेस को बढ़ाना और एमबीए चायवाले को 150 करोड़ हिन्दुस्तानियों तक पहुंचाने का है। MBA CHAI WALA के संग पूरा इंटरव्यू यहां देखें....
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