क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

उंची महंगाई से चावल की कम हो रही खपत, खरीदना छोड़ रहे लोग

Google Oneindia News

rice
मुंबई। लगातार बढ़ रही कीमतों के कारण लोगों ने चावल खाना कम कर दिया है। आपको बता दें कि एक रिपोर्ट के मुताबिक जो खपत 2004-05 वर्ष में हर माह करीब सात किलो प्रतिव्यक्ति थी वह 2011-12 में घटकर करीब चार से पांच किलो प्रतिव्यक्ति प्रति माह आ गई है। जिससे पता चलता है कि आम मध्यम वर्ग जो चावल को अपने खाने की थाली में विशेष रूप से जोड़ता था लेकिन अब चावल कम ही खा रहा है। इसकी तुलना में वह चावल के सस्ते विकल्प तलाश रहा है। भारतीय बाजार में चावल का दाम चालीस रुपए प्रतिकिलो से सौ रुपए प्रति किलो पर है। अच्छा चावल लेना है तो पचास रुपए प्रतिकिलो से नीचे नहीं मिलता।

सब्सिडी वाला चावल चाहते हैं लोग

खुले बाजार में चावल महंगे होने से चावल खरीदने से बच रहे शहरी व ग्रामीण परिवार अब राशन से मिलने वाले चावल पर फोकस कर रहे हैं। जिसका उदाहरण है कि एनएसएसओ की रोपर्ट के मुताबिक पिछले कुष वर्षों में राशन की दुकान से सब्सिडीयुक्त चावल की खपर बढ़कर दौगुनी हो गई है। जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोग महंगाई से त्रस्त आकर या तो चावल का विकल्प तलाश रहे हैं या फिर सस्ता चावल।

सब्सिडी से इतना सस्ता मिलता है चावल

केंद्र सरकार चावल को गरीबी रेखा के उपर के परिवारों के लिए 8.30 रुपये प्रति किलो, गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों के लिए 5.65 रुपये प्रति किलो और अंत्योदय अन्न योजना के तहत 3 रुपये प्रति किलो की दर पर राज्यों को चावल मुहैया कराती है। सभी परिवारों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत हर माह 35 किलो चावल और गेहूं मुहैया कराया जाता है। NSSO का सर्वेक्षण 2011-12 के दौरान 7,469 गांवों और 5,268 शहरी ब्लाकों में 1,01,651 परिवारों से प्राप्त की गई सूचना पर आधारित है।

Comments
English summary
High price of rice in India lead to reduced consumption.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X