नोटबंदी की मार, फॉक्सकॉन ने 25 फीसदी कर्मचारियों को छुट्टी पर भेजा
फॉक्सकॉन के अलावा, इंटेक्स, कार्बन और माइक्रोमैक्स ने भी कही बिक्री में गिरावट की बात। कई कंपनियों ने दिए कर्मचारियों की छटनी के संकेत।
नई दिल्ली। दुनिया की बड़ी कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर कंपनी फॉक्सकॉन ने अपने 8,000 फैक्ट्री कर्मचारियों में से करीब एक चौथाई कर्मचारियों को दो हफ्ते के लिए छु्ट्टी पर भेजने का फैसला किया है। नोटबंदी के बाजार में आई जबरदस्त मंदी को वजह बताते हुए कंपनी ने ये फैसला लिया है।
केंद्र सरकार की मेक इन इंडिया योजना में पोस्टर ब्वॉय की तरह दिखने वाली फॉक्सकॉन के अधिकारियों के अनुसार, सरकार के नोटबंदी के ऐलान के बाद फोन की बिक्री लगभग 50 फीसदी घट गई है। इसके चलते कंपनी को अपना प्रोडक्शन आधा करना पड़ा है।
कंपनी से जुड़े लोगों का कहना है कि नोटबंदी के बाद से मोबाइल फोन की एक महीने की बिक्री पहले के मुकाबले आधी होकर 175 से 200 करोड़ रुपए पर आ गई है। फिलहाल हालात सुधरने की उम्मीद नजर नहीं आ रही है। ऐसे में कर्मचारियों को छुट्टी पर भेजा गया है। हालांकि इन छुट्टियों के लिए कर्मचारियों का वेतन नहीं काटा जाएगा। कर्मचारियों को पेड लीव पर भेजा गया है।
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चीन की शाओमी, ओपो और जियोनी के अलावा इनफोकस और नोकिया के साथ लावा, इंटेक्स, कार्बन और माइक्रोमैक्स के लिए डिवाइस फॉक्सकॉन ही बनाती है।
कंपनी ने बताया कि 5000 से कम दाम वाले मोबाइल ही भारत में ज्यादा बिकते हैं और इस दाम के फोन अमूमन कैश के जरिए ही खरीदे जाते हैं। ऐसे में कंपनी की ब्रिकी में कमी आना स्वाभाविक ही है।
दूसरी कंपनियों के कर्मचारियों की भी जा सकती हैं नोकरी
कई दूसरी फोन कंपनियां भी बहुत जल्द कर्मचारियों की छटनी की घोषणा कर सकती हैं। कई कंपनियों ने नोटबैन के बाद बाजार की बदतर हालत को देखते हुए और हालात में सुधार से नाउम्मीद होते हुए छटनी के संकेत दिए हैं।
एक और बड़ी फोन कंपनी लावा अपना प्लांट सोमवार (12 दिसंबर) से एक हफ्ते के लिए बंद कर रही है। इस प्लांट में 5000 से ज्यादा लोग काम करते हैं, जिन्हें एक हफ्ते काम पर ना आने को कहा गया है।
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वहीं इंटेक्स के एक सीनियर अधिकारी ने बताया है कि जनवरी में कंपनी के नोएडा प्लांट से 500-600 लोगों की छंटनी कर दी जाएगी। ऐसा करने के पीछे वजह नोटबंदी के बाद कंपनी के बिजनेस में भारी कमी को बताया गया है।
पिछले कुछ दिनों से कंपनियों की ओरसृ से लगातार छटनी के फैसलों की वजह से विभिन्न सेक्टरों में काम करने वाले कर्मचारियों के बीच अविश्वास और डर का माहौल पैदा हो गया है। नोटबंदी के बाद कंपनियां मंदी से गुजर रही हैं। विशेषज्ञ आने वाले दिनों में अर्थव्यवस्था के लिए अभी और ज्यादा मुश्किल समय होने की बात कह रहे हैं।
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आपको बता दें कि 8 नवंबर को पीएम मोदी ने 500 और 1000 के नोटों पर पाबंदी की घोषणा कर दी थी, जिससे देश में मौजूद तकरीबन 85 फीसदी करेंसी लीगल नहीं रही और चलन से अचानक बाहर हो गई। इस फैसले के बाद देश में नौकरियों और अर्थव्यवस्था को लेकर उपापोह की स्थिति है।