50 सालों से यूपी के इस कोषागार में रखी है इंदिरा गांधी की 73 Kg चांदी, नहीं कोई दावेदार?
यूपी के लिए सिरदर्द बनीं इंदिरा गांधी की 73 Kg चांदी
नई दिल्ली, 3 अप्रैल। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की अमानत उत्तर प्रदेश के बिजनौर कोषागार के लिए सिरदर्द बन गई है। पिछले 50 सालों से इंदिरा गांधी की 73 किलो चांदी की ये अमानत इस कोषागार में रखी हैं, जिसे लेने गांधी परिवार से आज तक कोई नहीं आया। कोषाधिकारी पूर्व प्रधानमंत्री की इस अमानत की देखरेख और सुरक्षा कर रहे हैं। आपको बता दें कि पिछले 50 सालों से इंदिरा गांधी की 73 किलो चांदी बिजनौर कारागाह में रखी हैं, जो अब एक बार फिर सूर्खियों में है।
इंदिरा गांधी की अमानत का कोई दावेदार नहीं?
उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिला कोषागार में पिछले 50 सालों से पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 73 किलो चांदी उनके अमानत के तौर पर रखी है। सालों से ये चांदी यहां पड़ी है, जिसकी देखरेख, रख रखाव कोषागार द्वारा किया जा रहा है। आज तक इस चांदी को लेने के लिए गांधी परिवार से कोई नहीं आया है। इस चांदी के बारे में कोषागार द्वारा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को भी लिखित तौर पर सूचना दी गई और उसे अपनी कस्टडी में लेने का अनुरोध किया गया, लेकिन आरबीआई ने भी इसे लेने से इंकार कर दिया और कहा कि ये किसी की निजी संपत्ति हैं। दरअसल कोषागार में कोई भी निजी संपत्ति 1 साल से अधिक समय तक नहीं रखी जा सकती है, जिसके कारण बिजनौर कोषागार ने कई बार गांधी परिवार को भी इस बारे में पत्र लिखा, लेकिन उधर से भी कोई जवाब नहीं आया।
34 लाख की चांदी का नहीं कोई दावेदार
बिजनौर कोषागार की ओर इस चांदी के बारे में प्रशासन को भी पत्र लिखकर जानकारी दी गई और उनसे राय मांगी गई, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं आया है। इसी हालात में पिछले पचास सालों से ये लाखों की चांदी यहां पड़ी है, जिसका न तो कोई वारिस है और न ही कोई दावेदार। इस चांदी की कीमत आज की तारीख में आंके तो करीब 33 से 34 लाख रुपए हैं। कोषागार द्वारा इसके रखरखाव की व्यवस्था जारी है। कोषागार को इस चांदी को रखने के लिए हर साल इसका रिन्यूवल करना पड़ता है।
कहां से आई इंदिरा गांधी के पास 73 किलो चांदी
दरअसल बिजनौर के कालागढ़ में एशिया का सबसे बड़ा मिट्टी का बांध बनाया जाना था। इसके निर्माण का काम शुरू हो गया था, इसी दौरान साल 1972 में इंदिरा गांधी जब इंदिरा गांधी बिजनौर जिले के दौरे पर पहुंची थी तो वहां के लोगों ने, कालागढ़ बांध में मजदूरी का काम करने वाले मजदूरों ने इंदिरा गांधी को चांदी से तौला था। उनका वजन करीब 72 किलो चांदी के बराबर हुई, कुछ अन्य उपहार मिलाकर ये 73 किलो के करीब पहुंच गया था। इंदिरा गांधी ने उपहारों को अपने साथ ले जाने से मना कर दिया था, जिसके बाद इस 73 किलो चांदी को अमानत के तौर पर बिजनौर के कोषागार में सुरक्षित रखा गया। तब से लेकर आज तक वो वहीं रखा है। गांधी परिवार के ओर से कोई दावेदार उस चांदी को लेने नहीं आया है। कई बार कोषागार ने इसे लेकर उन्हें पत्र भी लिखा, लेकिन कोई जवाब नहीं आया है। कोषाधिकारी सूरज कुमार सिंह का कहना है कि ये चांदी गांधी परिवार को तभी वापस की जा सकती है, जब उनकी ओर से इसे लेकर दावा किया जाए।
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