Budget 2019: बजट की 10 ऐसी पंरपराएं जो हैं बेहद खास
Recommended Video
नई दिल्ली। 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार आज अपना आखिरी बजट पेश करने जा रही है। वित्त मंत्री अरुण जेटली की अनुपस्थिति में वित्त मंत्रालय का प्रभार संभाल रहे केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल लोकसभा में अंतरिम बजट पेश करेंगे। इस बजट को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। हालांकि बजट से जुड़ी कुछ खास परंपराएं भी हैं जो सालों से चली आ रही हैं और कुछ में बदलाव भी हुए हैं। आइए जानते हैं, इनके बारे में।
बजट की 10 खास परंपराएं
1. टाइम टेबल: यूनियन बजट तैयार करने में लगभग 5-7 महीने लग जाते हैं। पहले बजट को फरवरी के अंतिम कार्य दिवस में पेश किया जाता था लेकिन इसमें बदलाव हुआ और साल 2017 में अरुण जेटली ने 1 फरवरी को बजट पेश करने की तारीख तय कर दी जिसके बाद से इसी तारीख को बजट पेश किया जाता है।
2. ब्लू शीट: बजट के सभी दस्तावेजों के मुख्य बिंदु एक नीले रंग के कागज पर होते हैं जिसे वित्त मंत्री को सौंपा जाता है। इस नीले रंग की शीट को कड़ी निगरानी में रखा जाता है। खुद वित्त मंत्री इसे अपने पास नहीं रख सकते हैं।
3. समय: साल 1999 तक यूनियन बजट शाम 5 बजे पेश किया जाता था, लेकिन साल 2001 में तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने इस पुरानी परंपरा को तोड़ा और पहली बार बजट सुबह 11 बजे पेश किया गया था।
ये भी पढ़ें: Budget 2019: किसानों के लिए खजाना खोल सकती है सरकार, आ सकता है सैलरी देने का प्रस्ताव
इनके बिना बजट अधूरा
4. लंबा और छोटा भाषण: बजट सत्र के दौरान भाषण को लेकर भी समय तय है। आमतौर पर ये भाषण एक घंटे का होता है। साल 1991 में मनमोहन सिंह ने सबसे लंबा भाषण दिया था (18,650 शब्दों में), जबकि 1977 में हिरूभाई एम पटेल ने 800 शब्दों का सबसे छोटा भाषण दिया था।
5. स्वीट सेरेमनी: बजट पेश करने से पहले सरकार हलवा सेरेमनी आयोजित करती है। बता दें कि वित्त मंत्रालय के बेसमेंट में बजट के दस्तावेजों की आधिकारिक छपाई 1 हफ्ते पहले शुरू हो जाती है जिसके बाद इस मौके को हलवा सेरेमनी द्वारा हरी झंडी दी जाती है। ये हलवा करीब 100 अधिकारियों और कर्मचारियों में बांटा जाता है।
6. सीक्रेट फाइल: बजट पेश करने के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम होते हैं। फोन-कंप्यूटर की टैपिंग, हाई-टेक सर्विलांस, इलेक्ट्रॉनिक बग्स के लिए स्वीप, हिडन कैमरा, जैमर-स्कैनर के जरिए इनकी निगरानी की जाती है।
कुछ सालोंं में कई परंपराएं बदलीं
7. बाहर जाने की अनुमति नहीं: बजट पेश किए जाने तक नॉर्थ ब्लॉक के अंदर ही कर्मचारियों को लॉक कर दिया जाता है। वे परिसर छोड़कर नहीं जा सकते हैं और ना ही वे परिवार या अपने दोस्तों-करीबियों से बात कर सकते हैं। खाना खाने से पहले फूड टेस्टर खाने का नमूना लेते हैं। अगर किसी को आपात स्थिति में बाहर जाना है तो खुफिया अधिकारियों और पुलिस के लोग साथ मौजूद रहते हैं।
8. सूटकेस: आपने देखा होगा कि बजट पेश करने जाते वित्त मंत्री के हाथों में एक सूटकेस होता है। वित्त मंत्री सूटकेस के साथ फोटो खिंचवाते हैं। इसके पीछे की कहानी ये है कि साल 1860 में ब्रिटेन के चांसलर ऑफ दी एक्सचेकर चीफ विलियम एवर्ट ग्लैडस्टन फाइनेंशियल पेपर्स के बंडल को लेदर बैग में लेकर ही आए थे। उस वक्त से ये परंपरा शुरू हो गई। बता दें कि यूके के वित्त मंत्री लाल रंग के लेदर सूटकेस का इस्तेमाल करते हैं।
पीयूष गोयल पेश करेंगे अंतरिम बजट
9. फेमस कोट्स: बजट के दिन वित्त मंत्री अपने भाषण के दौरान प्रसिद्ध लोगों के विचारों के बारे में बताते हैं। अरुण जेटली और चिदंबरम ने विवेकानंद और तिरुवल्लुवर के विचारों के बारे में बताया था। इसी प्रकार से प्रणब मुखर्जी ने कौटिल्य और शेक्सपियर के विचारों के बारे में बताया था। जबकि मनमोहन सिंह ने रवींद्रनाथ टैगोर और विक्टर ह्यूगो के विचारों का जिक्र अपने भाषण के दौरान किया था।
10. बजट के दिन ड्रेस: बजट के दिन हर कोई सिग्नेचर ड्रेस कोड पहनना चाहता है। जैसे जेटली ने कुर्ता पायजामे के साथ नेहरू जैकेट पहना था। प्रणब मुखर्जी ने बंद गले का कोट पहना था। आजाद भारत के पहले वित्त मंत्री शनमुखम शेट्टी ने धोती-कुर्ता और गांधी टोपी पहनकर बजट पेश किया था।