7th pay commission: 25% सैलरी बढ़ोतरी की मांग पर अड़े बैंककर्मी, IBA के साथ बैठकों का दौर जारी
नई दिल्ली। देशभर के 50 लाख सरकारी कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग के तहत वेतन बढ़ोतरी का इंत जार है। वेतन बढ़ोतरी का ये इंतजार लंबा होता जा रहा है तो वहीं कर्मचारियों का धैर्य जवाब देने लगा है। 7th Pay Commission के तहत सैलरी बढ़ोतरी की उम्मीद लगाए बैठे लाखों केंद्रीय कर्मचारी जहां न्यूनतम सैलरी और फिटमेंट फैक्टर की बढ़ोतरी की उम्मीद में हैं तो वहीं बैंककर्मियों की लड़ाई जारी है। IBA और बैंक कर्मचारियों के यूनियन के बीच बैठकों का दौर जारी है। जहां एसोसिएशन 2 प्रतिशत से बढ़कर 6 प्रतिशत सैलरी बढ़ोतरी पर पहुंचा है तो वहीं कर्मचारी यूनियन 25% बढ़ोतरी की मांग पर अड़े हैं।
बैंक कर्मचारियों की मांग
सोमवार को IBA और कर्मचारी यूनियन के बीच हुई सैलरी बढ़ाने का प्रस्ताव फिर से बैठक की भेंट चढ़ गया। बैठक बेनतीजा रही। इंडियन बैंक एसोसिएशन यानि आईबीए के साथ सैलरी बढ़ाने को लेकर बैंक कर्मचारी संगठनों की बैठक बिना किसी ठोस नतीजे के खत्म हो गई। इस बैठक में आईबीए ने बैंक कर्मचारी संगठनों को 2 फीसदी से बढ़ाकर 6 फीसदी वेतन बढ़ाने का प्रस्ताव दिया, लेकिन कर्मचारी संगठन ने इससे इंकार कर दिया।
25% बढ़ोतरी की मांग पर अड़े कर्मचारी
इससे पहले मई में हुई बैठक में सिर्फ 2 फीसदी सैलरी बढ़तरी का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन कर्मचारियों की 2 दिन की देशव्यापी हड़ताल के बाद IBA ने इसे बढ़ाकर 6 प्रतिशत कर दिया, लेकिन कर्मचारी करीब 25 फीसदी वेतन बढ़तरी की मांग पर अड़े हैं। नई पेशकश के तहत अगस्त महीने में अलग-अलग मुद्दों पर 4 दौर की बैठकों के बाद ये तय होगा कि सैलरी बढ़ाने की संरचना किस तरह की रखी जाए।आपको बता दें कि बैंक कर्मियों का पिछला वेतन समझौता मई 2015 को हुआ था जो नवंबर 2012 से लेकर अक्तूबर 2017 तक के लिए था। जिसके बाद नवंबर 2017 से बैंक कर्मचारियों का 11वां वेतन समझौता होना है।
बैंकों की खस्ताहाल का हवाला
बैंक कर्मचारियों की वेतन वृद्धि के मुद्दे पर भारतीय बैंक संघ और बैंक यूनियनों के बीच बैठक हुई। इस बैठक में सार्वजनिक, निजी एवं विदेशी बैंकों समेत करीब 37 बैंकों ने अपने कर्मचारियों के वेतन के बारे में निर्णय लेने का जिम्मा बैंकों के प्रबंधन का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन भारतीय बैंक संघ को दिया है। बैठक में जहां एसोशिएशन बैंक की खस्ताहाल का हवाला दे रहा है तो वहीं कर्मचारी यूनियंस का कहना है कि इसके लिए बैंक कर्मचारी जिम्मेदार नहीं है। बैंककर्मियों ने सरकारी योजनाओं जनधन, नोटबंदी, मुद्रा और अटल पेंशन योजना समेत तमाम सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिये दिन-रात काम करते रहे हैं।