बर्फ से नहीं सफेद चादर से ढके पहाड़, पिघलते ग्लेशियर्स को बचाने के लिए 'कंबल' से ढका
बर्फ से नहीं सफेद चादर से ढके पहाड़, पिघलते ग्लेशियर्स को बचाने के लिए 'कंबल' से ढका
नई दिल्ली। लगातार बढ़ रहे तापमान, ग्लोबल वॉर्मिंग, क्लाइमेट चेंज पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे हैं। पर्यावरण से छेड़खानी अब इंसानों पर भारी पड़ रही है। हिमायल पर जिस बर्ष को बनने में 2000 साल लग रहे थे उसे पिघलने में अब मात्र 25 साल लग रहे हैं। धरती के बढ़ते तापमान के कारण पहाड़ों से बर्फ पिघल रहे हैं, ग्लेशियर्स तेजी से पिघलते जा रहे हैं। ऐसे में यूरोप में ग्लेशियर्स को पिछले से बचाने के लिए अनोखा तरीका निकाला है।
कंबल से ढंके ग्लेशियर्स
ग्लेशियर्स के बर्फ को पिघलने से बचाने के लिए यूरोप में उन्हें सफेद चादरों से ढंका जा रहा है। मेट्रो की रिपोर्ट के मुताबिक स्विट्ज़रलैंड के रोन ग्लेशियर को सफेद चादरों से ठक दिया गया है, ताकि इन्हें पिघलने से बचाया जा सके। ये खास तरह के चादर खतरनाक यूवी किरणों को रोकते हैं। ग्लेशियर्स तक गर्मी को पहुंचने से रोकते हैं। इन खास सफ़ेद चादरों को यूवी रेसिस्टेंट ब्लैंकट कहा जाता है। रिपोर्ट के मुकाबिक ये यूवी रेसिस्टेंट ब्लैंकेट्स ग्लेशियर्स के पिघलने को 70 फीसदी तक रोक सकते हैं। सिर्फ रोन ग्लेशियर को नहीं बल्कि स्विटज़रलैंड के कई ग्लेशियर्स को इसी तरह के यूवी ब्लैंकेट्स से कवर किया जा रहा है, ताकि उन्हें सुरक्षित रखा जा सके। वहीं पर्यावरणविदों को कहना है कि जिस तरह से क्लाइमेंट चेंज हो रहा है, उससे साल 2100 तक स्विट्ज़रलैंड की पूरी बर्फ़ पिघल जाएगी।
ऐसा होने पर धरती पर बड़ा भौगोलिक बदलाव होगा। संतुलन बिगड़ जाएगा। धरती का जलस्तर बढ़ जाएगा। यूरोप के कई निचले इलाकों में समंदर में समा जाएंगे। आपको बता दें कि जयवायु परिवर्तन का असर दिखने लगा है। यूरोप में भीषण गर्मी पड़ रही है। यहां भीषण हीटवेब चल रहा है, जिसके कारण यहां तापमान बहुत अधिक हो गया है। गर्मी के कारण जंगलों में आग लग गई है।