'खूनी लाल बर्फ' से ढके हैं यहां के पहाड़, वैज्ञानिकों ने कहा- ये रहस्यमयी जीव है इसका जिम्मेदार
पेरिस, 09 जून। फ्रांस अपनी खूबसूरती के चलते पर्यटकों की पसंदीदा जगहों में से एक रहा है, यहां के टूरिस्ट प्लेस हमेशा से विदेशी लोगों को आकर्षित करते आ रहे हैं। हालांकि हम आज फ्रांस की खूबसूरती की चर्चा नहीं, बल्कि वहां घटित होने वाली एक अद्भुत घटना के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे लेकर वैज्ञानिक भी परेशान हैं। हाल ही में फ्रांस के पहाड़ों पर शोधकर्ताओं को 'खूनी लाल बर्फ' यानी लाल रंग के धब्बे वाले ग्लेशियर नजर आए हैं जिसने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया। आइए जानते हैं ये 'ग्लेशियर ब्लड' है क्या?
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लाल हो रहे फ्रांस के एल्प्स पहाड़
फ्रांस के एल्प्स पहाड़ों का रंग लाल हो रहा है जिसकी वजह से वैज्ञानिक समेत हर कोई हैरान है। हालांकि यह एक प्राकृतिक घटना है जिसके लिए एक जीव जिम्मेदार है। वैज्ञानिकों के इस तर्क से जरूर आपको हैरानी हुई होगी लेकिन स्टडी करने पर ऐसे ही नतीजे सामने आए हैं। दरअसल, फ्रांस के एल्प्स पहाड़ों पर जमा ग्लेशियर सफेद से लाल रंग में बदलता जा रहा है। इसके पीछे एक रहस्यमयी जीव बताया जा रहा है, जो बर्फ को लाल बना रहा है।
वैज्ञानिक कर रहे गहन जांच
इस रहस्यमयी घटना की गहन जांच के लिए वैज्ञानिकों ने एक प्रोजेक्ट की शुरुआत की है जो बर्फ को लाल करने वाले जीव को लेकर की जाएगी। वैज्ञानिकों ने इस घटना को ग्लेशियर ब्लड का नाम दिया है जिसकी चर्चा अब सोशल मीडिया पर भी खूब हो रही है। लाल रंग से ढके पहाड़ों की तस्वीर भी सोशल मीडिया पर सामने आई है, इसे देख कुछ लोग दंग रह गए तो वहीं कुछ इसकी वजह का पता लगाने के लिए गूगल पर सर्च करने लगे।
ये रहस्यमयी जीव है जिम्मेदार
वैज्ञानिकों की मानें तो ग्लेशियर के लाल होने के पीछे जिम्मेदार जीव आमतौर पर समुद्र, नदियों और झीलों में पाए जाते हैं। वैज्ञानिक अब इस बात का पता लगाने में जुटे हैं कि यह जीव ग्लेशियर पर क्यों आया। एल्पएल्गा प्रोजेक्ट के कॉर्डिनेटर एरिक मर्शाल के मुताबिक ग्लेशियर पर अपना कब्जा जमा चुका यह रहस्यमयी जीव एक तरह की सूक्ष्म शैवाल (माइक्रोएल्गी) है। अब यह ग्लेशियर में भी पनप रही है। ग्लेशियर के लाल होने की वजह भी यही सूक्ष्म शैवाल हैं।
पानी में पाया जाता है ये जीव
वैज्ञानिकों ने बताया कि जब पानी में रहने वाले ये सूक्ष्म शैवाल बर्फ और पहाड़ों के मौसम का सामना करती है तो परिणाम स्वरूप लाल रंग छोड़ती हैं जिससे आस-पास की बर्फ का रंग भी खूनी लाल जैसा हो जाता है। यह काफी बड़े क्षेत्रफल तक फैले होते हैं जिसकी वजह से कई किलोमीटर तक सफेद बर्फ लाल रंगी की दिखाई देने लगती है। शोधकर्ताओं ने बताया कि ये माइक्रोएल्गी पर्यावरण परिवर्तन और प्रदूषण को बर्दाश्त नहीं कर पाती।
इस तरह पहाड़ों तक पहुंचे ये जीव
जब मौसम में परिवर्तन होता है तो इनके शरीर में ऐसा रिएक्शन होता है जिसकी वजह से बर्फ लाल हो जाती है। एरिक मर्शाल ने कहा कि लोगों को इस बात की जानकारी तो है कि नदियों, झीलों और सागरों में सूक्ष्म शैवाल होते हैं लेकिन बहुत कम लोग ही जानते हैं कि ये माइक्रोएल्गी बर्फ और हवा के कणों के साथ उड़कर ग्लेशियरों तक जा पहुंचे हैं। इनमें से कुछ तो बहुत ज्यादा ऊंचाई तक पहुंच जाती हैं। जब हम फ्रेंच एल्प्स के ग्लेशियर पर पहुंचे तो वहां अद्भुद नजारा था, पूरा पहाड़ लाल रंग की बर्फ से ढका हुआ था।
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