
अजरबैजान में मिट्टी के विशाल ज्वालामुखी में विस्फोट, जानिए लोग इसके कीचड़ में क्यों लगाते हैं डुबकी ?
बाकू (अजरबैजान), 14 अगस्त: अजरबैजान में मिट्टी का विशाल ज्वालामुखी फटा है। पिछले कई वर्षों में यह सबसे बड़ा मड वॉल्कैनो विस्फोट है। इसकी वजह से एक विशाल 'मड डोम' बना है। बता दें कि मिट्टी के ज्वालामुखी दुनियाभर में कई जगह मौजूद हैं, लेकिन अजरबैजान में एक तरह से इनका घर बना हुआ है। मिट्टी के ज्वालामुखी बाकी ज्वालामुखी से काफी अलग होते हैं और इसके कीचड़ में लोग घंटों डुबकियां लगाना पसंद करते हैं। इस ज्वालामुखी से जो पदार्थ निकलता है, वह काम के लिए कच्चे माल के रूप में भी इस्तेमाल होता है। आइए मिट्टी के ज्वालामुखी के बारे में जानते हैं और यह भी जानते हैं कि इसके कीचड़ में लोग नहाना क्यों पसंद करते है।

अजरबैजान की राजधानी के पास फट मिट्टी का ज्वालामुखी
अजरन्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक अजरबैजान की राजधानी बाकू के गारादाग जिले में मिट्टी के एक विशाल ज्वालामुखी में विस्फोट के बाद कीचड़ फैल गया है। यह विस्फोट लोकबटन इलाके में हुआ है। मिट्टी के ज्वालामुखी में हुए इस विस्फोट के बारे में बायोडायवर्सिटी प्रोटेक्शन सर्विस के आर्जु बाबायेवा ने बताया कि लोकबटन क्षेत्र में जहां यह विस्फोट हुआ है, उसके आसपास कोई बस्ती नहीं है। अजरबैजान के इकोलॉजी और नैचुरल रिसोर्सेज मंत्रालय इस ज्वालामुखी विस्फोट पर नजर रख रहा है, जहां इससे पहले 2017 में भी मिट्टी का ज्वालामुखी फट चुका है।

दुनिया के सबसे सक्रिय मड वॉल्कैनो वाला इलाका
अजरबैजान में जिस जगह प्रकृति ने यह भयावह शक्ल अख्तियार किया है, वह कैस्पियन सागर के तट पर ही वहां के ऑयल फिल्ड के पास मौजूद है। यह मड वॉल्कैनो (मिट्टी का ज्वालामुखी) दुनिया के पांच सबसे ज्यादा सक्रिय मिट्टी के ज्वालामुखी में से एक है। यहां 1810 से लेकर अबतक 25 बार ज्वालामुखी विस्फोट हो चुका है। भूवैज्ञानिकों ने 1933 में यहां के ज्वालामुखी के तल पर तेल और गैस के बड़े भंडार की खोज की थी। इसी के बाद हाइड्रोकार्बन की मौजूदगी और मिट्टी के ज्वालामुखी का सीधा कनेक्शन स्थापित हुआ।

कभी-कभार आग की लपटें भी उठती हैं
अजरबैजान में कई तरह के दुर्लभ प्राकृतिक आश्चर्य मिलते हैं। दुनिया के कई महत्वपूर्ण मड वॉल्कैनो भी यहीं मौजूद हैं। अजरबैजान में 365 मिट्टी के ज्वालामुखी मौजूद हैं, जिनमें से अधिकतर सक्रिय हैं और उनमें से 43 को वहां की सरकार ने संरक्षित घोषित कर रखा है। सुरक्षा वजहों से वहां लोगों के जाने पर प्रतिबंध लगाया गया है। दुनिया के दोनों सबसे विशाल मिट्टी के ज्वालामुखी बॉयुक खानिजदाग और तुराघई इसी देश में हैं। बॉयुक खानिजदाग 2001 में फटा था, जिससे 300 मीटर की आग की लपटें भी उठी थीं। मिट्टी वाले ज्वालामुखी से आग की लपटें निकलना दुर्लभ घटना है और इतनी ऊंची लपटों का तो यह रिकॉर्ड ही है।

मंगल ग्रह से है मड वॉल्कैनो का कनेक्शन !
मंगल ग्रह पर रिसर्च करने वाले नासा के भूवैज्ञानिकों का मानना है कि अजरबैजान के मिट्टी के ज्वालामुखी की संरचना उसके ऊपरी क्षेत्रों के समान हैं। 5 सितंबर, 2004 को अजरबैजान में फटा मड वॉल्कैनो गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज दुनिया का सबसे विशाल मिट्टी का ज्वालामुखी था। मिट्टी के ज्वालामुखी को मड डोम भी कहते हैं, जिसके अंदर से गर्म मिट्टी, घोल या कीचड़ के रूप घोल बाहर निकलती है। इस घोल में पानी और गैस का भी मिश्रण होता है। हालांकि, इस ज्वालामुखी का अंदाज पूरी तरह से ज्वालामुखी जैसा ही होता है, लेकिन इसकी संरचना उससे काफी अलग होती है।

काफी गर्म भी हो सकता है इसका कीचड़
मिट्टी के ज्वालामुखी दुनिया भर में देखने को मिलते हैं, जिसमें भारत का अंडमान और निकोबार द्वीप समूह भी शामिल है। इस ज्वालामुखी की ऊंचाई कुछ मीटर से लेकर 600 से 700 मीटर तक हो सकती है। जबकि, मड वॉल्कैनो की चौड़ाई कई किलोमीटर तक हो सकती है। वहीं, जमीन के नीचे से निकलने की वजह से इसका तापमान 2 डिग्री से लेकर 100 डिग्री सेल्सियस तक संभव है। लेकिन, लोग मिट्टी के ज्वालामुखी में डुबकी क्यों लगाते हैं और नहाना क्यों पसंद करते हैं, इसकी भी बेहद खास वजह है।

लोग इसके कीचड़ में क्यों लगाते हैं डुबकी ?
मिट्टी के ज्वालामुखी से निकलने वाला मिट्टी-पानी और रेत का घोल (ज्वालामुखी कीचड़) कई औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इसमें खनिज लवण, कार्बनिक पदार्थ, सूक्ष्म तत्व और हाइड्रोकार्बन शामिल होते हैं। इसके चलते यह मानव के शरीर के लिए काफी लाभप्रद माना जाता है। अजरन्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक ज्वालामुखी वाला कीचड़ (वॉल्कैनिक मड) उन मरीजों के लिए काफी फायदेमंद है, जो परिफरल और सेंट्रल नर्वस सिस्टम, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट और स्किन आदि से जुड़े रोगों से पीड़ित हैं। (तस्वीरें सौजन्य(फाइल)-ट्विटर वीडियो से)
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ज्वालामुखी कीचड़ का बाकी इस्तेमाल
इसके अलावा ज्वालामुखी कीचड़ का इस्तेमाल रासायनिक और निर्माण उद्योगों में भी कच्चे माल के तौर पर किया जाता है। जब मिट्टी के ज्वालामुखी फटते हैं, तभी कीचड़ निकलता है। अन्यथा शांत रहने पर इससे हैलाइट निकलते हैं, जिसे रॉक साल्ट कहते हैं और लोग उसका भी इस्तेमाल शरीर पर औषधीय गुणों के कारण करते हैं। मड वॉल्कैनो दुनिया के लगभग हर महादेश में मिलता है, लेकिन इसके आकार, प्रकार और व्यवहार में अंतर देखने को मिल सकता है।