भारत का एकमात्र बेनामी रेलवे स्टेशन, बेहद दिलचस्प है इस रेलवे स्टेशन को कोई नाम न देने की कहानी
आप यह जानकर हैरान रह जाओगे कि भारत में एक रेलवे स्टेशन ऐसा भी है जिसका कोई नाम ही नहीं है।
कोलकाता, 13 जनवरी। आप यह जानकर हैरान रह जाओगे कि भारत में एक रेलवे स्टेशन ऐसा भी है जिसका कोई नाम ही नहीं है। साल 2008 में बनकर तैयार हुए इस स्टेशन पर रेल भी आकर रुकती है, वो भी दिन में 6 बार, लेकिन स्टेशन को अभी तक कोई नाम नहीं दिया गया।
साल 2008 में बना मगर अभी तक बेनामी
बता दें कि भारत में 31 मार्च 2017 तक 7349 रेलवे स्टेशन थे, उन्हें से एक रेलवे स्टेशन बेनामी है। आप यह सोच रहे होंगे कि आखिर यात्री इस स्टेशन पर किस नाम से उतरते हैं, वह टिकट कैसे लेते होंगे? घबराइए नहीं आपके हर सवाल का जवाब दिया जाएगा। आपको बता दें कि यह रेलवे स्टेशन पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले में है और रैना नाम के गांव में स्थित है तो वर्धमान जिले के हेडक्वार्टर से 35 किमी की दूरी पर स्थित है। भारतीय रेलवे ने साल 2008 में इस इलाके में इस स्टेशन का निर्माण किया था।
आखिर क्यों नहीं रखा गया इस स्टेशन का नाम
आप सोच रहे होंगे कि रेलने ने इस स्टेशन का नाम क्यों नहीं रखा? तो जनाब मामला ये है कि स्टेशन का नामकरण दो गांव रायना और रायनगर के बीच की लड़ाई में अटका हुआ है। 2008 से पहले रायनगर में उसी के नाम से एक रेलवे स्टेशन था मगर समस्या ये थी कि ट्रेन जहां रुकती थी, उससे करीब 200 मीटर पहले एक नैरो गेज रूट था। इस रेल रूट को बांकुड़ा-दामोदर रेलवे रूट कहते थे। जब वहां ब्रॉड गेज की शुरुआत हुई तो जो नया रेलवे स्टेशन बना वो रायना गांव के अंतर्गत बनाया गया। फिर, मासाग्राम के आसपास इसे हावड़ा-बर्धमान लाइन से जोड़ा गया। जब रेलवे ने इस स्टेशन का नाम रायनगर रखने की कोशिश की तो इस पर रायना गांव के लोगों ने आपत्ति दर्ज की।
चकरा जाते हैं स्टेशन पर पहली बार उतरने वाले यात्री
रायना गांव के लोगों ने कहा कि चूंकि नया रेलवे स्टेशन उनके गांव में बना है इसलिए रेलवे स्टेशन का नाम उनके गांव के नाम पर रखा जाना चाहिए। दोनों गांव के पचड़े में आज तक यह रेलवे स्टेशन बेनामी है। स्टेशन पर बांकुड़ा-मासाग्राम ट्रेन दिन में 6 बार आकर रुकती है। जो यात्री इस स्टेशन पर पहली बार आता है वह बेनाम देखकर हैरान रह जाता है। आस पास के लोगों से पूछने पर उन्हें जगह के बारे में पता चलता है।