विधानसभा के चुनावी रण में उतरीं ये युवा महिला उम्मीदवार, बिहार को बदलने का कर रहीं दावा
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में महज 11 प्रतिशत महिलाएं चुनावी मैदान में उम्मीदवार के तौर पर टिकट पाने में कामयाब हुई हैं। इस बार विधानसभा चुनाव में कुछ युवा महिला उम्मीदवार भी अपना भाग्य आजमा रही हैं। इनमें से अधिकांश राजनीतिक परिवार से हैं और विरासत की वजह से उनको प्रत्याशी बनाया गया है। चुनावी मैदान में उतरी इन युवा महिला नेताओं में पुष्पम प्रिया चौधरी सबसे चर्चित नाम हैं। वो अपनी पार्टी बनाकर सीधे चुनावी रण में मुख्यमंत्री बनने के मकसद से कूदी हैं। रितु जायसवाल ऐसी युवा प्रत्याशी हैं जिन्होंने अपने बूते टिकट पाया है। आइए कुछ ऐसी ही युवा महिला प्रत्याशियों के बारे में जानते हैं जिनका राजनीतिक भविष्य यह विधानसभा चुनाव तय करेगा।
पुष्पम
प्रिया
चौधरी
बिहार
विधानसभा
चुनाव
में
इस
बार
सबसे
चर्चित
युवा
नेता
दरभंगा
की
पुष्पम
प्रिया
चौधरी
हैं।
जदयू
नेता
और
पूर्व
पार्षद
विनोद
चौधरी
की
बेटी
पुष्पम
प्रिया
चौधरी
विदेश
में
पढ़ी
हैं
और
इस
बार
के
चुनाव
में
बिहार
को
बदल
डालने
के
दावे
के
साथ
प्लूरल्स
पार्टी
से
सीएम
पद
का
उम्मीदवार
खुद
को
घोषित
कर
चुकी
हैं।
अखबारों
में
विज्ञापन
और
चौराहों
पर
होर्डिंग
लगाकर
पुष्पम
प्रिया
चौधरी
ने
खुद
को
और
पार्टी
को
प्रदेश
में
लॉन्च
किया
था।
लॉकडाउन
के
दौरान
उन्होंने
प्रदेश
का
दौरा
कर
बिहार
में
30
साल
से
लॉकडाउन
नाम
से
अभियान
चलाया।
उन्होंने
बिहार
के
गुमनाम
पर्यटन
स्थलों,
बंद
पड़े
कारखानों
समेत
प्रदेश
के
जिलों
में
तूफानी
दौरा
किया
और
सोशल
मीडिया
पर
उसे
शेयर
किया।
इस
पार्टी
ने
उम्मीदवारों
की
जो
सूची
जारी
की
है
उसमें
उनके
पेशे
को
जाति
और
धर्म
के
कॉलम
में
बिहारी
लिखा
है।
पुष्पम
प्रिया
चौधरी
का
दावा
है
कि
30
साल
से
बिहार
का
आर्थिक
विकास
नहीं
हुआ
है,
वह
इसका
विकल्प
दे
सकती
हैं।
बांकीपुर
और
बिस्फी
सीट
से
लड़
रहीं
पुष्पम
प्रिया
चौधरी
इस
चुनाव
में
कितना
असर
डाल
पाएंगी,
अभी
कहना
मुश्किल
है।
राजद,
जदयू
और
भाजपा
जैसी
कद्दावर
पार्टियों
के
सामने
और
बिहार
की
जातिवादी
राजनीति
में
वो
कहां
तक
टिक
पाएंगी
यह
देखने
वाली
बात
होगी।
रितु
जायसवाल
सीतामढ़ी
के
सिंहवाहिनी
पंचायत
की
मुखिया
रितु
जायसवाल
अपने
काम
की
वजह
से
बिहार
ही
नहीं,
बाहर
भी
लोकप्रिय
हैं।
जदयू
नेता
रहीं
रितु
को
जब
पार्टी
ने
टिकट
नहीं
दिया
तो
उन्होंने
राजद
का
दामन
थाम
लिया।
उनको
राजद
ने
परिहार
विधानसभा
क्षेत्र
से
टिकट
दिया
है।
रितु
जायसवाल
के
पति
आईएएस
थे
जो
अब
वीआरएस
ले
चुके
हैं
और
वो
खुद
दिल्ली
के
प्राइवेट
स्कूल
में
काम
करती
थीं।
सिंहवाहिनी
पंचायत
में
उनके
पति
का
गांव
है
जहां
वह
आईं
तो
वहां
के
खराब
हालात
ने
उनको
समाज
सेवा
की
तरफ
आने
के
लिए
प्रेरित
किया।
शहर
की
जिंदगी
छोड़कर
गांव
में
आ
गईं।
उन्होंने
सिंहवाहिनी
पंचायत
चुनाव
लड़ने
का
फैसला
लिया
और
वो
अपने
इलाके
की
चर्चित
मुखिया
बन
गई।
रितु
चैंपियंस
ऑफ
चेंज
समेत
राष्ट्रीय
स्तर
पर
अन्य
अवार्ड
पा
चुकी
हैं।
रितु
जायसवाल
को
चुनाव
में
उनके
काम
और
लोकप्रियता
का
लाभ
मिल
सकता
है।
दिव्या
प्रकाश
तारापुर
विधानसभा
सीट
से
राजद
प्रत्याशी
और
युवा
नेता
दिव्या
प्रकाश
पहली
बार
बिहार
चुनाव
में
किस्मत
आजमा
रही
हैं।
दिव्या
प्रकाश
के
पिता
जय
प्रकाश
नारायण
यादव
राष्ट्रीय
जनता
दल
के
कद्दावर
नेता
और
लालू
यादव
के
करीबी
थे।
जय
प्रकाश
नारायण
यादव
बिहार
में
और
केंद्र
में
मंत्री
रहे
थे।
जमुई,
तारापुर
क्षेत्र
में
जय
प्रकाश
नारायण
यादव
का
प्रभाव
रहा
है।
उनके
छोटे
भाई
विजय
प्रकाश
जमुई
से
विधायक
हैं।
तारापुर
क्षेत्र
से
उतरी
दिव्या
प्रकाश
पिता
की
विरासत
को
आगे
बढ़ाना
चाहती
हैं।
उनका
कहना
है
कि
वह
तारापुर
के
लिए
कुछ
करना
चाहती
हैं।
दिव्या
प्रकाश
को
अपनी
पारिवारिक
पृष्ठभूमि
का
कितना
फायदा
मिलता
है,
यह
तो
चुनावी
नतीजे
से
ही
पता
चलेगा।
सुभाषिनी
राज
कद्दावर
नेता
शरद
यादव
की
बेटी
सुभाषिनी
राज
कांग्रेस
के
टिकट
पर
मधेपुरा
जिला
के
बिहारीगंज
सीट
से
चुनावी
मैदान
में
हैं।
पिता
शरद
यादव
मधेपुरा
से
जदयू
के
टिकट
पर
तीन
बार
सांसद
रह
चुके
हैं।
मध्य
प्रदेश
निवासी
शरद
यादव
इस
क्षेत्र
में
बस
चुके
हैं
और
मधेपुरा
उनका
गढ़
कहा
जाता
है।
2019
के
संसदीय
चुनाव
में
राजद
के
टिकट
पर
चुनाव
लड़कर
शिकस्त
खाने
वाले
शरद
यादव
की
बेटी
सुभाषिनी
पिता
की
विरासत
को
आगे
बढ़ाने
के
लिए
मैदान
में
हैं।
जदयू
से
निष्काषित
होने
के
बाद
2017
में
शरद
यादव
ने
अपनी
पार्टी
लोकतांत्रिक
जनता
दल
बनाई
थी।
पिता
के
गढ़
में
बेटी
सुभाषिनी
के
सामने
चुनाव
इस
बार
एक
चुनौती
की
तरह
है।
ऐसी
खबरें
हैं
कि
शरद
यादव
बेटी
के
लिए
चुनाव
प्रचार
नहीं
कर
पाएंगे
क्योंकि
उनकी
सेहत
खराब
चल
रही
है।
शालिनी
मिश्रा
भारतीय
कम्युनिस्ट
पार्टी
के
सांसद
रहे
कमला
मिश्रा
मधुकर
की
बेटी
शालिनी
मिश्रा
को
जदयू
ने
केसरिया
विधानसभा
सीट
से
टिकट
दिया
है।
बहुराष्ट्रीय
कंपनी
में
नौकरीपेशा
शालिनी
मिश्रा
को
भी
राजनीति
विरासत
में
मिली
है।
उनके
पिता
कमला
मिश्रा
मधुकर
और
मां
डॉक्टर
कामना
मिश्रा
दोनों
ही
राजनीति
में
रहे।
22
वर्षों
से
मल्टीनेशनल
कंपनी
में
काम
कर
चुकी
शालिनी
मिश्रा
भी
वामपंथी
रहे
पिता
की
विरासत
को
आगे
ले
जाना
चाहती
हैं
और
उन्होंने
इसके
लिए
जदयू
का
दामन
थामा
है।
श्रेयसी
सिंह
शूटिंग
में
अंतराष्ट्रीय
स्तर
पर
देश
के
लिए
मेडल
जीतने
वाली
अर्जुन
पुरस्कार
से
सम्मानित
खिलाड़ी
श्रेयसी
सिंह
पूर्व
केंद्रीय
मंत्री
जेडीयू
नेता
दिग्विजय
सिंह
और
पूर्व
सांसद
पुतुल
सिंह
की
बेटी
हैं।
उनको
भाजपा
ने
जमुई
सीट
से
टिकट
दिया
है।
श्रेयसी
सिंह
बिहार
के
पलायन
के
मुद्दे
को
सबसे
अहम
मानती
हैं।
वो
बिहार
में
ही
नौकरी
पैदा
करने
और
बिहारियों
के
बिहार
में
ही
रुकने
की
बात
करती
हैं।
वो
कहती
हैं
कि
मुझे
इसी
मुद्दे
पर
काम
करना
है।
श्रेयसी
सिंह
का
कहना
है
कि
वो
अपने
मां
और
पापा
के
लिए
चुनाव
प्रचार
कर
चुकी
हैं।
राजनीति
की
तरफ
उनका
पहले
से
झुकाव
रहा
है।
विरासत
की
राजनीति
को
आगे
बढ़ाने
में
लगीं
श्रेयसी
सिंह
ने
कहा
है
कि
वह
अपना
खेल
जारी
रखेंगी
और
प्रदेश
की
प्रतिभाओं
को
मंच
प्रदान
करने
की
दिशा
में
भी
काम
करेंगी।
मीना
कामत
मीना
कामत
बिहार
के
बाबूबरही
विधायक
और
नीतीश
सरकार
में
पंचायती
राज
मंत्री
रहे
कपिलदेव
कामत
की
बहू
हैं।
16
अक्टूबर
को
कोरोना
वायरस
संक्रमण
से
कपिलदेव
कामत
का
निधन
हो
गया।
जदयू
ने
उनकी
बहू
मीना
कामत
को
बाबूबरही
सीट
से
इस
बार
चुनावी
मैदान
में
उतारा
है।
पिछले
40
साल
से
कपिलदेव
कामत
राजनीति
में
थे
और
अब
उनकी
विरासत
को
बहू
संभालने
जा
रही
हैं।
मीना
कामत
अपने
क्षेत्र
में
चुनाव
प्रचार
कर
रही
हैं।
यह
क्षेत्र
उनके
ससुर
कपिलदेव
कामत
का
गढ़
है
इसलिए
उनको
चुनाव
में
इसका
फायदा
मिल
सकता
है।
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