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दूल्हा चुनने की सदियों से चली आ रही अनोखी परंपरा, दूर-दूर से सभा में आते हैं वर-वधू पक्ष के लोग

बिहार में पकड़ौआ शादी की खबर अकसर खबरों में देखने को मिल जाती है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी ख़बर से रूबरू करवाने जा रहे हैं जिसे पढ़कर आप भी बोलेंगे वाह।

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पटना, 30 जून 2022। बिहार में पकड़ौआ शादी की खबर अकसर खबरों में देखने को मिल जाती है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी ख़बर से रूबरू करवाने जा रहे हैं जिसे पढ़कर आप भी बोलेंगे वाह। आईए विस्तार से जानते हैं क्या है पूरा मामला ? बिहार के मधुबनी ज़िला में सौराठ सभा आयोजित की जाती है जहां वर और वधू पक्ष के लोग आते हैं। रहिका में आयोजित होने वाली सौराठ सभा में हज़ारों की तादाद में लोग जुटते हैं और वहां दूल्हे को पसंद किया जाता है। कोरोना काल में यह आयोजन नहीं हो पाया था लेकिन अब फिर सभा आज से सभा का आयोजन किया जा रहा है जो कि पूरे एक सप्ताह चलेगा।

कई सालों से सौराठ सभा का हो रहा आयोजन

कई सालों से सौराठ सभा का हो रहा आयोजन

मधुबनी के रहिका में मैथिल ब्राह्मणों के शादी के रिश्ते के लिए कई सालों से सौराठ सभा का आयोजन होता आ रहा है। आठ जुलाई तक श्रीरामचरितमानस पाठ के साथ सभा का आयोजन हो चुका है। प्रदेश के विभिन्न ज़िलों से दूल्हे और उनके पक्ष के लोग पहुंच रहे हैं। ग़ौरतलब है कि इस सभा में बाहर प्रदेश के भी लोग शादी से पहले वर के पूर्वज, कुल गौत्र और राशि मिलान के लिए यहां पहुंचते हैं। रहिका प्रखंड की सौराठ सभा परंपरा को बहाल रखने वाले में हिदुस्तान के अलग-अलग राज्यों के अलावा नेपाल में बसे मैथिल ब्राह्मण भी शामिल होते हैं। आंकड़ों की बात की जाए तो 2020 में कोरोना काल की वजह से आयोजन नहीं हुआ था। वहीं 2021 में 10 हज़ार के क़रीब लोगों ने शिरकत की थी जिसमें क़रीब 450 रिश्ते तय किए गए थे।

'आयोजन से लोकसंस्कृति को बढ़ावा मिल रहा है'

'आयोजन से लोकसंस्कृति को बढ़ावा मिल रहा है'

सौराठ सभा समिति की तरफ़ विभिन्न राज्यों से भागीदारी के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है। आपको बता दें कि सभा में पहुंचने वाले लोगों के रहने के लिए स्थानीय धर्मशाला में इंतेज़ाम करवाया गया है। वहीं कुछ लोग होटल में तो कुछ लोग रिश्तेदारों के यहां भी ठहरे हैं। सभा में शिरकत करने वाले लोगों का ड्रेस कोड धोती-कुर्ता औऱ मिथिला पग है, सभी लोग खुशी से इस पहनावे को धारण कर शिरकत कर रहे हैं। सभा मे आए हुए दूर दराज़ से आए लोगों का कहना है डिजिटल ज़माने में इस तरह के आयोजन से लोकसंस्कृति को बढ़ावा मिल रहा है और इस परंपरा को ज़िंदा रहना क़ाबिले तारीफ़ है।

सभा में नहीं लगता किसी प्रकार का चार्ज

सभा में नहीं लगता किसी प्रकार का चार्ज

सौराठ सभा समिति पूरे आयोजन का ख़र्च खुद उठाती है, इस बाबत समिति के मेम्बर आपस में चंदा इकट्ठा करते हैं। इसके अलावा कुछ संगठन के लोग भी आयोजन में मदद करते हैं। सौराठ सभा सचिव डा. शेखर चंद्र झा की मानें तो करीब एक लाख रुपये बार के आयोजन में खर्च होने की उम्मीद है। पंजीकार प्रमोद कुमार मिश्र ने बताया कि वर और कन्या पक्ष के लोग सभा में शिरकत करते हैं। सिर पर लाल रंग के पाग से वर की पहचान होती है। सभा में पहुंचने के बाद वर के स्वजन से कन्या पक्ष के लोगों से मुखातिब होते हैं। बातचीत के बाद अगर रिश्ता तय होता है तो वहां मौजू पंजीकार सिद्धांत लेखन करते हैं। इन सब के बाद शादी की तारीख तय की जाती है। ग़ौरतलब है कि इन सब कामों के लिए कोई चार्ज नहीं लगता है। वर और वधू पक्ष अगर अपनी ख़ुशी से कुछ दें तो वह अलग बात है।

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English summary
The unique tradition choose the groom, saurath sabha mathil 2022 people coming from different state
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