टीचर्स डे: एक ऐसा शिक्षक जिसे मरने के बाद भी छात्र करते हैं सम्मान
पटना। आज शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है जहां छात्र अपने गुरु शिक्षक को सम्मानित करते हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं बिहार के एक ऐसे शिक्षक की कहानी जिसे छात्र छात्राओं के द्वारा ऐसा सम्मान दिया गया जिसे शायद ही कोई शिक्षक को नसीब होता है। इस दुनिया में ऐसा कहा जाता है कि इंसान मरता है लेकिन उसका सोच और काम करने के तरीके सदा अमर रहते है। ऐसे ही छवि के एक प्रोफेसर बिहार के बेगूसराय जिले के कॉलेज में कार्यगत थे। जीडी कॉलेज की माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रोफेसर अनिल शंकर मिश्रा छात्रों के बीच कुछ ऐसे खास थे कि आज उनके मरने के बाद भी छात्र और कॉलेज के अन्य प्रोफेसर उनके सादगी के दीवाने हैं तथा टीचर्स डे पर उन्हें विशेष सम्मान देते हैं। कॉलेज के छात्रों और प्रोफेसरों द्वारा शंकर मिश्रा को मरने के बाद भी उनके कार्यालय में उनका नेम प्लेट और उनकी कुर्सी पर आज तक कोई भी प्रोफेसर नहीं बैठा है उन लोगों का कहना है कि आज भी मिश्रा जी हम लोगों के बीच है और हम सभी उनके शिष्य है।
प्रोफेसर शंकर मिश्रा मौत 25 सितंबर 2015 को हो गई थी। जिसके बाद कॉलेज में उनके विभागाध्यक्ष डॉक्टर सुधीर चंद्र वर्मा पहुंचे लेकिन उनके पढ़ने के तरीके और छात्रों के दिलों में अपने गुरु के अभिमान को देखते हुए उन्होंने कार्यालय के बाहर लगे नेम प्लेट और उनकी कुर्सी नहीं हटाऐ जाने का फैसला लिया और यह आज तक चलता रहा है। यही नहीं उनके कार्यालय में लगे कुर्सी और सोफे को रोजाना साफ किया जाता है तथा विभागाध्यक्ष से लेकर प्रोफेसर तक कोई भी उनकी कुर्सी पर नहीं बैठता।
वहीं डॉक्टर मिश्रा के इस सम्मान को लेकर जब तत्कालीन विभागाध्यक्ष डॉक्टर वर्मा से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि स्वर्गीय प्रोफेसर डॉक्टर अनिल शंकर मिश्रा कॉलेज में छात्र रह चुके हैं और कॉलेज में प्रोफेसर भी थे। उनके पढ़ाने का तरीका कुछ ऐसा था कि छात्र शिक्षक से ज्यादा उन्हें अभिभावक समझते थे। 1 जुलाई, 2003 को कॉलेज में शिक्षक के पद पर जॉइन करने से लेकर मृत्यु तक उनके मार्गदर्शन में काम करने का जो अनुभव हमें मिला है वह हम कभी नहीं भूल सकते हैं इसीलिए उनके सम्मान में ऐसा करते हैं। जिससे हमें आज भी उनकी मौजूदगी महसूस होती है।
जीडी कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर अभय सिंह का कहना है कि प्रोफेसर मिश्रा के मौत के बाद जब उनके स्थान पर दूसरे को विभाग अध्यक्ष बनाया गया तब कॉलेज के शिक्षक और छात्रों ने यह फैसला लिया कि डॉक्टर मिश्रा हम लोगों के बीच सदैव जिंदा रहे इसलिए हम लोग न तो उन की कुर्सी पर बैठेंगे और ना ही उनका नेम प्लेट हटाएंगे। जिसके बाद तब से लेकर आज तक ऐसा ही चलता रहा है और हर साल शिक्षक दिवस के अवसर पर स्वर्गीय प्रोफेसर डॉक्टर मिश्रा को विशेष तरीके से शिक्षक और छात्र सम्मान करते हैं।