रघुवंश प्रसाद ने परिवारवाद की राजनीति पर लिखी चिट्ठी, JDU ने कहा- निर्लज्जता की परकाष्ठा
पटना। बिहार की सियासत इन दिनों काफी गर्मायी हुई है। एक तरफ जहां राजद पार्टी के भीतर सबकुछ सही होने की बात कह रही है तो वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह के पत्र ने एक बार फिर राजनीतिक भूचाल ला दिया है। इस्तीफा देने के बाद रघुवंश प्रसाद ने संदर्भ शीर्षक से एक पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने अपनी व्यथा-कथा कहने के साथ उन्होंने राजनीति में वंशवाद और परिवारवाद पर हमला बोला है। ऐसा माना जा रहा है कि उनका सीधा निशाना लालू प्रसाद यादव की परिवारवाद वाली राजनीति पर है।
रघुवंश प्रसाद सिंह ने लिखा है कि वर्तमान में राजनीति में इतनी गिरावट आ गई है जिससे लोकतंत्र पर ख़तरा है। महात्मा गांधी बाबू जयप्रकाश, डॉ. लोहिया, बाबा साहेब और जननायक कर्पूरी ठाकुर के नाम और विचारधारा पर लाखों लोग लगे रहे, कठिनाईयां सहीं, लेकिन डगमग नहीं हुए, लेकिन अब समाजवाद की जगह सामंतवाद, जातिवाद, वंशवाद, परिवारवाद, संप्रदायवाद आ गया। यह सभी उतनी ही बुराईयां हैं जिसके खिलाफ समाजवाद का जन्म हुआ था।
इसके साथ ही उन्होंने लिखा कि अब इन पांचों महान पुरुष की जगह एक ही परिवार के पांच लोगों की फोटो छपने लगी है। पद हो जाने से धन कमाना और धन कमाकर ज्यादा लाभ का पद खोजना। राजनीति की परिभाषा के अनुसार इन सभी बुराइयों से लड़ना है। राजद संगठन को मजबूत करने के उद्देश्य से ही पार्टी में संगठन और संघर्ष को मजबूत करने के लिए लिखा, लेकिन पढ़ने तक का कष्ट नहीं किया गया।
वहीं रघुवंश प्रसाद के इस नए पत्र पर भाजपा-जदयू समेत सभी पार्टियों ने आरजेडी पर हमला करते हुए कहा कि राजद वरिष्ठ नेताओं का भी सम्मान नहीं करता। रघुवंश प्रसाद ने अपनी पीड़ा जताई है, जिसका नुकसान आरजेडी को भुगतना पड़ेगा। जदयू नेता व बिहार सरकार में मंत्री नीरज कुमार ने कहा है कि रघुवंश बाबू की विरासत पर तेजस्वी यादव ने हमला किया है । साथ ही उन्होंने कहा कि राजनीति में निर्लज्जता की परकाष्ठा हो गई है। कार्यकर्ताओं की जगह लालू के परिवार का ही फोटो लगता है। रघुवंश बाबू की आह आरजेडी को लगेगी।
वहीं रघुवंश प्रसाद सिंह के चिट्ठी पर बीजेपी प्रवक्ता निखिल आंनद ने कहा कि आरजेडी को न महापुरषों की फिक्र है और न ही सीनियर नेताओं की। रघुवंश प्रसाद ने अपनी पीड़ा जाहिर की है। एक ही परिवार के लोग राजनीति में कब्जा किये हुए हैं। जिन्होंने अपने वरिष्ठों का ख्याल नहीं किया वो दूसरे का क्या करेगा।