बिहार में बदल रही सियासी फ़िज़ा, 2025 के चुनाव से पहले बदल सकते हैं समीकरण
बिहार में एमएलसी चुनाव और उपचुनाव के नतीजों के बाद सियासी फ़िजा बदली हुई नज़र आ रही है।
पटना, 19 अप्रैल 2022। बिहार में एमएलसी चुनाव और उपचुनाव के नतीजों के बाद सियासी फ़िजा बदली हुई नज़र आ रही है। सियासी गलियारों में यह चर्चा ज़ोरों पर है कि 2025 के चुनाव से पहले राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं। इसके पीछे की खास वजह यही है कि एनडीए गठबंधन के नेताओं के बीच तालमेल नहीं है। जदयू और भाजपा के नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। एमएलसी चुनाव के नतीजे के बाद भाजपा नेता रजनीश कुमार का बयान आया था कि अब पार्टी को यूपी की तरह अलग होकर अपने दम पर चुनाव लड़ना चाहिए।
भाजपा प्रत्याशी की हार
बिहार में बोचहां विधानसभा उपचुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद जदयू नेता पर आरोप लग रहा है। यह चर्चा तेज़ है कि बोचहां विधानसभा में भाजपा की हार से जदयू नेता काफी खुश है। वहीं भाजपा प्रत्याशी के हारने पर जदयू के विधानपार्षद खाविद अनवर ने तंज कसा है। उन्होंने कहा कि बीजेपी नेताओं की तरफ़ से सीएम नीतीश कुमार पर की गई टिप्पणी ही बोचहां में हार का सबब बनी है। नीतीश कुमार बिहार में एनडीए के नेता हैं और इसके बाद भी एनडीए के कुछ नेता नीतीश कुमार के ख़िलाफ़ बयानबाज़ी कर रहे थे। इससे नीतीश कुमार के समर्थकों में नाराज़गी थी, यही वजह है कि बोचहां में भाजपा को कामयाबी नहीं मिली।
VIP ने हार के बाद भी मनाया जश्न
बोचहां विधानसभा में अमर पासवान (राजद) को 82 हजार 547 वोट, बेबी कुमारी (भाजपा) को 45 हजार 889 वोट और गीता कुमारी (वीआईपी) को 29 हज़ार 279 वोट ही मिले थे। ग़ौरतलब है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में वीआईपी के प्रत्याशी रहे मुसाफिर पासवान बोचहां सीट से चुनाव जीते थे। उनकी मौते के बाद इस सीट पर अपचुनाव हुआ जिसमें मुसाफिर पासवान के बेटे अमर पासवान ने राजद की टिकट पर चुनावी बिगुल फूंक कर कामयाबी हासिल की। मुकेश साहनी की वीआईपी उपचुनाव में तीसरे नंबर पर रही इसके बावजूद उपचुनाव के नतीजे के बाद वीआईपी ने जश्न मनाया। मुकेश साहनी अपनी हार से ज्यादा भाजपा की हार पर खुश दिखे।
Recommended Video
क्या बिना गठबंधन के चुनाव लड़ेगी BJP ?
भारतीय जनता पार्टी के नेता रजनीश कुमार ने अपने सहयोगी दल जनता दल यूनाइटेड पर गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के उम्मीदवार की जीत पर नीतीश कुमार ज़िन्दाबाद के नारे लगे। क्या यही एनडीए का गठबंधन है? उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व से अलग होने की मांग की है। सोशल मीडिया के ज़रिए उन्होंने अपनी बातों को रखते हुए कहा कि बिहार में अब गठबंधन की सियासत कामयाब नहीं होने वाली है। बिहार भाजपा को उत्तर प्रदेश की तरह खुद पर यक़ीन करते हुए आगे बढ़ना चाहिए। बिहार की सियासत में अब बिना गठबंधन के चुनावी रण में उतरने का वक़्त आ चुका है।
गुटबाज़ी का शिकार हुए रजनीश
रजनीश कुमार बेगूसराय से विधान परिषद के सदस्य रह चुके हैं। इस बार भी वह भाजपा की टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे थे। सियासी गलियारों में उनकी जीत तय मानी जा रही थी। सियासी गलियारों में चर्चा तेज़ है कि गुटबाजी को हवा देने के चक्कर में रजनीश कुमार ही गुटबाजी के शिकार हो गए। स्थानीय लोगों का कहना है कि गिरिराज सिंह के बेगूसराय आने के बाद से ही रजनीश कुमार ने गुटबाजी शुरू कर दी थी। जिसके बाद से ही गिरिराज गुट रजनीश सिंह को सबक सिखाने की रणनीति तैयार करने में जुट गया था।
दांव पर रजनीश का राजनीतिक भविष्य
बिहार विधानपरिषद चुनाव में गिरिराज गुट को मौक़ा मिल गया, सभी कार्यकर्ताओं ने विधान परिषद के चुनाव रजनीश सिंह को चुनावी मंक्षदार में अकेले छोड़ दिया। जिसका नतीजा यह हुआ कि यहां से रजनीश सिंह को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। वहीं राजीव कुमार चुनाव जीत गए। इसके अलावा सियासी गलियारों में यह भी चर्चा तेज है कि भाजपा प्रत्याशी का बेगूसराय को लेकर जदयू विधायक संजीव कुमार मदद नहीं कर रहे थे। उन्होंने अपने भाई राजीव सिंह को कांग्रेस से टिकट दिलवाया और जमकर उनके पक्ष में प्रचार किया। इसी का नतीजा है कि भाजपा के रजनीश कुमार की हार हुई और अब रजनीश का राजनीतिक भविष्य दांव पर है। एनडीए नेताओं की बयानबाज़ी से सियासी गलियारों में यह चर्चा है कि 2025 के चुनाव में जदयू और भाजपा दोनों के रास्ते अलग हो जाएंगे।
ये भी पढ़ें: बिहार में दुरुस्त होगी ट्रैफिक व्यवस्था, पटना के बाद अब इन ज़िलों में बनेगा रिंग रोड