बिहारः कालाजार पर रिसर्च करने वाले पद्मश्री से सम्मानित डॉ. मोहन मिश्रा का निधन
पटना। बिहार के प्रसिद्ध चिकित्सक 83 वर्षीय पद्मश्री डॉ. मोहन मिश्रा का गुरुवार की देर रात को हार्ट अटैक से निधन हो गया। उन्होंने पटना के लहेरियासराय के बंगाली टोला स्थित आवास पर अंतिम सांस ली। वे मूल रूप से मधुबनी जिले के कोईलख गांव के निवासी थे। उनके निधन के बाद देर रात ही पार्थिव शरीर को गांव ले जाया गया। वहां आज यानी कि शुक्रवार को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। डॉ. मिश्रा डीएमसीएच के मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष रह चुके थे। साल 1995 में वे वहां से सेवानिवृत्त हुए थे। परिजनों ने बताया कि वे पिछले तीन दिनों से बीमार थे। हालांकि उनकी कोरोना जांच रिपोर्ट नेगेटिव थी।
कालाजार पर शोध के लिए साल 2014 में उन्हें 'पद्मश्री' से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा डॉ. मिश्रा ने ब्राह्मी के पौधे से डिमेंशिया यानी भूलने की बीमारी की दवा की भी थोज की थी। उनके इस रिसर्च को ब्रिटिश जर्नल में भी जगह दी गयी थी। उनका यह शोध वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन में भी पंजीकृत किया गया है। सेवानिवृत्ति के बाद वे अपने आवास पर ही मरीजों का इलाज करते थे। उनके निधन से जिले में शोक की लहर दौड़ गयी है। बड़ी संख्या में उन्हें जानने वाले लोग शोक व्यक्त कर रहे हैं।
देश के पहले सुपरसोनिक लड़ाकू विमान तेजस को बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले पद्मश्री डॉ. मानस बिहारी वर्मा का बीते सोमवार की देर रात को दरभंगा के लहेरियासराय स्थित आवास पर निधन हो गया था। डॉ. मानस बिहारी वर्मा डीआरडीओ, बेंगलुरु में रक्षा वैज्ञानिक रहे डॉ. वर्मा और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम के सहयोगी थे।
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प्राप्त जानकारी के मुताबिक उनका निधन ह्रदय गति के रुकने से हुआ है। डॉ. वर्मा के भतीजे मुकुल बिहारी वर्मा ने इसकी उनके मौत की पुष्टि की। डॉ. वर्मा घनश्यामपुर प्रखंड के बाऊर गांव के मूल निवासी थे। मौजूदा वक्त में वे केएम टैंक मोहल्ले में किराये के मकान में रह रहे थे।