अजीबोगरीब बीमारी, बादल गरजते ही टूटने लगती है इस लड़की की हड्डियां
बिहार में एक अजीबोगरीब बीमारी का मामला सामने आया है। जिसमें बादल की गर्जन से बदन की हड्डी टूटने की बात कही जा रही है। यह बीमारी बिहार के पूर्णिया जिले की रहने वाली सबल परवीन को पिछले 17 वर्षों से है।
पटना। जब-जब आसमान में घनघोर घटाएं छाते हुए गरजने लगती हैं, तब-तब इस लड़की की जिंदगी टूटने लगती है। आज तक उसे ही नहीं पता है कि उसके बदन की कौन सी हड्डी सही सलामत है और कौन सी टूटी हुई। दरअसल, बिहार में एक अजीबोगरीब बीमारी का मामला सामने आया है। जिसमें बादल की गर्जन से बदन की हड्डी टूटने की बात कही जा रही है। यह बीमारी बिहार के पूर्णिया जिले की रहने वाली सबल परवीन को पिछले 17 वर्षों से है। इस बीमारी के इलाज के लिए सबल के परिजन पटना से लेकर दिल्ली तक सभी अस्पतालों में उसका इलाज करवा चुके हैं। वहीं, डॉक्टर इस बीमारी को सुनने के बाद हैरान रह जाते हैं। अभी तक जितने भी डॉक्टरों से इलाज के लिए दिखाया गया है। सभी का कहना है कि इसका इलाज संभव नहीं है। सबल पढ़ लिखकर दुनिया में अपना नाम रोशन करने की उम्मीद लगाए बैठी है। इस बार वे इंटर की परीक्षा में शामिल होंगी।
कब कौनसी हड्डी टूट जाए पता ही नहीं चलता
वहीं, सबल के माता पिता का कहना है कि बचपन से ही यह अजीबोगरीब बीमारी से ग्रसित है। ऐसी बीमारी जिसका इलाज कहीं भी संभव नहीं है। जरा सा भी हो-हल्ला, शोरगुल या फिर आसमान में बादल गरजता है तो इस लड़की की हड्डियां टूटने लगती हैं। इसके शरीर की चमड़ी इतनी कमजोर है कि टूटी हुई हड्डी पर प्लास्टर भी नहीं करवाया जा सकता। कब कहां किस वक्त उसकी कौन सी हड्डी टूट जाएगी यह उसे ही नहीं पता चलता। फिर भी पढ़ लिख कर कुछ करने का हौसला उसके मन में है। टूटी हुई हड्डियों की वजह से चलना फिरना तो दूर कोई भी काम अकेले नहीं कर पाती है। सिर्फ बोलने और पढ़ने के अलावा उसे और कुछ नहीं आता। जब वह दसवीं की परीक्षा दे रही थी तभी वहां हो रहे शोरगुल की वजह से वह कुर्सी से गिर गई थी जिसके वजह से उसका दाहिना हाथ टूट गया। हलांकि टूटे हुए हाथों के सहारे ही अब वह इस बार इंटर के एग्जाम देने जा रही है।
जन्म लेने के बाद से ही टूटने लगी थी हड्डियां
सबल की मां गजला परवीन का कहना है कि यह हमारी सबसे बड़ी बेटी है। जब इसका जन्म हुआ था तभी से ही यह कुछ अजीबोगरीब बीमारी से पीड़ित थी। जन्म लेने के बाद 5 से 7 दिन तो सब ठीक रहा फिर धीरे-धीरे उसमें इस बीमारी के लक्षण दिखने लगे। बदन छुने पर जोर-जोर से चिल्लाने लगती थी। जिसके बाद हम लोग इसे इलाज के लिए डॉक्टरों के पास ले गए तो डॉक्टर ने कहा कि इसकी हड्डी टूटी हुई है। कोमल चमड़ी होने के कारण इसका प्लास्टर भी नहीं करवाया गया। धीरे-धीरे ये बीमारी बढ़ती गई। हड्डी टूटने के डर से इसे मच्छर काटने के बाद भी हम लोग नहीं हिलाते थे। जैसे-जैसे यह बड़ी होती गई यह बीमारी भी बढ़ने लगी । फिर डॉक्टरों ने बताया कि इसे ऑस्ट्रो जेनेसिस इंफर फैक्टा नामक बीमारी है जिसका इलाज यहां संभव नहीं है।
इंटर की परीक्षा की तैयारी कर रही है सबल
सबौर गर्ल्स इंटर स्कूल की इंटर में पढ़ने वाली सबल आर्ट्स की स्टूडेंट है। परीक्षा में सब कुछ तो ठीक है वह लिख नहीं सकती है। जिसकी वजह से उसने वहां की डीईओ से मिल कर एक राइटर देने की मांग की है। बीमारी से पीड़ित छात्रा के हौसले और पढ़ने के जुनून को देखते हुए वहां के केंद्राधीक्षक आभा कुमारी ने उसे यह सुविधा प्रदान की है। आभा का कहना है कि ऐसे पढ़ने वाले बहुत कम ही बच्चे नजर आते हैं जो अजीबोगरीब बीमारी से पीड़ित होने के बाद भी पढ़ाई लिखाई के प्रति काफी संवेदनशील होते हैं। इसी वजह से सबल को हर तरह की सुविधा और उसके साथ होने वाली परेशानियों का पूरा ख्याल रखा जा रहा है। उसके लिखावट की समस्या को दूर करने के लिए एक राइटर को भी खोजा जा रहा है।
दिल घबराने के बाद आ जाती है पापा की याद, फिर सुनने लगते हैं गाने
17 वर्षीय सबल परवीन का कहना है कि जब भी कभी दिल घबराने लगता है तो हम अपने पापा को याद करते हैं। फिर पापा मुझे गाना सुनाते हैं और सारी परेशानियां अपने आप ही दूर हो जाती हैं। जब पापा गाना गाते हैं तो मुझे एक ऐसी एनर्जी मिलती है जिससे हम कुछ ही क्षणो में रिफ्रेश हो जाते हैं। वहीं, सबल के माता-पिता का कहना है कि हमारे 5 बच्चे हैं लेकिन सबसे प्यारी मेरी बड़ी बेटी सबल है। हम लोगों की हमेशा से यही कोशिश होती है कि इसका दिल नहीं दुखाया जाए और दुनिया की सारी खुशी इसके पास लाकर रख दी जाए, जिससे यह हमेशा खुश रहे। ये भी पढ़ें: मिसाल: सरकार नहीं बना पाई तो लोगों ने खुद बना लिया 20 लाख का पुल