OMG ! झील पूजा में मनोकामना पूरी होने के लिए खुले पैर से आग पर चलते हैं भक्त, दूर-दूर से आते हैं लोग

OMG आस्था या अंधविश्वास ! बिहार के कटिहार ज़िले से हैरतअंगेज़ मामला सामने आया है, जहां झील पूजा में भक्त अपनी मनोकामना पूरी होने के लिए खुले पैर से आग पर चलते हैं। भक्तों की मान्यता है कि खुले पैर से तपते आग पर चलने से उनके पैर भी नहीं जलते हैं और मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। कटिहार जिले के राजेंद्र पार्क डुमरिया (समेली प्रखंड) में श्रद्धालुओं के पूजा करने की अनोखी तस्वीर चर्चा का विषय बनी हुई है। नंगे पैर तपते आग में चलकर मनोकामना पूरी होने के लिए की जा रही चार दिवसीय पूजा को स्थानीय लोग झील पूजा कहते हैं।

खुले पैर से आग पर चलते हैं भक्त !
कटिहार जिले में हो रही इस झील पूजा में शामिल होने स्थानीय लोगों के अलावा दूर-दूर से लोग आ रहे हैं। काफी तादाद में बुज़ुर्ग और बच्चे भी पूजा में शिरकत करने आ रहे हैं। स्थानीय लोगों की मानें तो जिनकी मनोकामना पूरी हो जाती है वह झील पूजा करवाते हैं। वहीं जिन लोगों को किसी भी प्रकार की परेशानी है और उनकी समस्या का हल नहीं हो रहा है। वह लोग अपनी परेशानियों के हल के लिए इस पूजा में शामिल होते हैं। अपनी मनोकामना को पूरी करने के लिए वह नंगे पांव ही तपते हुए आग पर चलकर झील पूजा करते है।

‘प्रसाद ग्रहण करने से मनोकामना पूरी होती है’
ग्रामीणों ने बताया कि झील पूजा का आयोजन करने वाले भक्त बांस से बने झील के ऊपर चढ़ते हुए आग पर चलते हैं। वहीं पूजा संपन्न होने के श्रद्धालुओं के आंचल में प्रसाद फेंकते हैं। वहीं प्रसाद ग्रहण करने के बाद श्रद्धालु अपनी मनोकामना मांगते हैं। ग़ौरतलब है कि स्थानीय लोगों का मानना है कि इस दौरान आग पर खुले पैर से गुज़रने पर श्रद्धालुओं के पैर नहीं जलते हैं। मान्यता है कि झोपड़ी में बने झील पूजा स्थल पर पूजा करवाने के बाद अपना आंचल फैलाकर प्रसाद ग्रहण करने से मनोकामना पूरी होती है।

‘सदियों से चली आ रही यह परंपरा’
झील पूजा में शिरकत करने पहुंचे भक्तों ने बताया कि सदियों से खुले आसमान के नीचे पूजा आयोजित की जा रही है। झील पूजा का शुरुआत अयोध्या के राजा दशरथ ने किया था। पूजा का प्रसाद (खीर) खाने के बाद ही उन्हें राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न जैसे पुत्र धन की प्राप्ति हुई थी। वहीं दूसरे श्रद्धालु ने कहा की सच्चे मन से पूजा करने वाले और आग पर चलने वाले भक्त के पैर नहीं जलते हैं। इसके साथ ही उनकी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।
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‘सच्चे भक्तों की पूरी होती है मनोकामना’
झील पूजा के आयोजन को लेकर मान्यता है कि पूजा के दौरान मनोकामना पूरी होती है। निर्धन को धन, बांझ को संतान की प्राप्ती होती है। भक्त को किसी भी तरह की परेशानी होती है, उसका हल निकल जाता है। स्थानीय लोगों की मान्यता है कि भक्त के आग में प्रवेश होते ही उसकी सारी परेशानियां दूर हो जाती है। जिसके मन में छल कपट होता है, वह आग में जल भी सकता है। सच्चे मन से पूजा करने वाले भक्तों की मनोकामनाएं ज़रूर पूरी होती है।
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