Motivational Story: मां ने मज़दूरी कर की बेटियों की परवरिश, लक्ष्मी ने काफ़ी मशक्कत से हासिल किया ये मुकाम
Motivational Story: सहरसा ज़िले के बनगांव (कहरा प्रखंड) की रहने वाली लक्ष्मी के सिर पर पिता का साया नहीं है। मां सरिता देवी ने काफी परेशानियों से गुज़रते हुए बेटियों की परवरिश की है। लक्ष्मी अपने परिवार में सबसे छोटी है।
Motivational Story: दुनिया भर में बिहार के लाल विभिन्न क्षेत्रों में अपने हुनर का डंका बजवा रहे हैं, वहीं बिहार की बेटियां भी बेटों से कम नहीं हैं। वह भी अपनी प्रतिभा से प्रदेश का परचव लहरा रही हैं। इंसान की राहों में मुश्किलें ज़रूर आती हैं, कुछ लोग मुश्किलों से हार मान जाते हैं, तो कुछ लोग उन परेशानियों से जूझते हुए कामयाबी का परचम भी लहराते हैं। आज हम आपको बिहार के सहरसा ज़िले की बेटी लक्ष्मी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने काफी मुश्किलों का सामना किया लेकिन हार नहीं मानी। नेपाल स्थित काला पत्थर पिक और माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप पर तिरंगा लहराने वाली बिहार की पहली बेटी का खिताब अपने नाम कर लिया। वहीं ग्रामीणों में खुशी की लहर है, उन्होंने बताया कि लक्ष्मी बचपन से ही होनहार छात्राओं में शुमार की जाती थी, पिता का सिर पर साया नहीं होने के बावजूद इस मुकाम तक पहुंचना काफी सराहनीय है।
लक्ष्मी ने काफ़ी मशक्कत से हासिल किया मुकाम
सहरसा ज़िले के बनगांव (कहरा प्रखंड) की रहने वाली लक्ष्मी के सिर पर पिता का साया नहीं है। मां सरिता देवी ने काफी परेशानियों से गुज़रते हुए बेटियों की परवरिश की है। लक्ष्मी अपने परिवार में सबसे छोटी है, परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के बावजूद सरिता देवी अपनी चार बेटियों की अच्छे से परवरिश कर रही हैं। इसी का यह नतीजा है कि लक्ष्मी ने दूसरों के लिए उदाहरण सेट किया है। अब लक्ष्मी माउंट एवरेस्ट फतह करने की तैयारी में जुट गई हैं।
नेपाल के थमदादा से की थी चढ़ाई की शुरुआत
नेपाल के थमदादा से लक्ष्मी में 9 नबंबर को चढ़ाई शुरू की थी। 5 हज़ार 550 मीटर काला पत्थर की चढ़ाई की। उसके बाद लक्ष्मी ने 5 हज़ार 536 मीटर एवरेस्ट बेस कैंप की भी चढ़ाई की। लक्ष्मी को इस चढ़ाई को पूरा करने में कुल नौ दिनों का वक़्त लगा। चढ़ाऊ करने में 9 दिन औऱ वापस आने में 3 दिन का वक्त लगा। लक्ष्मी ने बताया कि रविंद्र किशोर सिंघा (एसआइएस कंपनी के निदेशक) उनकी प्रेरणा के स्रोत हैं। उन्होंने ने ही लक्ष्मी की पंख को उड़ान दिया और नेहरू इंस्टीट्यूट उत्तराखंड में नामांकन कराया। वहीं से उन्होंने 1 साल की ट्रेनिंग ली।
2024 में माउंट एवरेस्ट फतह करने की तैयारी
लक्ष्मी ने ट्रेनिंग के बाद छोटे-छोटे पर्वतों पर चढ़ाई शुरू की, उसके बाद उनका नाम काला पत्थर और एवरेस्ट के लिए सेलेक्ट किया गया। लक्ष्मी ने बखूबी अपने हुनर का परचम लहराया और कामयाबी हासिल की। ग़ौरतलब है कि लक्ष्मी 2024 में माउंट एवरेस्ट फतह करने की तैयारी में जुट गई हैं। लक्ष्मी की इस कामयाबी से गांव वाले काफी खुश हैं, उन्होंने कहा कि लक्ष्मी घर में सबसे छोटी है, लेकिन घर के बड़ों की तरह ही वह अपनी ज़िम्मेदारियों को निभा रही हैं। सभी लोगों को लक्ष्मी ने गौरवांवित किया है, आने वाले समय में वह पूरे विश्व में देश का नाम रोशन करेगी।
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