सृजन घोटाला: एक गलती ने कर दिया करोड़ों के घोटाले का पर्दाफाश
पटना। बिहार के भागलपुर में सृजन घोटाला सामने आने के बाद बिहार की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। लगभग 1 हजार करोड़ के इस घोटाले को बिहार का अब तक का सबसे बड़ा घोटाला बताया जा रहा है। विपक्ष, सत्ताधारी पार्टी को इस घोटाले का दोषी मान रही है तो सरकार इस में CBI जांच कर मामले का पर्दाफाश करने की बात कह रही है। वहीं बिहार पुलिस के डीजीपी पीके ठाकुर के अनुसार इस घोटाले का खेल आज से नहीं बल्कि 2003 से खेला जा रहा था। और यह खेल चलता ही रहता लेकिन घोटाले के मास्टरमाइंड मनोरमा देवी की मौत हो गई और बेटा बेटी ने सृजन का कमान संभाल लिया। इसी साल फरवरी में मनोरमा देवी की बेटी प्रिया और बेटे अमित को कोर्ट के द्वारा एक नोटिस भेजा गया तथा नोटिस मिलते ही दोनों फरार हो गए। जिसके बाद और भी कई लोगों के चेक बाउंस होने लगे धीरे धीरे मामले की जानकारी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक पहुंची तथा शुरुआती जांच के दौरान ही यह घोटाला करोड़ों में सामने आया।
9 FIR और 12 गिरफ्तारी
पुलिस ने बताया कि 2003 से चल रहे इस घोटाले का पर्दाफाश तब हुआ जब 7 अगस्त को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने यह बात आई थी कि भागलपुर में सरकारी खजाने का दुरुपयोग किया जा रहा है। इस तरह की बात सुनते ही मुख्यमंत्री ने कई अधिकारियों को जांच का आदेश देते हुए भागलपुर भेजा । जिसमें आईजी जितेंद्र सिंह गंगवार के साथ कई स्पेशल टीम वहां पहुंची और मामले की जांच पड़ताल करने लगी। जांच कर रहे अधिकारी भी इस घोटाले को लेकर इतना नहीं समझ रहे थे कि यह करोड़ो में जाएगा लेकिन जैसे-जैसे जांच होती गई मामला बढ़ता गया। अब यह बिहार का महाघोटाला बनने के रूप में जा रहा है। घोटाले की रकम बढ़ते देख विपक्ष की सरकार भी सत्ताधारी पार्टी पर निशाना साधने लगी और देखते ही देखते मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे सीबीआई के हवाले कर दिया। वही इस मामले में अब तक 9 FIR और 12 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। मामले कि जांच चल ही रही थी तभी इस घोटाले के आरोप में जेल में कैद आरोपी मंडल की मौत हो गई जिसके बाद इस मामले में एक नया मोड़ आ गया।
270 करोड़ रुपए के फर्जी चेक से सामने आया घोटाला
आपको बताते चलें की 270 करोड़ के फर्जी चेक से प्रकाश में आया यह मामला धीरे-धीरे हजार करोड़ तक पहुंच चुका है। जिसे भागलपुर और सहरसा के सरकारी बैंकों के अकाउंट से गलत तरीके से सृजन महिला विकास समिति के खाते में डाली जाती थी। इस तरह का खेल पिछले कई वर्षों से चल रहा था पर इस महीने के अगस्त में इसका खुलासा हुआ तथा जांच पड़ताल शुरु की गई। ऐसा कहा जा रहा है कि इस घोटाले को अंजाम देने वाली मनोरमा देवी का अगर मौत नहीं होती तो शायद यह मामला अब तक किसी के सामने नहीं आया होता। सृजन की संस्थापक मनोरमा देवी फरवरी में इस दुनिया को छोड़कर हमेशा हमेशा के लिए चली गई और 4 अगस्त को फर्जी चेक से इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ।इस चेक को भागलपुर के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट आदेश तितिरमारे के द्वारा पावर प्लांट के लिए किसानों की जमीन अधिग्रहण के बदले जारी किया था। पर बैंक में डालते ही चेक बाउंस हो गया जिसके बाद मामला सामने आया। और जिला अधिकारी के द्वारा इस घोटाले की स्कीम की जानकारी चीफ सेक्रेटरी अंजनी कुमार सिंह को दी गई जिन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस मामले से अवगत कराया।
कभी सड़कों पर साड़ी बेटती थी मनोरमा देवी
सृजन कि संस्थापक मनोरमा देवी कभी ठेला पर घूम घूम कर साड़ी बेचा करती थी लेकिन किस्मत की वह धनी थी एक सिलाई मशीन से हजार करोड़ तक का सफर उसने बड़ी ही बारीकी से तय किया। मनोरमा देवी इस घोटाले को अंजाम देने के लिए सरकारी बैंकों का इस्तेमाल किया। जिसमें गवर्नमेंट वेलफेयर डिपार्टमेंट्स के अकाउंट थे। घोटाले को अंजाम देने के लिए मनोरमा देवी ने सरकारी अधिकारी और बैंक कर्मचारी को भी अपने झांसे में फसाया तथा इस घोटाले को अंजाम दिया जिसमें बैंक मैनेजर और जिला अधिकारी के PA की अहम भूमिका रही। इंडियन बैंक, और Bank of Baroda जैसे बैंकों में सरकारी योजना की अधिकतर राशि जमा की जाती थी। जैसे ही सरकारी खातों में कोई भी रकम जमा होता मनोरमा देवी को इसकी जानकारी हो जाती थी और बैंक मैनेजर तथा जिला अधिकारी के असिस्टेंट कि मदद से फर्जी हस्ताक्षर के जरिए सिरजन के अकाउंट में ट्रांसफर करा दिया जाता था।