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Holi Special: क्या आप जानते हैं कहां से हुई थी होली की शुरुआत, ज्यादातर लोग नहीं जानते ये बात

Holi Special: पूरे देश में होली के जश्न की तैयारी हो रही है, लेकिन क्या आप जानते हैं पहली बार होलिका दहन कहां हुआ था। बिहार के इस जिले में पहली बार होलिका दहन हुआ था, आज भी साक्ष्य मौजूद है।

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Holi 2023 Special News From Where First Time Holika Dahan Started


Holi Special: देश भर में होली से पहले पूर्व संध्या पर होलिका दहन की परम्परा पूर्वजों से चली आ रही है। बिहार के पूर्णिया ज़िले के बनमनखी से होलिका दहन की परम्परा का इतिहास जुड़ा हुआ है। इसके पीछे की कहानी बहुत ही कम लोग जानते हैं। स्थानीय बुज़ुर्गों की मानें तो आज की तारीख में भी सिकलीगढ़ धरहरा (बनमनखी) में होलिका दहन से जुड़े अवशेष बचे हुए हैं। भक्त प्रहलाद को बचाने के लिए उसी जगह पर खम्भे से नरसिंह अवतार हुआ था और प्रहलाद को बचा लिया गया था। लक्ष्मण ऋषि (पुजारी) ने बताया कि मान्यताओं के अनुसार असुर हिरण्यकश्यप ने ब्रह्माजी को प्रसन्न करने की तपस्या की थी और देवताओं को पराजित कर दिया था।

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होलिका के साथ प्रहलाद को अग्नि में जलाने की योजना

लक्ष्मण ऋषि (पुजारी) ने बताया कि तीनों लोकों पर हिरण्यकश्यप का अत्याचार शुरू हो गया था। तब भगवान विष्णु ने भक्तों के कल्याण के लिए अपने अंश प्रहलाद को असुरराज की पत्नी कयाधु के गर्भ में भेज दिया। जन्म से ही भक्त प्रहलाद विष्णु भक्त था। जिससे हिरण्यकश्यप उसे अपना शत्रु समझने लगा था। अपने पुत्र को खत्म करने के लिए हिरण्यकश्यप ने होलिका के साथ प्रहलाद को अग्नि में जलाने की योजना बनाई। होलिका के पास एक ऐसी चादर थी जिसपर आग का कोई प्रभाव नहीं पड़ सकता। योजना के अनुसार हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को वही चादर लपेटकर प्रहलाद को गोद में बैठाकर आग जला दी। तभी इसी खम्भे से नरसिंह अवतार हुआ भक्त प्रहलाद बच गए और तेज़ हवा ने होलिका के चादर उड़ा दिए जिससे वो अग्नि में जल गई।

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मंदिर का दर्शन करने दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु

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सिकलीगढ़ धरहरा (बनमनखी, पूर्णिया) में स्थित ये वही स्थल है, जहां होलिका दहन हुआ था और भक्त प्रहलाद बाल बाल बच गए थे | तभी से इस तिथि पर होली मनाई जाती है। मनोज कुमार (श्रद्धालु) ने बताया कि नरसिंह अवतार के इस मंदिर का दर्शन करने दूर दूर से श्रद्धालु आते है और उनकी सभी मुरादें पूरी भी होती हैं। यहां हर वर्ष धूमधाम से होलिका दहन होता है। यहां होलिका जलने के बाद ही दूसरी जगह होलिका जलाई जाती है। आपको बता दें कि बिहार सरकार के पूर्व पर्यटन मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि ने इस स्थल को पर्यटन स्थल का दर्जा दिलाया और होली के मौके पर राजकीय समारोह घोषित किया था। होलिका दहन की परम्परा से जुडी पूर्णिया के इस ऐतिहासिक स्थल पर हर वर्ष विदेशी सैलानी आते हैं। कई फिल्मो की सूटिंग भी यहाँ हो चुकि है बावजूद इस स्थल का जितना विकास होना चाहिए उतना नही हुआ है।

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Holi 2023 Special News From Where First Time Holika Dahan Started
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