बिहार में बढ़ सकती है बिजली दर, जानिए क्यों आई ये नौबत ?
कपंनी ने 30 फीसदी टीएंडडी लॉस के आधार पर बिजली दर निर्धारित करने की कंपनी ने मांग की। वहीं बेंच में कहा गया कि आयोग के फ़ैसले में कुछ खामियां हैं। इसके मद्देनज़र 10 फीसदी बिजली दर में बढ़ोतरी के प्रस्ताव पर पुनर्विचार...
पटना,
28
सितंबर
2022।
बिहार
में
एक
तरफ
एमएलए
को
मुफ्त
बिजली
बांटी
जा
रही
है।
वहीं
दूसरी
ओर
बिजली
दरों
में
बढ़ोत्तरी
की
पुनर्विचार
करने
पर
याचिका
दायर
की
गई
है।
प्रदेश
में
बिजली
दर
बढ़ाने
के
मद्देनज़र
कंपनी
ने
पुनर्विचार
याचिका
दायर
की
है,
जिसपे
अगली
सुनवाई
अक्टूबर
में
होने
वाली
है।
सुनवाई
के
लिए
कंपनी
और
संबंधित
पक्षों
को
बिहार
विद्युत
विनियामक
आयोग
ने
नोटिस
भेजा
है।
जिसमें
कहा
गया
है
कि
सभी
लोग
अपना
पक्ष
रखें
ताकि
इसका
हल
निकाला
जा
सके।
आपको
बता
दें
कि
विभाग
और
आयोग
के
बीच
बिजली
बिल
बढ़ाने
को
लेकर
बहस
चल
रही
है।
आयोग
की
तरफ़
से
मार्च
में
फ़ैसला
दिया
गया
था,
इस
फैसले
को
कंपनी
ने
चुनौती
दी
है।
कंपनी का कहना है कि आयोग ने कई मुद्दों को अनदेखा करते हुए अपना फैसले दिया है। तकनीकी और व्यवसायिक नुकसान का आंकलन ज़्यादा बताया गया है। इसके साथ ही केंद्र सरकार की तरफ से अलग ही लक्ष्य दिया गया है। वहीं बिहार सरकार की तरफ़ से मिलने वाले अनुदान को नहीं जोड़ा गया है। इस वजह से कंपनी का नुक्सान दिखने की बजाए मुनाफा दिखा रहा है। कंपनी ने मुद्दों को आधार बनाते हुए आयोग से बिजली दर बढ़ाने की पुनर्विचार याचिका दायर की थी।
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जानकारों की मानें तो आयोग के पास कई विकल्प है, कंपनी के दलीलों से अगर आयोग ने इत्तेफाक रखा तो वह उपभोक्ताओं से किस्तों में राशि वसूलने के लिए मंजूरी दे सकता है। वहीं अगर आयोग को कंपनी की दलील सही नहीं लगा तो पुनर्विचार याचिका खारिज भी हो सकती है। 11 अक्टूबर को बिजली दरों के संशोधन अंतिम सुनवाई होने वाली है। पिछले दिनों हुई सुनवाई में बिजली कंपनी की तरफ़ से बेंच के समक्ष प्रेजेंटेशन दिया गया। बिजली कंपनी की तरफ़ से दिए प्रेज़ेंटेशन में घोषित बिजली दर में 15 फीसदी टीएंडी लॉस (ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन हानि) को बदलने की मांग रखी गई ।
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कपंनी ने 30 फीसदी टीएंडडी लॉस के आधार पर बिजली दर निर्धारित करने की कंपनी ने मांग की। वहीं बेंच में कहा गया कि आयोग के फ़ैसले में कुछ खामियां हैं। इसके मद्देनज़र 10 फीसदी बिजली दर में बढ़ोतरी के प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने की ज़रूरत है। वहीं बीआइए और चैंबर के प्रतिनिधियों ने इस बात पर असहमति जताई। उन्होंने कहा कि कंपनियों की गलती से बिजली का नुकसान हो रहा है। उपभोक्ताओं पर किसी भी हाल में इसका भार नहीं डाला जाना चाहिए। पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया जाना चाहिए। फिलहाल इस मामले में अब 11 अक्टूबर को सुनवाई होगी।
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