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ई-रिक्शा चालक पिंकी बिहार की महिलाओं के लिए बनी मिसाल, बोली- बच्चों को बनाऊंगी डॉक्टर-इंजीनियर

ई-रिक्शा चालक पिंकी बिहार की महिलाओं के लिए बनी मिसाल, बोली- बच्चों को बनाऊंगी डॉक्टर-इंजीनियर

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Pinky Devi Success Story: बिहार (Bihar) के भागलपुर (Bhagalpur) जिले की पिंकी देवी (Pinky Devi) इन दिनों सोशल मीडिया सेंसेशन (social media sensation) बन चुकी है। हर कोई पिंकी देवी (Pinky Devi) को पसंद कर रहा है और हर कोई इनके बारे में जानना भी चाहता है। दरअसल, पिंकी देवी भागलपुर जिले के लिए ही नहीं, अपितु पूरे बिहार की महिलाओं के लिए एक मिसाल बन गई हैं। हालांकि, जब पिंकी देवी ने ई-रिक्शा चलाना शुरू किया, तब उन्हें लोगों के ताने सुनने को भी मिले। लेकिन, इन सबके बावजूद पिंकी देवी ने कभी हार नहीं मानी और हर दिन वो अपने घर से ई-रिक्शा लेकर निकलती हैं। तो वहीं, अब लोग पिंकी की आत्मनिर्भरता, मेहनत और इमानदारी सराहना करते हैं। आइए जानते हैं पिंकी देवी के बारे में...।

Pinky Devi Success Story

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ई-रिक्शा चालक पिंकी बिहार की महिलाओं के लिए बनी मिसाल, बोली- बच्चों को बनाऊंगी डॉक्टर-इंजीनियर

30 वर्षीय पिंकी देवी (Pinky Devi) बिहार के मुंगेर (Munger) जिले के असरगंज थाना अंतर्गत ममई गांव की रहने वाली हैं। 2010 में पिंकी देवी की शादी भागलपुर (Bhagalpur) जिले के बाथ थाना क्षेत्र के नयागांव पंचायत स्थित उत्तर टोला ऊंचा गांव निवासी अमरजीत शर्मा से हो गई। पिंकी (Pinky Devi) के पति अमरजीत के पास गांव में रहने के लिए अपनी जमीन भी नहीं है। उनके गोरिया ने रहने के लिए मौखिक रूप से कुछ जमीन दी है, जिसमें सास-ससुर सहित पति-बच्चों के साथ रहती है। पिंकी के पति अमरजीत गांव में रहकर मजदूरी करते थे। पिंकी ने मीडिया से बातचीत में बताया, 'मेरे पति अमरजीत शर्मा मुझे छोड़कर दिल्ली चले गए। क्योंकि, यहां पर काम नहीं चल रहा था।'

पिंकी (Pinky Devi) ने बताया कि उनके ऊपर कर्ज है और वो कर्ज चुका नहीं पा रहे थे। आमदनी कम थी इसलिए उनके पति छोड़कर चले गए।' पति के जाने के बाद मैंने ई-रिक्शा चलाना शुरू किया, ताकि कर्ज को उतारा जा सके। पिंकी की मानें तो वो अपने बच्चों को भी अच्छी शिक्षा देना चाहती है। इसलिए पिंकी (Pinky Devi) ने अपने घर की आर्थिक स्थिति मजबूर करने और बच्चों को अच्छी शिक्षा देने का संकल्प लिया है। बता दें कि पिंकी के चार बच्चे हैं। इसमें दो पुत्री 10 वर्ष की वर्षा और सात वर्ष की रिया और दो पुत्र पांच वर्ष का शिवम और तीन वर्ष का सत्यम हैं। पिंकी बताती हैं कि उन्होंने सब्जी बेचकर ई-रिक्शा खरीदा था और अब इससे रोजाना 500 से 800 रुपये कमा लेती हैं।

पढ़ाई ना करने पाने का पिंकी को है अफसोस

आत्मनिर्भर बनी पिंकी बताती है कि वो अपने चार भाई-बहन में सबसे बड़ी है। वो पढ़-लिखकर कुछ बनना चाहती थी, लेकिन उसके पिता सुरेन शर्मा की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। इस कारण वो आठवीं तक ही पढ़ाई कर सकी, जिस वजह से उनके सपने अधूरे रह गए। उन्हें पढ़ाई ना करने का अफसोस है। इसलिए वो अपने बच्चों को पढ़ा-लिखाकर काबिल इंसान बनाना चाहती हैं। पिंकी ने मीडिया से बातचीत में बताया, 'जब मुझे पहली पुत्री हुई तो मेरा सपना फिर जागृत हो उठा, तब मैंने सोचा कि मैं तो पढ़ नहीं सकी। लेकिन, अपने बच्चे को बेहतर शिक्षा देकर काबिल बनाऊंगी।'

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बच्चों को देना चाहती हूं बेहतर शिक्षा
पिंकी देवी की मानें तो वो अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा देना चाहती है। ताकि, उनके बच्चे टीचर, डॉक्टर या फिर अधिकारी बन सके। इसलिए पिंकी ने शुरू में सब्जी बेची। अब ई-रिक्शा निकाला है। पिंकी प्रतिदिन ई-रिक्शा चलाकर 500 से लेकर 800 रुपये तक कमा लेती हैं। पिंकी ने कहा कि अगर सरकार भी मुझे कुछ आर्थिक सहयोग करें, तो बच्चों के पठन-पाठन में और बेहतर सुविधा मुहैया कराने में सफल हो पाऊंगी। तो वहीं, गांव की महिलाएं लेडी ई-रिक्शा चालक की फैन हो गई हैं।

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English summary
E-rickshaw driver Pinki Devi became an example for the women of Bihar
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