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बिहार में NDA जीता तो नित्यानंद राय की लग सकती है लॉटरी, बन सकते हैं मुख्यमंत्री

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पटना- बिहार विधानसभा चुनाव में रुझान जिस तरह से तेजी से ऊपर-नीचे हो रहे हैं, उसमें अभी भी कुछ भी भविष्यावाणी करना बहुत मुश्किल है। लेकिन, अगर एनडीए इस बार यह चुनाव जीतने में कामयाब रहा तो केंद्रीय गृहराज्यमंत्री नित्यानंद राय की लॉटरी लग सकती है। क्योंकि, रुझानों से साफ है कि कम से कम भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टी जेडीयू की सीटों में बहुत ज्यादा अंतर रहने वाला है। राजनीति का तकाजा है कि बदले हालात में मुख्यमंत्री बनने-बनाने का वादा-इरादा भी डगमगा सकता है। नीतीश कुमार ने अब तक जो बिहार और देश में करीब साढ़े चार दशक की राजनीति की है, उससे इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि नैतिकता के नाम पर वह खुद ही भाजपा के सामने मुख्यमंत्री पद की पेशकश कर दें। क्योंकि, अपने आखिरी चुनाव होने का बयान तो वो पहले ही दे चुके हैं। ऐसे में आइए समझते हैं कि क्या वजह है कि इन हालातों में एनडीए की सरकार बनने पर नित्यानंद राय के मुख्यमंत्री बनने की संभावना अधिक नजर आ रही है।

Bihar Election result 2020:If NDA wins, Nityanand Rais may become chief minister

एनडीए की जीत होने की सूरत में भाजपा के सीएम होने की चर्चा खुद पार्टी की ओर से ही शुरू की गई है। बिहार भाजपा के अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष अजित कुमार चौधरी ने साफ कहा है कि भविष्य के बिहार के लिए भाजपा का सीएम होना चाहिए और वह इसे सामान्य प्रक्रिया बता रहे हैं। उनका कहना है कि "एक नैचुरल सी प्रक्रिया होती है कि लंबे समय तक कोई सीएम होते हैं तो उनकी एक एंटी इंकम्बेंसी होती है....जिसमें कि चिराग पासवान हमारे साथ थे और जो आंकड़ा है उसमें भी दिख रहा है.....तो इसलिए मैं कह रहा हूं कि आने वाले दिनों के लिए ये जरूरी है....बिहार के लिए, भाजपा के लिए, बिहार के भविष्य के लिए कि भाजपा का सीएम होना चाहिए।" यानि मंगलवार को रुझानों में जैसे ही एनडीए को बढ़त मिलती दिखी और भाजपा ने अपने बड़े भाई जदयू को छोटा भाई बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया, बीजेपी के 'नीतीश ही सीएम' वाले सुर बदलने शुरू हो गए।

बिहार भाजपा में अभी जितने भी नेता मुख्यमंत्री पद के दावेदार माने जाते हैं, उनमें उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और नंद किशोर यादव जैसे चेहरे नीतीश कुमार की ही पीढ़ी के नेता हैं। वैसे भी उत्तराखंड से लेकर हरियाणा तक और हिमाचल प्रदेश से लेकर असम और त्रिपुरा तक देखा गया है कि बीजेपी मुख्यमंत्री बनाने में नए और युवा प्रयोगों की पक्षधर रही है। इन स्थितियों में एक चेहरा जो बदली हुई परिस्थितियों में बीजेपी के शीर्ष नेताओं की नजर में फिट बैठ सकता है, उनमें केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय का नाम अव्वल है। भारतीय जनता पार्टी के एक सूत्र ने वनइंडिया को बताया भी है कि अगर ट्रेंड नतीजों में तब्दील हुए तो 90 फीसदी संभावना है कि मोदी-शाह राय के नाम पर मुहर लगा दें। इसकी कई वजह है।

नित्यानंद राय बिहार भाजपा के ऐसे यादव नेता हैं, जो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की पृष्ठभूमि से भी जुड़े हैं और 80 के दशक से पार्टी की विचारधारा को आगे बढ़ा रहे हैं। नीतीश कुमार के आखिरी चुनाव वाले ऐलान के बाद भारतीय जनता पार्टी को लालू परिवार की राजनीति की काट के लिए उतना ही धारदार नेतृत्व चाहिए जो लालू-राबड़ी के बनाए MY समीकरण को हमेशा-हमेशा के लिए ध्वस्त कर सके। ऊपर से उनकी ट्रेनिंग उसी शाखा संस्कृति में हुई है, जिसमें रमकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की सियासी जोड़ी पिछले दो चुनावों से भारतीय राजनीति की दिशा और दिशा को ऐसे मोड़ चुकी है, जिसका सामना करना तो दूर विपक्ष उसके सामने ठीक से खड़ा भी नहीं हो पा रहा है।

जहां तक नित्यानंद राय पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसे का सवाल है तो यह इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि राय आज की तारीख में गृहमंत्री अमित शाह के सबसे भरोसेमंद बिहार से आने वाले भाजपा नेता हैं। राय बिहार भाजपा के वही नेता हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि वह लालू यादव के जमाने में विधानसभा के अंदर भी राजद नेताओं से भिड़ने का दम दिखा चुके हैं। वह लालू परिवार की राघोपुर सीट के पड़ोस की हाजीपुर सीट पर साल 2000 से ही भगवा खिलाने लगे थे। लेकिन, पार्टी में उनका कद तब अचानक बढ़ा, जब 2014 की जीत के बाद अमित शाह राष्ट्रीय अध्यक्ष बने और उन्होंने 2016 में बिहार भाजपा की जिम्मेदारी उन्हें सौंप दी। वह इस पद पर काबिज होने वाले दूसरे यादव नेता हैं। उनसे पहले नंदकिशोर यादव को भी मौका मिल चुका है।

राय 2014 और 2019 दोनों लोकसभा चुनाव में उजियारपुर सीट से सांसद चुने गए। पिछले चुनाव का वाक्या दिलचस्प है कि तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह खुद उनके लिए प्रचार करने पहुंचे और उजियारपुर के मतदाताओं से एक बहुत बड़ा वादा कर दिया। उन्होंने एनडीए और नित्यानंद राय की जीत के बाद केंद्र में उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देने की बात कही थी और पीएम मोदी ने उन्हें शाह का डिप्टी बनाकर उनका वादा पूरा किया।

वह सीएम 'मटेरियल' हैं इसके कयास तभी से लगाए जा रहे हैं, जब 54 साल के राय को पार्टी ने मौजूदा चुनाव के लिए 70 सदस्यीय इलेक्शन स्टीयरिंग कमिटी का अध्यक्ष और सह संयोजक नियुक्त किया था।

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English summary
If NDA wins in Bihar, MoS Home Nityananda Rai may become Chief Minister
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