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बिहार चुनाव: जानिए कौन हैं भाजपा के 29 उम्मीदवार, किसका है किस से मुकाबला?

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पहले चरण में भाजपा के घोषित 29 उम्मीदवारों में 13 मौजूदा विधायक हैं। चार नये चेहरे हैं, और शेष पिछले चुनाव के प्रत्याशियों हैं। पहले चरण की 71 सीटों में भाजपा ने 29 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। भाजपा ने बक्सर सीट पर अपना प्रत्याशी घोषित कर पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय के चुनाव लड़ने के अरमानों पर पानी फेर दिया। उसने ब्रह्मपुर सीट मुकेश सहनी को दे दी। इस तरह गुप्तेश्वर पांडेय की दोनों पसंदीदा सीट उनके हाथ से निकल गयीं। भारत की मशहूर निशानेबाज और अर्जुन पुरस्कार विजेता श्रेयसी सिंह के चुनाव लड़ने से जमुई सीट, हॉट सीट में बदली गयी है।

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बिहार चुनाव: जानिए कौन हैं भाजपा के 29 उम्मीदवार

बांका

नीतीश सरकार में मंत्री रामनारायण मंडल को बांका से फिर उम्मीदवार बनाया गया है। ने 1990 में पहली बार बांका से विधायक बने थे और अब पांच बार यहां से जीत चुके हैं। भाजपा के मजबूत नेताओं में एक माने जाते हैं। उनका मुकाबला राजद के जावेद एकबाल अंसारी से हैं। बांका में पिछले 25 वर्षों से इन्ही दोनों के बीच मुकाबला होता रहा है। जावेद इकबाल भी तीन बार इस सीट पर जीत चुके हैं।

कहलगांव

कहलगांव से पवन कुमार यादव भाजपा के उम्मीदवार हैं। 2015 के चुनाव में वे निर्दलीय लड़े थे और करीब 26 हजार वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे। एनडीए गठबंधन में ये सीट लोजपा के मिली थी और लोजपा से नीरज मंडल ने चुनाव लड़ा था। कांग्रेस के सदानंद सिंह इस सीट से जीते थे। भाजपा के पवन यादव का मुकाबला सदानंद सिंह के पुत्र शुभानंद मुकेश से होगा।

कटोरिया

कटोरिया से भाजपा की उम्मीदवार बनी निक्की हेम्ब्रम ने 2015 में भी यहां से चुनाव लड़ा था लेकिन वे हार गयीं थीं। निक्की हेम्ब्रम को राजद की स्वीटी सीमा हेम्ब्रम ने हराया था। निक्की हेम्ब्रम बिहार महिला आयोग की सदस्य हैं और पिछले चुनाव में उन्हें करीब 44 हजार वोट मिले थे। उनका मुकाबला स्वीटी हेम्ब्रम से है।

मुंगेर

मुंगेर से चुनान मैदान में उतरे प्रणव कुमार यादव भाजपा के युवा नेता हैं। 2015 के चुनाव में वे मुकाबला हार गये थे। राजद के वरिष्ठ नेता विजय कुमार विजय ने उन्हें हराया था। भाजपा ने अपने इस युवा नेता पर फिर भरोसा किया है। राजद ने अपने सीटिंग विधायक विजय कुमार विजय का टिकट काट कर युवा नेता अविनाश कुमार को मैदान में उतारा है। अविनाश युवा राजद के राष्ट्रीय महासचिव हैं।

बिहार चुनाव: जानिए कौन हैं भाजपा के 29 उम्मीदवार

लखीसराय

नीतीश सरकार में मंत्री विजय कुमार सिन्हा को भाजपा ने फिर लखीसराय से टिकट दिया है। वे 2010 और 2015 में यहां से चुनाव जीत चुके हैं। उनका मुकाबला इस बार कांग्रेस के अमरेश कुमार अनीश से होगा। 2015 में विजय सिन्हा ने जदयू के रामानंद मंडल को हराया था।

बाढ़

बाढ़ सीट से भाजपा ने सीटिंग विधायक ज्ञानेन्द्र सिंह ज्ञानू को फिर मौका दिया है। उन्होंने अक्टूबर 2005, 2010 और 2015 में लगातार यहां से चुनाव जीता है। पहले वे नीतीश कुमार के करीबी नेता थे लेकिन मांझी प्रकरण के दौरान वे नीतीश से अगल हो कर हम में चले गये थे। 2015 में सीट समायोजन के कारण उन्हें भाजपा से चुनाव लड़ना पड़ा था। अब वे भाजपा के पूर्णकालीक नेता बन चुके हैं और पार्टी ने उन पर भरोसा भी जताया है। इस बार उनका मुकाबला कांग्रेस के सत्येन्द्र बहादुर से होगा।

बिक्रम

भाजपा ने बिक्रम सीट से एक नये चेहरे अतुल कुमार को मौका दिया है। यह कांग्रेस की जीती हुई सीट है। 2015 में कांग्रेस के सिद्धार्थ ने भाजपा के अनिल कुमार को हराया था। अनिल कुमार यहां से तीन बार विधायक रह चुके हैं। लेकिन भाजपा ने 2020 में अनिल कुमार की जगह अतुल कुमार पर दांव खेला है।

बड़हरा

बड़हरा से भाजपा के उम्मीदवार बनाये गये राघवेन्द्र प्रताप सिंह राजद के सीनियर लीडर रहे हैं। लालू राज में वे मंत्री भी थे। बाद में राजद ने 2015 में सरोज यादव को यहां से टिकट दिया था। सरोज यादव बड़हरा के सीटिंग विधायक हैं और उनका मुकाबला राघवेन्द्र प्रताप सिंह से होगा।

बिहार चुनाव: जानिए कौन हैं भाजपा के 29 उम्मीदवार

आरा

आरा से भाजपा के उम्मीदवार अमरेन्द्र प्रताप सिंह 2015 में चुनाव हार गये थे। वे यहां से चार बार विधायक रहे हैं। पिछले चुनाव में जीते राजद के नवाज आलम उनसे दो बार चुनाव हार चुके थे लेकिन 2015 में उन्होंने हिसाब चुकता कर लिया। लेकिन राजद ने 2020 में ये सीट भाकपा माले को दे दी है। अब राघवेन्द्र प्रताप सिंह का मुकाबला माले के क्यामुददीन अंसारी से होगा।

तरारी

तरारी के भाजपा उम्मीदवार कौशल कुमार सिंह पहली बार चुनाव मैदान में उतरें हैं। इस सीट पर भाकपा माले का कब्जा है। पिछले चुनाव में एनडीए की यह सीट लोजपा को मिली थी। लोजपा ने पूर्व विधायक सुनील पांडेय की पत्नी गीता पांडेय को टिकट दिया था जिनकी केवल 272 वोटों से हार हुई थी। इस बार सुनील पांडेय ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की है। यहां भाजपा, माले विधायक सुदामा प्रसाद और सुनील पांडेय में त्रिकोणीय लड़ाई होने की संभावना है।

शाहपुर

शाहपुर से पूर्व विधायक मुन्नी देवी को भाजपा ने फिर मौका दिया है। मुन्नी देवी 2005 और 2010 में यहां से भाजपा की विधायक रह चुकी हैं। वे दबंग नेता माने जाने वाले विश्वेश्वर ओझा के छोटे भाई की पत्नी हैं। 2015 में राजद के राहुल तिवारी ने भाजपा के विश्वेश्वर ओझा को हराया था। सीटिंग विधायक राहुल तिवारी का मुकाबला मुन्नी देवी से है। इस बीच विश्वेश्वर ओझा की पत्नी शोभा देवी भी चुनाव मैदान में उतर चुकी हैं।

रामगढ़, मोहनिया, भभुआ, चैनपुर

कैमूर जिले की इन चारों सीटों पर भाजपा का कब्जा है। भाजपा ने अपने चारों सीटिंग विधायकों को फिर टिकट दिया है। मोहनिया सुरक्षित सीट से निरंजन राम, भभुआ से रिंकी रानी पांडेय, रामगढ़ से अशोक सिंह और चैनपुर से ब्रजकिशोर बिंद इस बार भी मैदान में हैं। ब्रजकिशोर बिंद नीतीश सरकार में मंत्री भी हैं।

डिहरी

डिहरी विधानसभा सीट पर भाजपा ने अपनी सीटिंग विधायक सत्यनारायण सिंह यादव को बरकरार रखा है। 2015 में इस सीट पर राजद के इलियास हुसैन जीते थे। अलकतरा घोटला में सजायाफ्ता होने के कारण उनकी विधायकी खत्म हो गयी थी। उपचुनाव हुआ तो भाजपा के सत्यानारायण यादव ने राजद से यह सीट छीन ली।

गोह, गुरुआ, गया भाजपा की सीटें

औरंगबाद जिले की गोह और गया जिले की गया और गुरुआ सीट पर भाजपा का कब्जा है। भाजपा ने यहां इन सीटों पर आपने मौजूदा विधायकों के टिकट को बरकरार रखा है। गोह से मनोज शर्मा, गुरुआ से राजीव नंदन दांगी और गया से प्रेम कुमार मैदान में हैं। प्रेम कुमार भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं और नीतीश सरकार में मंत्री भी हैं। उन्हें भाजपा का अतिपिछड़ा चेहरा माना जाता है। वे गया से लगातार 7 बार विधायक चुने गये हैं।

हिसुआ और वारसलीगंज

2015 में नवादा जिले की हिसुआ और वारसलीगंज सीट पर भाजपा ने विजय प्राप्त की थी। दोनों विधायकों को फिर मौका दिया गया है। हिसुआ से अनिल सिंह और वारसलीगंज से अरुणा देवी एक बार फिर मैदान में हैं। अनिल सिंह 2005,2010 और 2015 में हिसुआ से लगातार तीन बार चुनाव जीत चुके हैं। जब कि अरुणा देवी ने अपनी चुनावी जीत निर्दलीय से शुरू की थी। वे 2000 में पहली बार निर्दलीय विधायक चुनी गयीं थीं। फरवरी 2005 में उन्होंने लोजपा के टिकट पर जीत हासिल की थी। 2015 में उन्होंने भाजपा के टिकट पर तीसरी जीत पायी थी।

जमुई

गोल्डमेडलिस्ट शूटर श्रेयसी सिंह के कारण जमुई की सीट बिहार चुनाव की सबसे चर्चित सीट बन गयी है। अर्जुन पुरस्कार विजेता और 2018 के राष्ट्रमंडल खेल में शूटिंग में स्वर्ण पदक हासिल करने वाली श्रेयसी सिंह पहली बार चुनाव मैदान में उतरी हैं। उन्हें भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया है। 29 साल की श्रेयसी सिंह पूर्व केन्द्रीय मंत्री दिग्गविजय सिंह की पुत्री हैं। उनकी मां पुतुल सिंह भी सांसद रह चुकी हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंसराज कॉलेज से पढ़ाई करने वाली श्रेयसी सिंह भारत की मशहूर निशानेबाज हैं। श्रेयसी सिंह का मुकाबला राजद के विजय प्रकाश से है। 2015 में विजय प्रकाश ने ही इस सीट पर जीत हासिल की थी।

बिहार चुनाव: जानिए कौन हैं भाजपा के 29 उम्मीदवार

बोधगया और वजीरगंज

गया जिले की वजीरगंज सीट पर भाजपा के वीरेन्द्र कुमार सिंह फिर मैदान में हैं। उन्होंने 2010 में यहां से चुनाव जीता था लेकिन 2015 में वे कांग्रेस के अवधेश कुमार सिंह से चुनाव हार गये थे। बोध गया सीट पर भाजपा ने पूर्व सांसद हरि मांझी को उतारा है। 2015 के चुनाव में राजद के कुमार सर्वजीत ने भाजपा के श्यामदेव को हराया था। श्यामदेव पासवान 2010 में यहां से विधायक चुने गये थे। लेकिन भाजपा ने इस बार श्यामदेव की बजाय पूर्व सांसद हरि मांझी को अपना उम्मीदवार बनाया है।

रजौली और काराकाट

नवादा के रजौली से चुनाव लड़ रहे भाजपा ने कन्हैया कुमार 2010 में इस सीट पर जीत हासिल कर चुके हैं। लेकिन 2015 के चुनाव में वे राजद के प्रकाश वीर से चुनाव हार गये थे। इस बार भी इन दोनों में ही मुकाबला है। रोहतास के काराकाट से भाजपा के उम्मीदवार राजेश्वर राज पहले जदयू में थे। जदयू के टिकट पर वे 2010 में यहां से चुनाव जीत चुके हैं। 2015 में वे जदयू से भाजपा में चले गये थे। 2015 के चुनाव में वे राजद के संजय सिंह यादव से चुनाव हार गये थे। राजेश्वर राज का मुकाबला माले के अरुण सिंह से है।

बक्सर और अरवल

भाजपा ने बक्सर से परशुराम चतुर्वेदी और अरवल से दीपक शर्मा को उम्मीदवार बनाया है। सीट शेयरिंग में जदयू से जिच के कारण इन दोनों सीटों पर उम्मीदवारों के नाम घोषित करने में देर हुई थी। बक्सर से भाजपा ने अपने पार्टी कार्यकर्ता परशुराम चतुर्वेदी को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा की इस घोषणा से पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय के चुनाव लड़ने की संभावनाओं पर पानी फिर गया। वे जदयू के टिकट पर बक्सर से चुनाव लड़ने के लिए पूरा जोर लगाये हुए थे। लेकिन बक्सर सीट भाजपा के कोटे में आ जाने से उनकी मुश्किलें पहले से बढ़ी हुईं थीं। बक्सर सीट पर 2015 में कांग्रेस के मुन्ना तिवारी ने जीत हासिल की थी। वे फिर मैदान में हैं। अरवल सीट भी भाजपा ने एक नये चेहरे दीपक शर्मा पर दांव खेला है। 2015 में अरवल सीट पर राजद ने जीत पायी थी लेकिन 2020 में राजद ने यह सीट भाकपा माले को दे दी। अब अरवर में दीपक का मुकाबला माले के महानंद प्रसाद से है।

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English summary
Bihar Election 2020: BJP issues list of 29 candidates for election, check full details here
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