क्वारंटाइन में "कुंभकर्ण", 10 लोगों का अकेले खा जा रहा खाना, कर्मचारी परेशान
बक्सर। बिहार के बक्सर जिले के मंझवारी के राजकीय बुनियादी विद्यालय में बने क्वारंटाइन सेंटर से हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है। जहां 21 वर्षीय लड़का लोगों के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है। ये एक सामान्य सा दिखने वाला लड़का अकेले ही 8 लोगों का खाना खा जाता है। क्वारंटाइन में रह रहे अनूप झा अपने भोजन को लेकर इस वक्त काफी चर्चा में हैं। इनके खाने की क्षमता सुनकर अंचलाधिकारी खुद इनसे मिलने पहुंचे।
राजस्थान गए थे नौकरी खोजने
अनूप सिमरी प्रखंड के खरहाटांड़ गांव के रहने वाले हैं। एक सप्ताह पहले ही वह क्वारंटाइन सेंटर में रहने के लिए आए हैं। दरअसल, लॉकडाउन होने से पहले वह राजस्थान के भिवाड़ी जिले में रोजगार के लिए भटक रहे थे तभी लॉकडाउन हो गया और वो करीब डेढ़ महीने तक लॉकडाउन में फंसे रहे। फिर जैसे ही श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलना शुरू हुई वो भी बक्सर आ गए।
अकेले खाते हैं 30 से 35 रोटी
इसके बाद सिमरी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में परीक्षण के बाग उन्हें केंद्र में 14 दिनों के क्वारंटाइन किया गया है। केंद्र में 87 प्रवासी रह रहे हैं, लेकिन उन सभी में अनूप के लिए खाना बनाना यहां के देखरेख में जुटे लोगों के लिए बड़ी चुनौती है। केंद्र की व्यवस्था देख रहे मझवारी पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि प्रमोद कुमार साह ने बताया कि अनूप के लिए यहां विशेष व्यवस्था की जाती है। चावल में तो कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन उनके अकेले 30-35 रोटी खाने के कारण रोटी सेंकने वालों के भी पसीने छूट जाते हैं।
83 लिट्टी खा गए थे अकेले
उन्होंने बताया कि तीन-चार दिन पहले केंद्र पर लिट्टी-चोखा बना था और उस दिन वे 83 लिट्टी अकेले खा गए। बता दें कि अनूप के खाने की क्षमता क्वारंटाइन केंद्र में आने से पहले ही ऐसी है। अनूप के खाने को लेकर उनके गांव में भी खाने और पचाने की क्षमता के चर्चे होते थे। खरहाटांड़ पंचायत के मुखिया विजय कुमार ओझा ने बताया कि अनूप गांव पर भी कई बार शर्त लगा एक बार में करीब सौ समोसे खा जाते थे।
आंचलाधिकारी मिलने पहुंचे
वहीं अंचलाधिकारी आमोद राज ने बताया कि अनूप के खाना के बारे में सुनकर वे भी उन्हें देखने पहुंचे और उनकी पाचन शक्ति को देख हैरान रह गए। उन्होंने कहा कि केंद्र पर प्रतिनियुक्त कर्मियों को इन्हें भरपूर भोजन देने का निर्देश दिया गया है। वहीं, अनूप ने बताया कि वे भोजन खूब करते हैं और पचाने के लिए कसरत भी खूब करते हैं, जिससे खाना पचने में उन्हें कोई दिक्कत नहीं होती।
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