बिहार के बाहुबली जिनके रसूख के सामने घुटने टेकती थी सरकार, ऐसे हुआ उनके खौफ का अंत
हमेशा से ही अपराधियों और नेताओं के सांठगांठ बात की बात सामने आती रही है लेकिन आज तक कोई नेता इस पर खुलकर बोलने को तैयार नहीं हुए।
पटना। हमेशा से ही अपराधियों और नेताओं के सांठगांठ बात की बात सामने आती रही है लेकिन आज तक कोई नेता इस पर खुलकर बोलने को तैयार नहीं हुए। नेताओं की सांठगांठ के वजह से बिहार के अपराधी बाहुबली बन गए और उनके आतंक में पूरा बिहार दहशत के साये में जीने को मजबूर हो गया। ऐसे एक नाम नहीं, कई ऐसे नाम बिहार में सामने आए हैं जिसके नाम के आगे बाहुबली शब्द का इस्तेमाल होता है। जो कभी अपराध की दुनिया में बेताज बादशाह हुआ करते थे और अपने रसूख को बरकरार रखने के लिए राजनीति का चोला ओढ़े बैठे थे लेकिन जैसे-जैसे वक्त बीतता गया हालात भी बदलते चले गए। आज कुछ नेता जेल की सलाखों के पीछे अपने गुनाहों की सजा काट रहे हैं तो कुछ जयराम की दुनिया को छोड़ राजनीति करने में लग गए हैं। तो आइए आज हम आपको बताने जा रहे हैं बिहार के बाहुबली अपराधियों के बारे में जिनके नामों से राजधानी ही नहीं पूरा बिहार कांपता था....और ऐसे हुआ उनके अपराधिक साम्राज्य का अंत।
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लालू राज का आतंक शहाबुद्दीन
बिहार के सभी बाहुबली अपराधियों का यूं तो राजनीतिक इतिहास रहा है लेकिन सब से पहले नाम आता है बिहार के बाहुबली राजद के सांसद शहाबुद्दीन का, जिनका पार्टी में एक अपना अलग रसूख था। बात उस वक्त की है जब बिहार में लालू का राज और राबड़ी की सरकार थी। तभी शहाबुद्दीन का आतंक पूरे बिहार में फैला हुआ था लोग उनके नाम सुनते हैं दहशत में आ जाते हैं। आम लोगों की तो छोड़िए पुलिस वाले भी इनके नामों से डरते रहते थे। यू कहें कि राबड़ी देवी जब बिहार के मुख्यमंत्री थीं तो शहाबुद्दीन बिहार के सुपर अपराधी सीएम हुआ करते थे। पुलिस अधिकारियों को थप्पड़ मारने से चर्चित हुए शहाबुद्दीन के खिलाफ दर्जनों हत्या, अपहरण, रंगदारी और लूट के मामले दर्ज हैं। सबूत होने के बाद भी पुलिस गिरफ्तार करने के लिए हिम्मत नहीं जुटा पाती थी। जैसे ही लालू शासन का अंत हुआ शहाबुद्दीन के आतंकी समराज की उल्टी गिनती शुरू होने लगी और कुछ ही दिनों में लालू के खास कहे जाने वाले शहाबुद्दीन पुलिस के शिकंजे में कैद हो गया। उसके खिलाफ जमीन विवाद को लेकर तीन भाइयों की तेजाब से नहलाकर हत्या का आरोप था। इसी आरोप में हाईकोर्ट ने उसकी उम्र कैद की सजा बरकरार रखी है। फिलहाल वह सीवान से निकलकर दिल्ली के तिहाड़ जेल में कैद है और अपने गुनाहों की सजा काट रहे है।
लालू के ही खास बाहुबली रीत लाल यादव
आइए जानते हैं बिहार के दूसरे बाहुबली डॉन की कहानी जिसके नाम से पूरा राजधानी आज भी कांप जाता है लेकिन वह सलाखों के पीछे पिछले कई वर्षों से कैद है। नाम है रीत लाल यादव, इसकी भी अपराधिक छवि की उत्पत्ति 90 के दशक में हुई थी जब बिहार में लालू की सरकार थी। अपराध इसके लिए आम बात हो गई थी। चलते-चलते लोगों की हत्या करना और रंगदारी वसूलना और अपहरण मुख्य पेशा था। राजधानी पटना के कोथवां गांव के रहने वाले रीत लाल यादव कुछ ही वर्षों में अपराध की दुनिया में इतने चर्चित हो गये कि पूरा पटना उसके नाम से कांपने लगता था। इसके बाद उसने राजधानी पटना के दानापुर के रेलवे स्टेशन में अपना पैर जमाया तथा वहां होने वाली हर टेंडर पर कब्जा कर लिया। ऐसा कहा जाता है कि जिस किसी ने भी रीत लाल यादव के रेलवे पर अवैध कब्जे को लेकर आवाज उठाई वह आज इस दुनिया में नहीं है। रीत लाल यादव उस वक्त बिहार के चर्चित डॉन बन गया जब दिनदहाड़े सत्यनारायण सिंह की निर्मम हत्या कर दी थी। जिसके बाद चलती ट्रेन में बिहार के दो रेलवे ठेकेदारों की हत्या से पूरे राजधानी मे रीत लाल यादव के नाम के आगे बाहुबली लगाया जाने लगा क्योंकि लालू प्रसाद के वह खास माना जाता था। यह दौड़ काफी दिनों तक चला लेकिन जैसे ही बिहार में सरकार बदली उनके भी दुर्दिन शुरू हो गए। फिर पुलिस ने उसको कई मामले में गिरफ्तार कर लिया।फिलहाल वह राजधानी पटना के बेऊर जेल मे बंद है और हर बार चुनाव लड़ता है तथा जीत दर्ज होती है। रीतलाल यादव का रसूख आज भी उसके क्षेत्रों में कायम है। इसी का नतीजा है कि जब लालू यादव की बेटी पटना संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ रही थी तो लालू यादव ने खुद उसके घर जाकर अपनी बेटी के लिए मदद मांगी थी।
बाहुबली राजबल्लभ यादव
शहाबुद्दीन और रीत लाल यादव के बाद तीसरा नाम आता है बाहुबली विधायक राजबल्लभ यादव का, जो राजद से विधायक है। फिलहाल वह नाबालिग लड़की से दुष्कर्म करने के आरोप में जेल में कैद है। लालू यादव की पार्टी में राजबल्लभ यादव की एक अपना अलग पहचान थी जिसे लोग बिहार के एक दबंग विधायक के रूप में जानते थे। इसके नाम के आगे बाहुबली शब्द उस वक्त से जुड़ने लगा जब यह बिहार सरकार में मंत्री हुआ करते थे और राबड़ी देवी बिहार की मुख्यमंत्री थी तभी अपने ड्राइवर का नाखून नोंच कर निर्मम हत्या करने के मामले में इसका नाम सामने आया था लेकिन इसके रसूख के सामने उस वक्त की पुलिस ने घुटने टेक दिए और मामले को रफा-दफा कर दिया। जैसे ही बिहार में नीतीश कुमार की सरकार बनी और इन पर नाबालिग से दुष्कर्म करने के आरोप लगा, पुलिस ने सरेंडर करने पर मजबूर कर दिया। फिलहाल वह जेल में बंद है।
रॉकी यादव का पिता बिंदी यादव
अब हम आपको बताने जा रहे हैं बिहार के वैसे अपराधी के बारे में जिसने अपराध की दुनिया में अपनी किस्मत लिखी और अपने गुनाह को छुपाने के लिए राजनीतिक नेताओं का समर्थन लिया। नाम है बिंदी यादव, जो कभी छोटी-मोटी चोरी किया करता था लेकिन धीरे-धीरे उसकी अपराधियों से साठगांठ हुई और 90 के दशक में वह अपराध की दुनिया का बादशाह बन गया। उस वक्त बिहार में सुरेंद्र यादव, राजेंद्र यादव और महेश्वर यादव जैसे अपराधियों का बोलबाला था। जब प्रशासन के द्वारा इन सभी लोगों पर कार्रवाई की जाने लगी तो इसने राजनीतिक नेताओं का दरवाजा खटखटाया और लालू की पार्टी जॉइन कर ली जिसके बाद राजनीतिक संरक्षण में यह अपराधिक घटनाओं को अंजाम देने लगा। फिर वर्ष 2001 में गया जिला के जिला परिषद का निर्विरोध अध्यक्ष चुना गया और वर्ष 2010 में विधानसभा चुनाव भी लड़ा लेकिन चुनाव नहीं जीत पाए । उसके ऊपर कुल 18 मामले दर्ज है। जिसके बाद राजद का दामन छोड़ उसने जदयू ज्वाइन की और इसके टिकट पर बिंदी यादव की पत्नी मनोरमा देवी एमएलसी बन गई लेकिन बेटे के एक कारनामे ने पूरे परिवार को जेल भिजवा दिया। साइड नहीं देने पर इसके बेटे रॉकी यादव ने आदित्य सचदेवा की गोली मारकर हत्या कर दी थी। यह मामला काफी चर्चित हुआ और पार्टी से भी उसे बेदखल कर दिया गया।
कोसी का आतंक आनंद मोहन
अब हम आपको बताने जा रहे हैं बिहार के उस अपराधी के बारे में जिससे पूरा बिहार खौफ में जीता था- नाम है आनंद मोहन। बिहार के कोसी क्षेत्र के रहने वाले आनंद मोहन की छवि बाहुबली के रूप में चर्चित थी। राजनीति में आने से पहले इसके ऊपर कई संगीन मामले दर्ज हैं फिर भी वर्ष 1990 में राजनीति में एंट्री की थी और पहली बार विधायक बना था। बिहार के दो बाहुबली आनंद मोहन और पप्पू यादव का टकराव पूरे देश में चर्चित रहा था। फिर 1994 में उसकी पत्नी लवली आनंद ने वैशाली लोकसभा का उपचुनाव जीती और राजनीति में अपनी धमाकेदार शुरुआत की। आनंद मोहन के अपराध की कहानी किसी से छुपी नहीं है। मामूली से विवाद में इसने गोपालगंज के जिला अधिकारी की निर्मम हत्या कर दी थी और जेल चले गए थे। जेल से ही इसने 1996 में लोकसभा चुनाव समता पार्टी के टिकट पर लड़ा और जीत हासिल की और दो बार सांसद रहे। उसकी पत्नी जो फिलहाल राजनीति में सक्रिय है, वह भी एक बार सांसद रही है। फिलहाल आनंद मोहन जेल में कैद होकर उम्र कैद की सजा काट रहा है।
यह बात उस वक्त की है जब बिहार में पप्पू यादव, साधु यादव ,मुन्ना शुक्ला, के साथ-साथ अन्य कई राजनेताओं का अपराध की दुनिया में बोलबाला था लेकिन जैसे ही सरकार बनी, सभी का अंत हो गया। कोई जेल में कैद है तो कोई जरायम की दुनिया को हमेशा के लिए छोड़कर जनता की सेवा में लगा हुआ है।
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