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'जज़्बे को सलाम', 3 महीने चला पैदल, किया भोले बाबा का दर्शन, बहुत ही मुश्किल था सफ़र

अशोक वर्मा जब बाबा के दर्शन के लिए पैदल यात्रा कर रहे थे तो सुरक्षा कारणों की वजह से उन्हें गाड़ी में बैठाकर नज़दीक के कैंप में छोड़ आया जाता था। लेकिन फिर वह अपनी जगह वापस पहुंच कर पैदल यात्रा शुरू कर देते थे।

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पटना, 13 जुलाई 2022। अमरनाथ यात्रा पर इन दिनों लाखों की तादाद में श्रद्धालु बाबा भोले के दर्शन के लिए की जम्मू, श्रीनगर और आधार शिविरों में जा रहे हैं। इसी कड़ी में बाबा के दर्शन करने के लिए एक भक्त ने पैदल ही चल दिया। भक्त का नाम अशोक वर्मा (अशोक गिरी) है। ग़ौरतलब है कि वह बलिया का रहने वाला है लेकिन भोले बाबा के दर्शन का संकल्प लिए हुए तीन महीने पहले ही बिहार से पैदल पहलगाम के लिए रवाना हो गया। उसका पैदल चलने का ऐसा दृढ़ संकल्प था कि कोई अगर उसे जबरदस्ती गाड़ी में बैठा भी दे तो वह वापस वह उसी जगह जाकर अपनी पैदल यात्रा शुरू करता था जहां से उठे गाड़ी में बैठाया गया।

दर्शन करने के लिए किया पैदल सफर

दर्शन करने के लिए किया पैदल सफर

अशोक वर्मा जब बाबा के दर्शन के लिए पैदल यात्रा कर रहे थे तो सुरक्षा कारणों की वजह से उन्हें गाड़ी में बैठाकर नज़दीक के कैंप में छोड़ आया जाता था। लेकिन फिर वह अपनी जगह वापस पहुंच कर पैदल यात्रा शुरू कर देते थे। आपको बता दें कि अशोक सुनारों के परिवार से ताल्लुक रखते हैं और ख़ुद इलेक्ट्रॉनिक का काम करते हैं। बाबा की मोहब्बत में वह इन सब को साइड करते हुए पैदल ही दर्शन करने के लिए यात्रा पर निकल पड़े। आपको बता दें कि यात्रा 30 जून को शुरू हुई थी। लेकिन अशोक ने 8 मार्च से ही सुल्तानगंज (बिहार) से बाबा के दरबार के लिए पैदल यात्रा शुरू कर दिया था।

जहां रात होती थी वही करता था विश्राम- अशोक

जहां रात होती थी वही करता था विश्राम- अशोक

मीडिया से मुखातिब होते हुए अशोक ने बताया कि जब वह पैदल यात्रा करते थे तो जिस जगह पर रात होती थी वहीं वह आराम करने लग जाते थे। सुबह होते ही यात्रा शुरू कर देते थे। तीन महीने की यात्रा के दौरान कई राज्यों और जिलों से गुज़रे। उन्होंने बताया कि जब वह बनिहाल टनल को पार कर काजीगुंड पहुंचे तो सुरक्षाबल वालों ने उन्हे रोक लिया और सुरक्षा के मद्देनज़र अपनी गाड़ी में बैठाकर नुनवन बेस कैंप ले गए। बेस कैंप पहुंचने पर अशोक ज़िद पर अड़ गए कि वह पैदल ही सफर करेंगे इसलिए उन्हें वापस काजीगुंड ही छोड़ दिया जाए। उनकी ज़िद के आगे प्रशासन भी झुक गया और उन्हे काजीगुंड पहुंचा दिया गया।

सुरक्षा के मद्देनज़र दो बार लाया गया कैंप

सुरक्षा के मद्देनज़र दो बार लाया गया कैंप

अशोक ने काजिगुंड से फिर पैदल यात्रा शुरू तो सुरक्षा के मद्देनज़र उन्हें गाड़ी में बैठाकर फिर नुनवन ले आया गया। दो बार उन्हें सुरक्षा के मद्देनज़र बेस कैंप लाया गया तो उन्होंने ठान लिया चाहे कुछ भी हो जाए वह पैदल यात्रा ही करेंगे। इसके बाद फिर वह काजीगुंड गए और वापस पैदल चल कर नुनवन बेस कैंप पहुंचे। उन्होंना ठान लिया कि वह पैदल ही भोले बाबा के दर्शन करेंगे। कोई कुछ कर ले अब वह गाड़ी में नहीं बैठेंगे। एक इंच यात्रा भी वह पैदल ही करेंगे। चाहे कितने दिन ही क्यों ने लग जाए। अशोक ने अपने संकल्प के साथ पैदल यात्रा जारी रखा।

अशोक की भक्ति देख कर सभी लोग हुए नतमस्तक

अशोक की भक्ति देख कर सभी लोग हुए नतमस्तक

अशोक ने बताया कि वह वह भोले बाबा का भक्त हैं और उनकी भक्ति ही सब कुछ है। बाबा के दरबार में जा कर उनके दर्शन करेंगे और उनकी ही भक्ति में लीन हो जाएंगे। पवित्र गुफा में जाकर बाबा का दीदार करना ही मेरा मकसद है। इसके साथ ही वह अपने संकल्प को पूरा करते हुए बाबा के दर्शन के लिए पवित्र गुफा में पहुंच ही गए। नुनवन में भजन संध्या के वक़्त अशोक भोले बाबा की भक्ति में लीन नज़र आ रहे थे। अशोक की भक्ति देख कर सभी लोग नतमस्तक हो गए।

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English summary
amarnath yatra ashok giri travel to pahalgam by foot
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