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राजस्थान : बाबा कमलनाथ का 123 साल की उम्र में निधन, कैंसर पीड़ितों का करते थे निशुल्क इलाज

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अलवर। राजस्थान में कैंसर का इलाज करने वाले बाबा कमलनाथ का निधन हो गया। अलवर जिले के तिजारा क्षेत्र में गहनकर गांव स्थित आश्रम के बाबा कमलनाथ 123 की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली। रविवार को उनको अंतिम विदाई दी गई। गहनकर आश्रम में बाबा कमलनाथ कैंसर पीड़ित रोगियों का इलाज जड़ी बूटियों से किया करते थे। आश्रम में इलाज के लिए देशभर से लोग आते थे। कई बड़ी हस्तियां भी यहां आ चुकी हैं। इसमें पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर, पूर्व राष्ट्रपति भैंरोसिंह शेखावत भी शामिल हैं। पिछले दिनों संघ प्रमुख मोहन भागवत भी बाबा के आश्रम पहुंचे और उनसे मुलाकात की थी।

 11 जनवरी 2020 को बाबा कमलनाथ का निधन

11 जनवरी 2020 को बाबा कमलनाथ का निधन

बाबा कमलनाथ करीब 25 वर्षों से यहां कैंसर रोगियों का इलाज कर रहे थे। बाबा कमलनाथ 123वें वर्ष में प्रवेश कर गए थे। शनिवार दोपहर करीब सवा तीन बजे बाबा ने अंतिम सांस ली और देह त्याग दिया। बाबा का शरीर भक्तों के दर्शनार्थ आश्रम में रखा गया। जैसे-जैसे लोगों तक खबर पहुंची आश्रम में बाबा के अंतिम दर्शनों के लिए लोगों का पहुंचना शुरू हो गया। इसमें कई विधायक ,सांसद सहित गणमान्य लोगों ने शिरकत की। रविवार को गहनकर गांव में अंतिम यात्रा निकाली गई। उसके बाद समाधि देने का कार्यक्रम हुआ।

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 बाबा कमलनाथ की जीवनी

बाबा कमलनाथ की जीवनी

बता दें कि बाबा कमलनाथ का जन्म सन 1897 (भाद्रसूदी 11 संवत 1954 ) में बिहार के गोविंदपुरम नामक स्थान पर हुआ था। उनका मूल निवास गुजरात के कस्बा अंजार कच्छ में है। बाबा के पिता का नाम बेलजी भाई तथा माता का नाम साकर बेन था। बाबा के दो बहनें काशीराम व अम्बिका बाई हैं। बाबा का बचपन बिहार में बीता। बचपन का उनका नाम कमल वेलजी भाई था।

 10 साल तक जीया वैवाहिक जीवन

10 साल तक जीया वैवाहिक जीवन

बाल्यकाल में बाबा पिता के साथ आंध्रप्रदेश के मोगली नामक स्थान पर रहे। फिर वापस अपने मूल स्थान अंजार आ गए। 1915 में बाबा ने हाई स्कूल परीक्षा पास कर भावनगर में उच्च शिक्षा के लिए प्रवेश लिया। 23 वर्ष की उम्र में बाबा की शादी नांगलपुर निवासी जेठाभाई की पुत्री कुंवरबाई से 1920 में हुई। शादी के दो वर्ष बाद बाबा के पिता का देहांत हो गया। बाबा ने 10 वर्ष तक वैवाहिक जीवन व्यतीत किया। एक पुत्री व एक पुत्र के पिता बने। लकड़ी व कत्थे का थोक व्यपार करते थे।

घर छोड़कर बन गए बाबा

घर छोड़कर बन गए बाबा

एक दिन अचानक बाबा का मन बदला और रेल से प्रयाग पहुंचे। प्रयागराज में स्नान कर काशी चले गए। वहां कथा और सत्संग में भाग लेने लगे। एक सन्यासी के साथ झोपड़ी में रहने लगे। बाबा के गुरु का नाम भोजनाथ था। वहां बाबा ने मनिकरनिका घाट काशी में दीक्षा ली। उसके बाद बाबा हरियाणा के फिरोजपुर झिरका के एक शिवालय पर रहे। यहां 15 साल तक बाबा ने तपस्या की। बाबा उसके बाद 1967 में तिजारा के गहनकर गांव में एक झोपड़ी बनाकर रहने लगे। धीरे धीरे यहां बाबा का आश्रम बन गया।

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English summary
Baba Kamal Nath died at age 123 in ashram gahankar alwar Rajasthan
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