योगी सरकार को झटका, 1 लाख 10 हजार 356 पदों पर रोकी गई टीचर भर्ती को पूरा करने का आदेश
Prayagraj news, प्रयागराज। उत्तर प्रदेश की पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार के दौरान 1 लाख 10 हजार 356 पदों पर अलग-अलग शुरू की गयी टीचर भर्ती से जुड़े अभ्यार्थियों के लिये बड़ी खबर है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस भर्ती को रोकने के बावत हाईकोर्ट में दाखिल की गयी योगी सकरार की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है और भर्ती को पूरा करने का आदेश दिया है। हालांकि, भर्ती पूरा करने का आदेश तो पूर्व में ही हाईकोर्ट ने दे दिया था, लेकिन पुनर्विचार याचिका दाखिल होने के कारण इस आदेश को सरकार ने अमल में नहीं लाया। लेकिन अभ्यर्थियों की याचिका पर सुनवाई करते हुये हाईकोर्ट ने अभ्यर्थियों के हित में फैसला सुनाया और सरकार की याचिका खारिज करते हुये कहा कि सरकार की पुनर्विचार याचिका में ऐसा कोई तथ्य प्रस्तुत नहीं किया गया कि इस पर फिर से सुनवाई हो। फिलहाल, अब इन भर्तियों में रिक्त बचे पदों पर जल्द ही भर्ती शुरू होने के आसार हैं।
इन भर्तियों पर राहत
अखिलेश सरकार के दौरान शुरू हुई 26334 गणित विज्ञान सहायक अध्यापक भर्ती, 32022 अंशकालिक अनुदेशक शारीरिक शिक्षा की भर्ती, 40 हजार सहायक अध्यापक उर्दू भर्ती, 12 हजार सहायक अध्यापक भर्ती को इस आदेश के तहत राहत मिलेगी। यानी इनसे जुड़े अभ्यर्थियों को एक बार फिर से नौकरी मिलने की उम्मीद जग गयी है। गौरतलब है कि यह अलग-अलग भर्ती शुरू तो हुई थी, लेकिन विधानसभा चुनाव के बाद यूपी में सत्ता परिर्वतन हुआ और योगी सरकार ने 23 मार्च 2017 को यूपी में चल रही सभी तरह की भर्तियों पर रोक लगा दी थी, जिसके चलते यह सभी भर्तियां भी अधर में लटक गयी थी। जिनके अब पूरा होने के आसार नजर आने लगे हैं।
डबल बेंच में सुनवाई
इन भर्तियों को वापस शुरू करने के लिए अभ्यर्थियों ने पहले से अवमानना याचिकाएं दाखिल की थी और हाईकोर्ट के पूर्व आदेश को लागू करने की मांग की थी। जिसे हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार की पुनर्विचार याचिका के संबद्ध कर दिया। याचिकाओं पर न्यायमूर्ति भारती सप्रू और न्यायमूर्ति नीरज तिवारी की डबल बेंच में सुनवाई शुरू हुई। सुनवाई के दौरान अभ्यर्थियों की ओर से हाईकोर्ट को बताया गया कि रोकी गयी भर्तियों में ना तो कोई धांधली का आरोप लगा था और ना ही कोई गड़बड़ी सामने आयी थी। उसके बावजदू भी इन भर्तियों को प्रदेश सरकार द्वारा रोक दिया गया था। हाईकोर्ट ने अभ्यर्थियों का पक्ष मजबूत पाया और सरकार की ओर से तथ्यों के अभाव में बड़ा फैसला सुनाया और सरकार की पुनर्विचार याचिका खारिज करते हुये पूर्व में एकलपीठ द्वारा 12 अप्रैल 2018 को दिये गये भर्ती पूरा करने वाले आदेश को सही माना।