Kirit Parmar : झुग्गी झोपड़ी में रहते हैं अहमदाबाद मेयर किरीट परमार, एक कमरे के घर में कूलर-फ्रिज तक नहीं
अहमदाबाद। गुजरात के सबसे बड़े शहर अहमदाबाद के बापू नगर के झुग्गी झोपड़ी (स्लम एरिया) इलाके में स्थित महज एक कमरे की पहचान वर्षों से भाजपा पार्षद किरीट परमार के घर के रूप में थी, मगर अब यह कमरा अहमदाबाद मेयर का आशियाना भी है। किरीट परमार देश के सबसे गरीब मेयर में से एक हैं।
अहमदाबाद महापौर किरीट परमार का इंटरव्यू
वन इंडिया हिंदी से बातचीत में किरीट परमार ने बेइंतहा गरीबी में जीवन बिताने से लेकर अहमदाबाद नगर निगम के महापौर की कुर्सी पर काबिज होने तक का पूरा सफर बयां किया है। किरीट परमार की जिंदगी उन लोगों के लिए मिसाल है, जिन्हें लगता है कि राजनीति में पैसा ही सबकुछ है।
अहमदाबाद मेयर किरीट परमार की जीवनी
10 मार्च 2021 को अहमदबाद नगर निगम के महापौर बनने वाले किरीट परमार सादगीपूर्ण जीवन जी रहे हैं। ये मूलरूप से अहमदाबाद से तीन किलोमीटर दूर गांव चवलाज के रहने वाले हैं, मगर तीन पीढ़ियों से अहमदबाद के बापू नगर के स्लम एरिया में रहते हैं। यहीं पर 13 अगस्त 1966 को किरीट परमार का जन्म हुआ। बचपन बीता और एमए बीएड तक की शिक्षा पाई।
किरीट परमार ने मां-पिता व भाई को खोया
बचपन से स्वयं सेवक संघ की शाखाओं में जाने वाले किरीट परमार अब 55 साल के हो चुके हैं। अविवाहित हैं। किरीट के दो भाई रमेश व ईश्वर और दो बहन मृदुला व मधु हैं। पिता जीवल लाल का साल 1996, मां मीना बेन का साल 2009 और भाई रमेश का 2005 में निधन हो चुका है।
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तीसरी बार पार्षद बने, बहन उठा रही घर खर्च
किरीट परमार जाने माने आरएसएस नेता हैं। तीसरी बार पार्षद बने हैं। 16 हजार वोटों के मार्जिन आम आदमी पार्टी के खिमसूर्या को हराया। किरीट परमार के इनकम का कोई जरिया नहीं है। पहले पिता की पेंशन से काम चल जाता था, मगर वर्तमान में अविवाहित छोटी बहन मधु भाई किरीट परमार का भी घर खर्च उठा रही हैं। मधु मिर्जापुरा गुजरात कोर्ट में एडवोकेट हैं।
ना गाड़ी ना बैंक बैलेंस
किरीट परमार कहते हैं कि उनके पास छत के नाम पर सिर्फ एक कमरा है। वो भी झुग्गी झोपड़ी इलाके में है। घर में कूलर, फ्रीज, गाड़ी जैसी कोई सुविधा नहीं है। बैंक बैलेंस की सोचना तो बेमानी होगी। घर में रखा ठंडे पानी का मटका फ्रिज और नीम का पेड़ पंखा-कूलर की जरूरत पूरी कर देता है।
सिर्फ भाजपा ही दे सकती है ऐसा मौका
अहमदाबाद मेयर किरीट परमार कहते हैं कि वे भाजपा के छोटे से कार्यकर्ता हैं। राजनीति की सीढ़ियां चढ़ने के लिए लोग धनबल को सबसे बड़ा जरिया मानते हैं, मगर गुजरात भाजपा ने मुझे से गरीब कार्यकर्ता को मेयर बना दिया। ऐसा कदम सिर्फ भाजपा ही उठा सकती है।