UAE की मदद से गुजरात में शुरू होगी इस्लामिक बैंकिंग, जानें क्या होगा इसमें?
इस बैंकिंग सिस्टम के प्रभाव में आने से वो लोग भी इस दायरे में आ जाएंगे जो किन्हीं धार्मिक कारणों से बैंकों से दूर हैं।
अहमदाबाद। भारत में जल्द ही इस्लामिक बैंकिंग की सुविधाएं, गुजरात से शुरू की जाने वाली हैं। सउदी अरब का इस्लामिक डेवलपमेंट हैं, इस काम को जल्द ही गुजरात से शुरू करने वाला है।
बीते साल अगस्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यूएई यात्रा के दौरा इंडियन एक्जिम बैंक ने आईडीबी के साथ मेमोरैंडम साइन किया था। इसके अंतर्गत 100 मिलियन डॉलर का क्रेडिट भी मिला।
बता दें कि इससे पहले भारतीय रिजर्व बैंक ने पारंपरिक बैंकों में इस्लामिक बैंकिंग शुरू करने का प्रस्ताव रखा था। इसके तहत शरीयत के अनुरूप ब्याज मुक्त बैंकिंग उपलब्ध कराने की बात कही गई थी। यह प्रस्ताव उन लोगों को बैंकिंग सिस्टम में लाने के लिए किया गया था जो धार्मिक कारणों से अब तक इस व्यवस्था से बाहर हैं।
क्या है शरिया या इस्लामिक बैंकिंग
शरिया बैंकिंग या इस्लामिक फाइनैंस वह व्यवस्था है जिसमें ब्याज मना किया गया है। बैंकिंग का यह मॉडल रिस्क शेयरिंग। इसके तहत बैंक और ग्राहक, साझा रूप से रिस्क शेयर करते हैं।
इसके तहत बैंक और ग्राहक आपस में लाभ साझा करते हैं। इस्लामिक फाइनैंस में मूलतः पांच श्रेणियां हैं। इसमें इजारा, इजारा वा इकतिना, मुराबदा, और मुशाकरा शामिल है।
इजारा: बता दें कि इजारा के तहत यह एक पट्टे पर देने के समझौते जहां बैंक ग्राहक से एक सामान खरीदता है और फिर एक विशिष्ट अवधि के लिए पट्टों को वापस कर दिया जाता है।
इजारा वा इकतिना: यह प्रणाली भी इजारा से मेल खाती है। इसमें ग्राहक अपने पट्टे की अवधि खत्म होने से पहले तक कुछ खरीद सकता है।
मुरादबा: वहीं बात अगर मुरादबा की करें तो इसके तहत ग्राहक बैंक से बिना ब्याज के खरीददारी कर सकता है। इसमें रिस्क उधार लेने वाले का होगा।
मुशारका: यह एक निवेश की साझेदारी है। जिसमें पहले से ही लाभ साझा करने की शर्तें तय होती हैं। इसमें बैंक और ग्राहक दोनों, मिलकर संप्तित खरीदते हैं।
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