भारत की पहली बुलेट ट्रेन के लिए बन रहा है यहां सबसे बड़ा स्टेशन, ₹600 Cr लागत
अहमदाबाद। मुंबई-अहमदाबाद के बीच चलने वाली भारत की पहली बुलेट ट्रेन का प्रोजेक्ट प्रगति पर है। इस रूट पर अब तक सैकड़ों पिलर वाले पुल तैयार हो चुके हैं। वहीं, हाईस्पीड रेल के लिए मॉडर्न रेलवे स्टेशनों का निर्माण-कार्य भी चल रहा है। नेशनल हाई स्पीड रेल कार्पोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) से मिली जानकारी के अनुसार, बुलेट ट्रेन के लिए गुजरात में वापी के पास डुंगरा में सबसे बड़ा स्टेशन होगा।
वापी में बन रहा सबसे बड़ा स्टेशन
डुंगरा में बुलेट ट्रेन के स्टेशन का 1200 मीटर लंबा प्लेटफॉर्म होगा। यह अन्य स्टेशनों की तुलना में ज्यादा बड़ा होगा। इस रेलवे स्टेशन का निर्माण लगभग 600 करोड़ रुपए की लागत से किया जा रहा है। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि, मुंबई-अहमदाबाद के बीच वापी में बन रहे बुलेट ट्रेन के स्टेशन का प्लेटफॉर्म 1200 मीटर लंबा होगा। उन्होंने बताया कि, बुलेट ट्रेन का रूट मुंबई-अहमदाबाद के बीच 508 किमी लंबा बन रहा है। मुंबई जहां देश की आर्थिक राजधानी है, वहीं अहमदाबाद भी गुजरात का सबसे बड़ा शहर है। इन दोनों महानगरों में बुलेट ट्रेन चलने से और तरक्की होगी।
508 किमी लंबा है बुलेट ट्रेन का रूट
एनएचएसआरसीएल की ओर से कहा गया है कि, बुलेट ट्रेन के लिए मॉडर्न रेलवे स्टेशन का निर्माण कार्य बहुत ही कम समय में पूरा होने की संभावना है। अब तक बुलेट ट्रेन के कई पार्ट्स जापान से मंगवाए जा चुके हैं। वहीं, रेलवे स्टेशन का काम भी दिन-रात चल रहा है। यह करीब 35% पूरा हो चुका है।
अब दिन-रात चल रहा काम
वैसे बार-बार आई अड़चनों के चलते यह परियोजना पूरी होने में कई साल लगेंगे। अधिकारियों का कहना है कि, वर्ष 2017 से 2019 तक तो भू-चिह्नित करने व भू-अधिग्रहण करने का काम ही चला था। 2020 आते-आते रेलवे-लाइन व स्टेशन से जुड़े पार्ट्स पर काम होने लगा। उसके बाद कोरोना महामारी फैली और लॉकडाउन के दरम्यान परियोजना बाधित हुई। 2022 में निर्माण कार्य में फिर तेजी आई।
1.10 लाख करोड़ रुपए की लागत आएगी
यह परियोजना भारत की सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक है, जो कि हजारों करोड़ की लागत से पूरी होगी। इसे 2023 तक परवान चढ़ना था, और इसकी लागत 1.10 लाख करोड़ रुपए निर्धारित की गई। हाल ही एक आरटीआई के जवाब में बताया गया कि, इसपर 1.10 लाख करोड़ रुपए में से 26,872 करोड़ रुपए अबतक खर्च हो चुके हैं। जापान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस परियोजना की अनुमानित लागत 1,10,000 करोड़ रुपये है, जिसमें से 88,000 करोड़ रुपये की फंडिंग जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी कर रही है।