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किश्‍तवाड़ पर अफवाहों से हिन्‍दू-मुस्लिम को भड़का रहे लोग

By Ajay Mohan
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जम्‍मू। किश्‍तवाड़ में हिंसा भड़की, पिछले छह दिन से कर्फ्यू के कारण लोग अपने ही घरों में कैद हैं और श्रीनगर से लेकर दिल्‍ली तक सियासत जारी है। इन सबके बीच जो सबसे घिनौना काम पूरे देश में किया जा रहा है, वो है हिन्‍दू-मुस्लिम के बीच नफरत की आग पैदा करने का। यह आग लगायी जा रही है फेसबुक और ट्विटर व अन्‍य सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों के माध्‍यम से।

सीधी बात करें, तो फेसबुक पर हिन्‍दू धर्म के प्रचारक जली हुई महिलाओं की तस्‍वीरें डाल कर लिख रहे हैं, "ये देखिये कश्‍मीर में हिन्‍दू लड़की के साथ बलात्‍कार के बाद उसे जला दिया गया, एक नहीं कई हिन्‍दू लड़कियों को मुसलमानों ने जला दिया और सरकार अभी भी चुप है।" हम आपको बता दें, कि कश्‍मीर में अभी तक ऐसी कोई वारदात किश्‍तवाड़ में नहीं हुई है। हिंसा भड़की, यह सही है, हिंसा सांप्रदायिक थी, यह भी सही है, लेकिन इस स्‍तर तक पहुंच गई, यह गलत है। हम आपको यह भी बता दें कि जिन तस्‍वीरों को फेसबुक पर अपलोड किया जा रहा है, वो कश्‍मीर तो दूर भारत तक की नहीं है। उदाहरण के तौर पर फेसबुक के इस लिंक पर क्लिक कर सकते हैं

खैर इसमें कोई शक नहीं कि देश में हिन्‍दू-मुसलमान के बीच झगड़ा देखकर खुश होने वाले लोगों की कमी नहीं, लेकिन सवाल यह उठता है कि अगर बाल ठाकरे के निधन के बाद दो लड़कियां महज एक कमेंट करती हैं, तो उन्‍हें जेल में डाल दिया जाता है। उत्‍तर प्रदेश में एक दलित सामाजिक कार्यकर्ता अखिलेश सरकार के खिलाफ एक पोस्‍ट डाल देता है, तो उसे जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया जाता है, तो ऐसे लोगों के खिलाफ सरकार कोई ऐक्‍शन क्‍यों नहीं लेती, जो देश में दंगे की चिंगारियां भड़का रहे हैं।

हम यहां किसी पार्टी विशेष का नाम नहीं लेंगे, लेकिन यह जरूर कहना चाहेंगे कि फेसबुक पर जली हुई महिलाओं की तस्‍वीरें ज्‍यादातर हिन्‍दुओं के ग्रुप में डाली जा रही हैं। और हां यह सब इसलिये हो रहा है, क्‍योंकि कश्‍मीर में कांग्रेस गठबंधन की सरकार है।

किश्‍तवाड़ में क्‍यों हो रहे हैं दंगे

किश्‍तवाड़ में क्‍यों हो रहे हैं दंगे

हम आपको बता दें कि कुछ पाकिस्‍तान समर्थक लोग जम्‍मू में रह रहे कश्‍मीरी पंडितों को भगाना चाहते हैं, जिसके लिये वो 1989-90 वाला माहौल बनाने के प्रयास में जुटे हुए हैं।

अलगाववादी गुटों का वर्चस्‍व

अलगाववादी गुटों का वर्चस्‍व

असल में उमर अब्‍दुल्‍ला के नेतृत्‍व में जम्‍मू-कश्‍मीर में सरकार की निरंतर सफलताओं के चलते अलगाववादी गुट असहज महसूस करने लगे हैं उनका राज्‍य में वर्चस्‍व भी समाप्‍त होता दिख रहा है, जो अब उन्‍हें बर्दाश्‍त नहीं हो रहा है।

अलगाववादी संगठन भड़का रहे हिंसा

अलगाववादी संगठन भड़का रहे हिंसा

असल में लोगों का सरकार के लिये मोह अलगाववादी संगठनों को बर्दाश्‍त नहीं हो रहा है, इसीलिये वो घाटी में हिंसा भड़काने के प्रयास कर रहे हैं। किश्‍तवाड़ से पहले रामबन में भी यही किया था।

विशेष रूप से चुना ईद का त्‍योहार

विशेष रूप से चुना ईद का त्‍योहार

अलगाववादियों ने हिंसा भड़काने के लिये विशेष रूप से ईद का त्‍योहार इसलिये चुना, ताकि एक विशेष समुदाय के लोग एकजुट होकर उनका साथ दें। और जल्‍दी बहकावे में भी आ जायें।

क्‍या हुआ था 1989-90 में

क्‍या हुआ था 1989-90 में

वर्ष 1989-90 जम्‍मू-कश्‍मीर के लिये काले आध्‍याय से कम नहीं। उस दौरान कश्‍मीरी पंडितों को घाटी से बाहर करने के लिये रातों-रात पोस्‍टर छपवा दिये गये और शहरों की सड़कों पर चस्‍पा कर दिये गये। पोस्‍टर में हिंदुओं को घाटी छोड़ने के लिये कहा गया था। अलगाववादी संगठन एकबार फिर वही इतिहास दोहराना चाहते हैं, ताकि राज्‍य की शांति भंग हो। लेकिन ऐसा करने से सिर्फ और सिर्फ देश की अखंडता को नुकसान पहुंचेगा और कुछ नहीं।

English summary
There are huge number of people in India who are spreading rumours over Kishtwar violence to ignite Hindu-Muslim riots in all over country including Jammu Kashmir.
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