गरीबों को सस्ते अनाज के लिए करना होगा 6 महीने का इंतजार
इस योजना पर अमल करने में अभी महीने के वक्त लगेगा। खास बात ये भी है कि यूपीए सरकार की स्वर्णिम योजना जब क्रियान्वयन के लिए तैयार होगी तबतक लोकसभा चुनाव अपने जोरों पर होगा। ऐसे में सरकार के लिए लोगों से वोट मांगने का एक अच्छा मुद्दा मौजूद होगा। सरकार ने राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद राज्य सरकारों को छह महीने का वक्त दिया है ताकि वो इस कानून के दायरे में आने वाले लाभार्थियों की सूची तैयार कर सके।
सरकार की इस योजना का योजना का विरोधी पार्टियां विरोध कर रही है। विपक्ष की ओर से उठाए जा रहे संदेहों और एतराज को खारिज करते हुए कांग्रेस का कहना है कि इस योजना के क्रियान्वयन के लिए न तो अनाज की कमी है और न ही धन की। सरकार की माने तो इय योजना के क्रियान्वयण से सरकारी खजाने पर 23 हजार 800 करोड़ का बोझ पड़ेगा।
जिसके लिए सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2013-14 के आम बजट में 10 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रावधान कर रखा है। विपक्ष की आपत्तियों के बावजूद सरकार ने साफ किया है कि इय योजना के लिए 6.12 करोड़ टन अनाज की जरूरत पड़ेगी। जबकि इसका लाभ देश की 81 करोड़ जनता को मिलेगा। सरकार का दावा है कि इस कानून की वजह से राजकोष पर कोई असर नहीं पड़ेगा।