धारी देवी को लेकर उत्तराखंड में भड़की धार्मिक भावनाएं
[नवीन निगम] उत्तराखंड में आई आपदा पर अभी पूरी तरह राहत कार्य शुरू भी नहीं हो पाए थे कि गढ़वाल में एक संयोग ने लोगों की धार्मिक भावनाओं को भड़का दिया है। उत्तराखंड में हुई तबाही के लिए जहां लोग प्रशासन की लापरवाही को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं वहीं उत्तराखंड के गढ़वाल वासियों का मानना है कि माता धारी देवी के प्रकोप से ये महाविनाश हुआ। मां काली का रूप मानी जाने वाली धारी देवी की प्रतिमा को 16 जून की शाम को उनके प्राचीन मंदिर से हटाया गया था। उत्तराखंड के श्रीनगर में हाइडिल पॉवर प्रोजेक्ट के लिए ऐसा किया गया था। प्रतिमा जैसे ही हटाई गई उसके कुछ घंटे बाद ही केदारनाथ में तबाही का मंजर आया और सैकड़ों लोग इस तबाही में मारे गए।
इस संयोग से पूरे गढ़वाल में रोष व्याप्त है लेकिन इसी बीच एक राष्ट्रीय चैनल ने इस खबर को चलाकर और उस पर बहस दिखाकर अब इस बात को गढ़वाल ही नहीं पूरे भारत में आग की तरह फैला दिया है कि धारी देवी की मूर्ति हटाने से ही पूरे उत्तराखंड में तबाही मची। वैसे तो चैनल बराबर यह कहता कहा कि यह मात्र एक संयोग हो सकता है लेकिन यह हर कोई जानता है कि आस्था के इस देश में ऐसी कोई बात लोग बड़ी आसानी से ग्रहण कर लेते हैं।
खबर के साथ ही इस पर सियासत भी तेज हो गई हैं। भाजपा की तेज तर्रार नेता उमा भारती ने कहा है कि उन्होंने प्रशासन और शासन से पहले ही कहा था कि धारी देवी की मूर्ति को न हटाया जाए इससे उत्तराखंड में प्रलय आ जाएंगी क्योंकि धारी देवी ही इन चारों धामों की सुरक्षा करती है। उन्होंने कहा जब आप द्वारपॉल को ही हटा देंगे तो विनाश तो होगा ही। विश्व हिंदू परिषद के अशोक सिंघल ने कहा कि लोगों ने हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट के खिलाफ प्रदर्शन किया था और धारी देवी की प्रतिमा को हटाए जाने का विरोध किया था लेकिन इसके बावजूद 16 जून को धारी देवी की प्रतिमा को हटाया गया। धारी देवी के गुस्से से ही केदारनाथ और उत्तराखंड के अन्य इलाकों में तबाही मची। धारी देवी देश के नास्तिक लोगों को समझाना चाहती थीं कि हिमालय और यहां की नदियों को ना छुआ जाए।
पौराणिक धारणा
पौराणिक धारणा है कि एक बार भयंकर बाढ़ में पूरा मंदिर बह गया था लेकिन धारी देवी की प्रतिमा एक चट्टान से सटी धारो गांव में बची रह गई थी। गांववालों को धारी देवी की ईश्वरीय आवाज सुनाई दी थी कि उनकी प्रतिमा को वहीं स्थापित किया जाए। यही कारण है कि धारी देवी की प्रतिमा को उनके मंदिर से हटाए जाने का विरोध किया जा रहा था। यह मंदिर श्रीनगर से 10 किलोमीटर दूर पौड़ी गांव में है।
हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट का काम अभी भी जारी
330 मेगावाट वाले अलखनंदा हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट का काम अभी भी जारी है। जैसे ही धारी देवी की प्रतिमा को स्थानांतरित करने की बात शुरू हुई प्रोजेक्ट को लेकर लोगों का विरोध नए स्तर से शुरू हो गया। बीच का रास्ता निकालते हुए प्रोजेक्ट ने फैसला लिया कि पॉवर प्रोजेक्ट से दूर धारी देवी के मंदिर को स्थानांतरित किया जाएगा।
16 जून को जब मंदाकिनी नदी में बाढ़ आयी
16 जून को जब मंदाकिनी नदी में बाढ़ आना शुरू हुई तो मंदिर कमेटी ने धारी देवी की प्रतिमा बचाने के लिए तुरंत एक्शन लिया। धारी देवी मंदिर कमेटी के पूर्व सचिव देवी प्रसाद पांडे के मुताबिक, शाम तक मंदिर में घुटने तक पानी भर गया था, ऐसी खबरें थीं कि रात तक बहुत तेज बारिश होने वाली है। तो धारी देवी की प्रतिमा को हटाने के अलावा कोई और रास्ता नहीं था। हमने शाम को 6.30 बजे प्रतिमा को स्थानांतरित किया था।
देवी की मूर्ति
अब मामला यह हैं कि देवी की मूर्ति को इसलिए हटाया गया कि वह कही बाढ़ में डूब न जाए लेकिन अब इस बात का प्रचार किया जा रहा हैं कि मूर्ति को हटाने से प्रलय आई। जबकि मंदिर कमेटी ने साफ कर दिया है कि १६ जून को मूर्ति को भंयकर बारिश की सूचना के बाद हटाया गया था।
प्रतिमा को स्थानांतरित करना मुश्किल
धारी देवी की प्रतिमा को स्थानांतरित करने के लिए प्लेटफॉर्म बन चुका था लेकिन पॉवर प्रोजेक्ट कंपनी और मंदिर कमेटी के लिए उनकी मूर्ति को विस्थापित करना मुश्किल होता जा रहा था।