अर्जुन मुंडा सरकार अल्पमत में, जेएमएम ने समर्थन वापस लिया
सरकार पर आये संकट को टालने के लिए कल अर्जुन मुंडा और शिबू सोरेन के बीच बैठक हुई। जिसमें दोनों ही नेताओं के बीच सहमति नहीं बन सकी। अत: झारखंड मुक्ति मोर्चा ने समर्थन वापस लेने का निर्णय ले लिया। जेएमएम का कहना है कि दोनों पार्टियों के बीच यह तय हुआ था कि 28-28 महीने के लिए दोनों पार्टियों के प्रमुख मुख्यमंत्री होंगे, लेकिन जेएमएम के इस दावे को भाजपा ने सिरे से खारिज कर दिया।
जेएमएम के नेता हेमंत सोरेन ने कहा है कि समर्थन वापसी के बाद पार्टी अपनी आगे की रणनीति बनायेगी। वहीं भाजपा आलाकमान ने भी अपनी अगली रणनीति पर कुछ नहीं कहा है। झारखंड में 81 विधायक हैं, जिसमें बीजेपी के 18, जेएमएम 18, कांग्रेस के 13, आजसू के 6, जेवीएम के 11, आरजेडी के 5, जेडीयू के 2 और सीपीआईएमएल का एक विधायक है। अन्य विधायकों की संख्या 7 है जिसमें निर्दलीय भी शामिल हैं।
जेएमएम की समर्थन वापसी से बीजेपी को बड़ा झटका लगा है लेकिन बीजेपी का भी इस पर कड़ा रूख है। वहीं कांग्रेस इस पूरे घटनाक्रम पर नजदीकी नजर रखे हुए है। हालांकि इस मामले पर कांग्रेस ने अभी तक कुछ भी प्रतिक्रिया नहीं दी है।
झारखंड में पिछले 12 वर्षों में 8 राजनीतिक सरकारें रही हैं, जबकि दो बार राष्ट्रपति रहा है। झारखंड में अर्जुन मुंडा, शिबू सोरेन तीन-तीन बार, बाबू लाल मरांडी और मधु कोड़ा एक-एक बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। राज्य ने दो बार रा ष्ट्रपति शासन का भी सामना किया है।